सरदार सरोवर परियोजना में 1500 करोड़ रुपये घोटाला

राज्य, राष्ट्रीय

भोपाल, 10 अगस्त| सरदार सरोवर परियोजना के प्रभावितों के पुनर्वास में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए बने एस. एस. झा आयोग की रपट में हुए खुलासों के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने 1500 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप लगाया है और इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। राष्ट्रीय जन आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक मधुरेश कुमार, नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े अमूल्य निधि, देवेंद्र सिंह, हृदाराम और मप्र सरकार के पूर्व मुख्य सचिव शरद चंद्र बेहार ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बुधवार को कहा कि झा आयोग की रपट ने साबित कर दिया है कि सरदार सरोवर से प्रभावित चार जिलों -बड़वानी, धार, अलीराजपुर व खरगोन- के लगभग 45 हजार परिवारों के पुर्नवास में गड़बड़ी हुई है।

नर्मदा कार्यकर्ताओं ने कहा, "सरदार सरोवर परियोजना प्रभावित परिवारों को जमीन के बदले जमीन देने की योजना बनी थी। महाराष्ट्र और गुजरात में तो जमीन के बदले जमीन मिली, मगर मध्य प्रदेश में डूब जमीन के बदले नगद राशि देने का फैसला हुआ। इसी में सारी गड़बड़ी हो गई। जिन किसानों की जमीन 25 प्रतिशत से अधिक डूब में आई, उन्हें 5.58 लाख रुपये से 6.60 लाख रुपये देना तय हुआ।"

झा आयोग की रपट के आधार पर नर्मदा बचाओ आंदोलन ने दावा किया है कि प्रभावितों को राशि ही नहीं मिली, उलटे दलालों ने अफसरों के साथ सांठगांठ कर फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार कर राशि हड़प ली।

आयोग ने पाया है कि कुल 3,366 जमीनों की रजिस्ट्रियां हुईं, जिनमें 1,561 रजिस्ट्रियां फर्जी हैं। इतना ही नहीं 88 पुनर्वास स्थलों पर कोई सुविधा नहीं है और आजीविका फंड का लाभ भी प्रभावितों को नहीं मिला है।

ज्ञात हो कि सरदार सरोवर प्रभावितों के पुनर्वास में हुई गड़बड़ी की जांच हेतु मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 'सरदार सरोवर परियोजना फर्जी विक्रय-पत्र एवं पुनर्वास स्थल अनियमितता जांच आयोग' का गठन अगस्त 2008 में किया गया था। आयोग ने अपना काम अप्रैल 2009 में प्रारंभ किया। करीब छह वर्षो की जंच के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद 30 मार्च, 2016 को जांच रपट मध्यप्रदेश सरकार को सौंपी गई। राज्य सरकार ने विधानसभा में 'शासकीय संकल्प' प्रस्तुत किया। रपट तथा संकल्प मानसून सत्र के आखिरी दिन 29 जुलाई को विधानसभा में पेश किया गया।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं का कहना है, "आयोग की रपट में दलालों और उन अफसरों के नामों का भी खुलासा किया गया है, जिन्होंने पुनर्वास में गड़बड़ी कर प्रभावितों से छल किया है। ऐसे अफसरों को निलंबित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।" कार्यकर्ताओं ने इस घोटाले की जांच की मांग की है।

कार्यकर्ताओं की मांग है कि सरदार सरोवर बांध का जलस्तर तबतक न बढ़ाया जाए, जबतक 192 गांवों और एक नगर धरमपुरी के प्रभावितों का पुनर्वास न हो जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि झा आयोग की रपट से यह बात जाहिर हो गई है कि सरदार सरोवर प्रभावितों का पुनर्वास हुआ ही नहीं है।

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