गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के छात्रों में आक्रोश, होस्टल के बाहर किया प्रदर्शन

राज्य

पटना : 2 अगस्त/ रविवार को गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के छात्रों ने होस्टल के बाहर प्रदर्शन किया। छात्र ट्रेनिंग के दौरान प्रतिदिन एक रुपये स्टाइपेन देने की व्यवस्था से नाराज थे। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रजत राज ने कहा की आज भी बिहार सरकार १९८६ की व्यवस्था पर चल रही है।

राज ने आगे बताया की जहाँ एक तरफ सरकार डॉक्टरों पर विशेष ध्यान देती है वही फार्मासिस्ट को दरकिनार किया जाता है। यही नहीं पुरे प्रदेश में फार्मेसी पेशे की हालत दयनीय है। प्रदेश की ९० फीसदी मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट उपस्थित नहीं है। बिहार स्टेट फार्मसिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजनाथ ने कहा की औषधि नियंत्रण प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया है और ड्रग माफिया इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं।

बिहार स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है की जल्द से जल्द जहाँ दवा वहां फार्मासिस्ट की तर्ज़ पर सरकार खाली पद भरे और समस्याओं का निराकरण किया जाए।

फार्मासिस्टों की मांगें :
१. जहाँ दवा वहां फार्मासिस्ट की तर्ज़ पर फार्मसिस्ट की नियुक्ति की जाए।
२. सरकारी अस्पतालों में रिक्त पद तुरंत भरे जायें।
३. बिहार स्टेट फार्मेसी कौंसिल और स्टेट एफडीए को तुरंत ऑनलाइन किया जाए।
४. प्रदेश में में चल रही अवैध दवा दुकानों को बंद कराया जाए।
५. प्रत्येक मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए।
६. छात्रों में मिलने वाला स्टाइपेन बढ़ाया जाए।

प्रदर्शन करने वाले छात्रों में प्रदीप कुमार, अरविन्द कुमार , रंजन कुमार , अभिषेक कुमार, गौरव कुमार , जीतेन्द्र रजक, सौरव कुमार , मोहन महतो , रौशन राज , विकाश कुमार , श्रवण कुमार , अविनाश कुमार समेत सैकड़ों छात्र छात्राएं शामिल थे।

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