मध्यप्रदेश विधानसभा में जीएसटी का श्रेय लेने के लिए मची होड़

राज्य, फीचर

राजु कुमार

संसद के दोनों सदनों में पारित संविधान के 122वें संविधान संशोधन विधेयक 2014 (जीएसटी संबंधी) के अनुसमर्थन में आयोजित मध्यप्रदेश विधान सभा की एक दिवसीय बैठक में सर्वसम्मति से बिल का अनुसमर्थन किया गया। इस पर आयोजित चर्चा में पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों ने भाग लिया। भाजपा विधायकों, संसदीय कार्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री ने इस बिल का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया, तो कांग्रेसी सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम् को जीएसटी का श्रेय दिया। जीएसटी पर चर्चा के अंत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने नेताओं के साथ ही कांग्रेसी नेताओं को भी श्रेय दिया।

मानसून सत्र के तहत ही मध्यप्रदेश विधान सभा की एक दिवसीय बैठक का आयोजन जीएसटी बिल के लिए किया गया था। मानसून सत्र की समाप्ति पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से सत्रावसान नहीं हुआ था, इसलिए विशेष सत्र बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी। एक दिन के लिए आयोजित सत्र को कांग्रेसी विधायक दो दिन का कराना चाहते थे, जिसमें वे प्रदेश में बाढ़ से बिगड़े हालात और सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार पर चर्चा कराना चाहते थे। पर विधानसभा अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देकर इसकी अनुमति नहीं दी। सत्र शुरू होते ही कांग्रेसी विधायक रामनिवास रावत एवं प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने बाढ़ और सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की, पर अध्यक्ष ने इनकार कर दिया।

जीएसटी पर चर्चा में भाजपा विधायकों ने इसे वाजपेयी सरकार की पहल और वर्तमान मोदी सरकार की अगुवाई में साकार होना बताया। कांग्रेस ने बिल का समर्थन किया, पर इस मामले पर प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश की और कहा कि प्रदेश सरकार ने जीएसटी की राह में पहले रोड़ा अटकाया था। विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह द्वारा जीएसटी पर प्रस्तुत संकल्प पर चर्चा के पहले वित्त मंत्री जयंत मलैया ने बिल के समर्थन में प्रस्ताव प्रस्तुत किया। सबसे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने इसे क्रांतिकारी कर प्रणाली बताया। वरिष्ठ कांग्रेसी सदस्य मुकेश नायक ने कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य को वित्तीय हानि नहीं हो। कांग्रेसी सदस्य जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि जीएसटी भारतीय राजनीति में एक दशक से सबसे चर्चित विषय रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से कहा कि जीएसटी कांउसिल में किसानों एवं गरीबों को कर के बोझ से बचाने के प्रावधानों की अनुशंसा करे। कांग्रेसी सदस्यों ने सरकार से मांग की कि प्रदेश में पेट्रोलियम उत्पादों पर सबसे ज्यादा कर लगता है और इसके जीएसटी से बाहर रखने से प्रदेश की जनता पर बोझ बढ़ेगा, इसलिए इसे भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। कांग्रेसी सदस्यों ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि यदि प्रदेश सरकार पहले ही जीएसटी को समर्थन दे देती, तो देश आर्थिक रूप से एक दशक आगे रहता।

विपक्ष का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जीएसटी का कभी विरोध नहीं किया, बल्कि वे राज्य की वित्तीय स्वायत्ता और कर घाटे की आशंकाओं के कारण समर्थन नहीं किया। वे इसके समाधान के लिए कई बार वित्त मंत्री से मिलते रहे हैं। पहले राज्यों के राजस्व हानि के क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं था। अब तो केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 से बढ़कर 42 फीसदी हो गई है। ऐसे में जीएसटी से प्रदेश को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पहले जब वे विदेशों में निवेशकों से मिलते थे, तो उनका एक ही सवाल होता था कि भारत में जीएसटी कब लागू होगा? अब इसके लागू होने से देश एवं प्रदेश में निवेश के अवसर बढ़ेंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि सदस्यों ने जो भी अनुशंसाएं की है, उसे जीएसटी काउंसिल में वित्त मंत्री प्रदेश की ओर से रखेंगे और राज्य हित में वहां चर्चा करेंगे। चर्चा के बाद संकल्प को सर्वसम्मति से पारित किया गया। (संवाद)

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