मेरे बयान तोड़-मरोड़कर पेश किए गए : जाकिर नाईक

राष्ट्रीय

मुंबई, 15 जुलाई (आईएएनएस)| विवादास्पद धर्म प्रचारक जाकिर नाईक ने अपने भड़काऊ भाषणों से आतंकवादियों को प्रेरित करने के आरोप को खारिज करते हुए शुक्रवार को सफाई पेश की और दावा किया कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह 'शांति दूत' हैं और सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों की निंदा करते हैं।

उन्होंने खुलासा किया कि वह एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) हैं और उनके पास दुबई, सऊदी अरब सहित कई अन्य देशों की नागरिकता है और रमजान के महीने में तथा कभी-कभार भारत जाते हैं।

नाईक ने फ्रांस के नीस में गुरुवार रात हुए हमले की निंदा की। इस्लामिक धर्म प्रचारक ने जोर देकर कहा कि उन्होंने कभी आत्मघाती हमलों की वकालत नहीं की, बल्कि हमेशा इनकी निंदा की।

सऊदी अरब से स्काइप के माध्यम से संवाददाताओं से उन्होंने कहा, "मैं बीते 25 वर्षो से उपदेश दे रहा हूं और हमेशा आतंकवादी हमलों, आत्मघाती हमलों की निंदा की है, क्योंकि इससे निर्दोष लोगों की जान जाती है, जो इस्लाम के विरुद्ध है।"

नाईक ने कहा, "यह (आत्मघाती हमला) हालांकि देश को बचाने के लिए युद्ध के एक तरीके के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है, लेकिन अन्य सभी परिस्थितियों, जिसमें निर्दोष लोगों की जानें जाती हैं, यह इस्लाम में हराम और निंदनीय है।"

उन्होंने तर्क को सिरे से खारिज कर दिया कि वह आतंकवाद का समर्थन करते हैं और कहा कि वह मीडिया ट्रायल का शिकार हुए हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से उन्हें गलत साबित करने की चुनौती दी, क्योंकि उनके पास असली रिकॉर्डिग है, जो आसानी से उन फर्जी रिकॉर्डिग का सच सामने ला देगी, जो सोशल मीडिया पर डाले गए हैं।

नाईक ने कहा, "इस्लाम पर कई और उपदेशक हैं, जो यह उपदेश देते हैं कि अगर आप दूसरों या गैर मुसलमानों की हत्या करेंगे तो आपको जन्नत नसीब होगी। लेकिन ऐसे उपदेशक वास्तविक तौर पर लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं, तथ्यों को गलत तरीके पेश करते हैं और यह कुरान के खिलाफ है।"

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं भी पुलिस ने कभी समन नहीं भेजा, लेकिन वह किसी भी तरह की जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, "मैं अनिवासी भारतीय हूं, लेकिन जब मेरी मीडिया टीम ने मुझे इन घटनाक्रमों की जानकारी दी, तो मैंने यहां कुछ दिनों के लिए आकर अपना पक्ष स्पष्ट करने का फैसला लिया।"

बांग्लादेश में आतंकवादी हमला कर 20 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले दो हमलावरों के बारे में जब यह जानकारी मिली कि उन्होंने नाईक के भाषणों से प्रेरणा ली थी, तब नाईक का पीस टेलीविजन व पीस मोबाइल बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया।

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