चौबे की कहानियां धीमी आंच पर पकाए खाने की तरह

साहित्य

भोपाल: 16 सितम्बर/ साहित्य, संस्कृति, शिक्षा और सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में अनवरत सक्रिय तथा उपलब्धियों सें आलोकित संतोष चैबे के षष्ठीपूर्ति के निमित्त रचनात्मक समारोह की समापन की कड़ी के रूप में आयोजित शब्द, ध्वनि और दृश्य के दूसरे दिन की शाम पुस्तक लोकार्पण, पाठ और चर्चा के नाम रही। वनमाली सृजनपीठ और आईसेक्ट विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शनिवार को स्वराज भवन में संतोष चैबे की कहानियों का उर्दू अनुवाद ”नौ बिंदुओं का खेल“ का लोकार्पण हुआ। उनकी कहानियों का उर्दू अनुवाद शाहनवाज खान ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मप्र उर्दू अकादमी की सचिव और साहित्यकार नुसरत मेहंदी ने की। उन्होंने कहा कि संतोष चैबे की कहानियों में नाटकीय तत्व और बिंब स्पष्ट होने से वे जीवंत प्रतीत होती है। चैबे की कहानियां अपने वक्ती हालातों से न केवल गुफ्तगु करती है बल्कि एक बेहतर विचार के साथ में अदब की दुनिया में खड़ी होती है। कार्यक्रम में उर्दू आलोचक इकबाल मसूद और श्याम मुंशी ने अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियां करते हुए चौबे की कहानी “बीच प्रेम में गांधी“ तथा ”गरीब नवाज“ का पाठ किया। अपनी बात को रखते हुए इकबाल मसूद ने कहा कि कथाकार संतोष चौबे को दास्तानसराई का फ़न आता हैं, उनकी कहानियां पोर्टªेट की तरह है। वे स्केच करते हैं उनमें रंग भरते हैं उनकी कहानियां जीती जागती तस्वीर की तरह है। उनकी कहानियों में दुःख भी एक सशक्त पहलु रखता है, लेकिन ये दुःख धीमी आंच पर पकाए खाने की तरह है, जिसका स्वाद विचित्र और विलक्षण है। साहित्यकार श्याम मुंशी ने संतोष चैबे की कहानी ग़रीब नवाज़ के अंशों का पाठ किया। इस मौके पर कथाकार संतोष चैबे ने कहा कि आमजन की कहानियां उन्हीं के लिए होती है, इसलिए भाषाओं को सीमाओं को लांघते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहंुचनी चाहिए, इस मायने में अनुवाद महत्वपूर्ण है। संचालन रेखा कस्तवार ने किया।

जुगलबंदी का आयोजन 20 सितंबर को

20 सितम्बर स्वराज भवन में शाम 6.30 बजे चैबे के उपन्यास “क्या पता कामरेड मोहन तथा स्वंय प्रकाश के उपन्यास “बीच में विनय के मलयालम अनुवाद का लोकार्पण होगा। महेन्द्र गगन और बलराम गुमास्ता कविता तथा मुकेश वर्मा और संतोष चैबे कहानी पाठ करेंगे। शाम 22 सितम्बर 6.30 बजे रवीन्द्र भवन में मनोज नायर के निर्देशन में चैबे की कविताओं का मंचन होगा।यह समारोह वनमाली सृजन पीठ, आईसेक्ट विश्वविद्यालय, आईसेक्ट स्डूडियो, द्वारा संास्कृतिक संस्थाओें स्ंपदन, पहले पहल, कला समय, विहान, मधुवन, मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, रचना समय आदि के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

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