मोदी सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ 2 सितम्बर को होगी राष्ट्रव्यापी हड़ताल

राज्य, राष्ट्रीय

भोपाल: 8 अगस्त/ सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन्स, विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों और सेवा प्रतिष्ठानों के स्वतंत्र फेडरेशनों के संयुक्त मंच के तहत 30 मार्च 2016 को दिल्ली में आयोजित मजदूरों के राष्ट्रीय कन्वेंशन ने वर्तमान केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी, जन विरोधी और कारपोरेटपरस्त नीतियों व कार्यवाहियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को अपनी नीतियां बदलने की मांग की। राष्ट्रीय कन्वेंशन ने सर्वसम्मति से तय किया कि अगर सरकार ने अपनी नीतियां न बदली तो आगामी 2 सितम्बर 2016 को देशव्यापी आम हड़ताल के जरिये इसका प्रतिरोध किया जायेगा। भोपाल मे 03 जुलाई 2016 को आयोजित मध्य प्रदेश स्तरीय संयुक्त कन्वेंशन ने राष्ट्रीय कन्वेंशन के निर्णय के तहत व्यापक एकता व तीखे संघर्ष के आह्वान के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता प्रकट की व प्रदेश मे हड़ताल को सम्पूर्ण सफल करने का संकल्प लिया है। उक्त जानकारी आज एक पत्रकार वार्ता में ट्रेड यूनियन का संयुक्त मंच, मध्यप्रदेश के नेताओं ने दी.

ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा की विगत दो वर्ष में केन्द्र में सत्तासीन भाजपा-एनडीए सरकार ने मजदूरों और ट्रेड यूनियनों को अनेक अधिकार और लाभों से वंचित कर नियोजकों को लगाओ और भगाओ (हायर एंड फायर) के निरंकुश अधिकार से सशक्त किया है। सभी श्रम कानूनों में संशोधन के साथ-साथ देश के रणनीतिक व महत्वपूर्ण रेलवे, रक्षा और वित्तीय जैसे क्षेत्रों में असीमित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के लिये हमलावर तरीके से आगे बढने का काम केन्द्र सरकार कर रही है। हाल ही में इन क्षेत्रों समेत अर्थनीति व व्यापार के तमाम क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की केन्द्र सरकार की घोषणा वास्तव में देश को पूरी तरह विदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों और अंतर्राष्ट्रीय पूंजी का गुलाम बनाने की मुहिम है। इसी के साथ केन्द्र व राज्य सरकारें किसानों व आदिवासियों की जमीनों को कौडिय़ों के मोल पूंजीपतियों के हवाले करने के रास्ते प्रशस्त कर रही हैं। ऐसी स्थिति में किसानों, आदिवासियों के साथ खेत मजदूरों की आजीविका के अधिकार भी हमले पर हैं।

पिछले वर्ष पहले राजस्थान और फिर मध्यप्रदेश में श्रम कानूनों को एकतरफा तौर पर परिवर्तित कर दिए गये हैं। इन्हीं की तर्ज पर केन्द्र की सरकार पूरे श्रम अधिकारों पर ही हमलावर है। विशाल असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को मूर्ख बनाने के उद्देश्य से सरकार उनके लिये सामाजिक सुरक्षा योजनायें घोषित तो कर रही है, लेकिन न तो उनके लिये कोई कोष आवंटन किया और न ही उनके कार्यान्वयन तंत्र की कोई व्यवस्था ही है। एक ओर सरकार के मीडिया में मुद्रास्फीति कम होने के बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी ओर आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमत रोकने और रोजगार सृजन करने हेतु कोई कदम नहीं उठा रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सर्वव्यापी बनाने के बजाय कैश ट्रान्सफर के माध्यम से सरकार इसको तबाह कर रही है, जिसका परिणाम आम आदमी पर कहर के रूप में हो रहा है।

सरकार गरीब लोगों के कल्याण के लिये बनी सभी केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के बजट आवंटन में ही बेरहमी पूर्वक कटौती कर रही है। यह अत्यंत निंदनीय है कि वर्तमान केन्द्र सरकार संपूर्ण ट्रेड यूनियन आंदोलन के 12 सूत्री मांगपत्र की लगातार उपेक्षा कर रही है। इन मांगों में बढती महंगाई और बेरोजगारी पर रोक लगाने, श्रम कानूनों का सख्ती से कार्यान्वयन, बड़े पैमाने पर गैर कानूनी ठेकेदारी प्रथा रोकना, सभी के लिए न्यूनतम मजदूरी जो 18000 रुपये से कम नहीं हो की गारंटी और असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों सहित सभी के लिए सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा लाभ और पेंशन देने के साथ ट्रेड यूनियनों का रजिस्ट्रेशन 45 दिन में अनिवार्य रूप से करने और आइएलओ कन्वेंशन 87 और 98 को अनुमोदित करने जैसी मांगें शामिल हैं।

बीते वर्ष में तो मंहगाई और तेजी से बढ़ी है। सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में भारी वृद्धि है जिसका प्रतिफलन बाजार में हो रहा है। मंहगाई घटाने के कदम उठाने के बजाय घटते कच्चे तेल के मूल्य पर टैक्स बढ़ाकर जनता को मिलने वाले पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों को ऊंचे स्तर पर बनाये रखा गया है। खाद्य सामग्री पर सट्टा व्यापार जारी है।

न्यूनतम वेतन बढाने के लिए कोई कदम नहीं लिये जा रहे है। ठेका श्रम को नियंत्रित करने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा व सभी को पेंशन के सवाल पर सरकार के दावे पूरी तरह झूठे प्रमाणित हो चुके हैं। सबको बोनस की श्रमिकों की मांग पर सरकार ने बोनस सीमा बढ़ाने की घोषणा तो की पर आज तक देशभर में वह लागू ही नहीं हुआ। सरकार के कदम पूरी तरह कारपोरेट परस्त व पूंजीपरस्त ही जारी हैं।

ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मोर्चा ने प्रदेश सरकार के मजदूर-कर्मचारी विरोधी व दमनात्मक रवैये की तीखी भर्त्सना की है। यह गौरतलब है कि प्रदेश के राज्य कर्मचारी अपनी जायज लम्बित मांगों के लिये बार बार सरकार से आग्रह कर रहे है, लेकिन उनकी समस्याओं का निराकरण तो दूर उनसे सार्थक बातचीत करने के लिये भी सरकार तैयार नही है। शिक्षा कर्मी, गुरुजी, अतिथि शिक्षकों, अतिथि विद्धान अपनी मांगों के लिये संघर्षरत है, लेकिन सरकार उनकी सुन नही रही। हाल ही में गुरुजियों, अतिथि विद्वानों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि पर किये सरकारी दमन ने तो सरकार की संवेदनहीनता व क्रूरता को ही उजागर कर दिया है। प्रदेश के दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के वैधानिक हक को सरकार वित्तीय स्थिति का बहाना बना लागू नही कर रही। आंगनवाडी कर्मियों पर सरकार काम बढा पर काम बाढ थोपे जा रही है लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतन का वैधानिक अधिकार नही दे रही। आशा-ऊषाओं की स्थिति और चिंताजनक है जहां उनका कोई मानदेय तो है नही उल्टा सरकारी तंत्र उनको मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भी महीनों तक भुगतान नही कर रही। मध्यान्ह भोजन कर्मियों की भी यही स्थिति है।

प्रदेश में प्रभावशील बीडी, निर्माण, श्रम कल्याण मंडल, हम्माल पल्लेदार, घरेलू कामकाजी महिलाओं सहित अन्य असंगठित क्षेत्र के लिये गठित त्रिपक्षीय बोर्ड्स, समितियों को भंग कर निष्प्रभावी बनाने के सरकार के कुत्सित प्रयास जारी है जिसका श्रम संगठन विरोध कर रहे है।

उपरोक्त स्थिति यह साबित करती है कि सरकार के तमाम दावे झूठे है तथा सरकार के पिछलग्गू संगठन आज बुरी तरह बेनकाब है। ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मोर्चा प्रदेश के सभी श्रमिकों को आव्हान करता है कि भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकार के झूठ को पहचाने तथा उसके पिछलग्गू संगठनों के झांसे में न आते हुए 2 सितम्बर 2016 की हड़ताल को सफल करें।

प्रदेश के सभी श्रमिकों कर्मचारी संगठनों द्वारा इस हड़ताल की व्यापक तैयारियां की जा रही है। 2 सितंबर 2016 को होने वाली राष्ट्रव्यापी हडताल को मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का संकल्प लेते हुये इसकी तैयारी हेतु प्रदेश भर मे सम्भागीय संयुक्त सम्मेलन, बडे पैमाने पर पर्चे, पोस्टर, वाहन जत्थे निकाल कर बडे पैमाने पर नुक्कड सभायें व गेट मीटिंग्स के आयोजन किये जा रहे है। कोयला, बिजली, ट्रांस्पोर्ट उद्योगों में संयुक्त सम्मेलनों के आयोजन के साथ केन्द्र, राज्य, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, सुरक्षा, रेलवे, में हड़ताल की व्यापक तैयारी है। राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नगर/शहर/बाजार बंद करने की भी तैयारी है।

संयुक्त मशाल जलूस
इसी तारतम्य में 09 अगस्त 2016 को पूरे प्रदेश भर में संयुक्त मशाल जुलूस का आयोजन किया जा रहा है। राजधानी मे इस दिन शाम 6.30 बजे यादगारे शाहजहानी पार्क से संयुक्त मशाल जुलूस निकाला जायेगा।

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