भाजपा राज में राष्ट्रध्वज फहराने के लिए दलित महिला सरपंच 5 दिनों से बैठी धरने पर

राज्य, आधी दुनिया

दमोह, 12 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के दमोह जिले की एक पदच्युत महिला सरपंच स्वाधीनता दिवस पर पंचायत भवन पर तिरंगा फहराने की जिद पर अड़ी हैं और वह जिलाधिकारी कार्यालय के सामने पांच दिनों से धरने पर बैठी हैं। महिला सरपंच पूना बाई ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत सरपंच पद से तीन बार हटाया गया है, क्योंकि वह बिना किसी के दबाव में आए सरपंच के तौर पर स्वतंत्र रूप से काम करना चाहती हैं।

पूना बाई का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक और राज्य सरकार के वित्तमंत्री जयंत मलैया नहीं चाहते हैं कि वह स्वाधीनता दिवस पर झंडा फहराएं, इसलिए उन्हें पद से हटाया गया है। गत साल भी ऐसा ही हुआ था।

उन्होंने शुक्रवार को आईएएनएस कहा, "चुनाव जीतने के बाद से ही स्थानीय नेता इस बात के लिए दबाव बढ़ाने लगे कि उनकी (नेताओं) मर्जी के मुताबिक काम करूं। जब नेताओं की बातें नहीं मानी तो साजिश रची जाने लगी। हालांकि वर्ष 2012 में मैंने पंचायत भवन पर तिरंगा फहराया था। लेकिन बाद में राज्य के मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्घार्थ मलैया ने झूठी शिकायतें कर पद से हटवा दिया।"

इस बीच मलैया ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी से बात की है और उनसे पूरे मामले की जानकारी देने को कहा है।

इस संबंध में दमोह जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम.आर. मीणा ने आईएएनएस से कहा, "पूना बाई के मामले में अपर आयुक्त के न्यायालय से एक आदेश आया था, जिसमें जांच की बात कही गई थी। मगर उन्हें कार्यभार सौंप दिया गया था। बाद में स्थिति स्पष्ट होने पर उन्हें पद से हटाकर चार सदस्यीय जांच कमेटी बना दी गई है। जांच रपट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।"

मामला बांदकपुर ग्राम पंचायत का है। क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद पटेल ने सांसद आदर्श ग्राम के तहत इस गांव को गोद लिया है। यहां से वर्ष 2012 में पूना बाई सरपंच चुनी गई थीं।

पूना बाई का कहना है कि सरपंच चुने जाने के कुछ माह बाद ही उन पर कई तरह के आरोप लगाकर उन्हें पद से हटा दिया गया। वह उच्च न्यायालय से स्थगन ले आईं। लेकिन 13 अगस्त, 2015 को जिलाधिकारी के एक आदेश पर फिर उन्हें पद से हटा दिया गया। इस वजह से वह स्वाधीनता दिवस पर ध्वजारोहण नहीं कर पाईं।

पूना बाई के अनुसार, उन्होंने कलेक्टर के फैसले के खिलाफ अपर आयुक्त के न्यायालय में अपील की। अदालत ने 21 जुलाई, 2016 को कथित रूप से उनके पक्ष में फैसला दिया और उन्होंने 29 जुलाई को पदभार संभाल लिया। इसके बाद पुन: दो अगस्त को उन्हें पद से हटा दिया गया।

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