वामपंथी पार्टियों ने किया मजदूर हड़ताल का समर्थन, किसान भी उतरेंगे सडकों पर

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रायपुर: 24 अगस्त/ छत्तीसगढ़ की चार वामपंथी पार्टियों-माकपा, भाकपा, भाकपा(माले)-लिबरेशन तथा एसयूसीआई(सी) ने केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों, केन्द्रीय सरकार कर्मचारी फेडरेशनों व सार्वजनिक क्षेत्र की यूनियनों द्वारा 2 सितम्बर को आहूत देशव्यापी हड़ताल का पूर्ण समर्थन करते हुए इसे सफल बनाने की अपील की है तथा कहा है कि किसानों सहित वामपंथी पार्टियों के अन्य जनसंगठन भी इस दिन सड़कों पर उतरेंगे.

माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव, भाकपा(माले)-लिबरेशन के बृजेन्द्र तिवारी तथा एसयूसीआई(सी) के विश्वजीत हरोड़े ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि यह हड़ताल मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर-किसान विरोधी संशोधनों के खिलाफ ; सार्वजनिक क्षेत्रों, रेलवे, रक्षा, बीमा, बिजली, बंदरगाह व हवाई अड्डों के निजीकरण के खिलाफ; न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी व ठेका मजदूरों को नियमित मजदूरों के समकक्ष सुविधाएं देने; मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार देने व बजट आबंटन में कटौती वापस लेने; सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने और महंगाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर आयोजित की जा रही है. लेकिन इन मांगों पर मोदी सरकार ने कोई सकारात्मक प्रत्युत्तर नहीं दिया है.

ट्रेड यूनियनों द्वारा पेश 12 सूत्रीय मांगें केन्द्र सरकार से अपनी नीतियों में बुनियादी परिवर्तन की मांग करती है. वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि वे नीतियों में बुनियादी परिवर्तन के लिए ट्रेड यूनियन संघर्षों के साथ हैं. इस हड़ताल को 'देशभक्तिपूर्ण' करार देते हुए वामपंथी नेताओं ने कहा है कि मोदी सरकार के दो साल देश की आम जनता को बेहाल करने वाला रहा है. उनकी कृषि विरोधी नीतियों के कारण देश की खेती-किसानी चौपट हो रही है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. इसके साथ ही सामाजिक उत्पीड़न तथा सांप्रदयिक ध्रुवीकरण की घटनाओं में तेजी आई है. अतः 2 सितम्बर को प्रदेश के किसानों के साथ दलित-आदिवासी भी मजदूरों के साथ सड़कों पर उतरेंगे तथा संघर्ष की कार्यवाहियों में हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा कि वामपंथी पार्टियांसांप्रदायिकता और नवउदारवाद के खिलाफ देश के पैमाने पर विकसित हो रहे संघर्षों को जन-वैकल्पिक दिशा देने की कोशिश कर रही है, ताकि भारतीय राष्ट्र और आम जनता के जीवन को बेहतर बनाया जा सके.

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