योग नहीं, उसकी धार्मिकता के विरोधी हैं कम्युनिस्ट : माकपा

राष्ट्रीय

नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि स्वस्थ बने रहने में मददगार योग से कम्युनिस्टों को कोई आपत्ति नहीं है, उनका विरोध सिर्फ इसे धार्मिक रंग दिए जाने से है।

पार्टी की पत्रिका 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के ताजा अंक में कहा गया है कि योग पूरी दुनिया में लोकप्रिय केवल इस कारण नहीं हुआ है कि इसके कई आसन बीमारी से ग्रस्त बहुत सारे लोगों के लिए लाभदायक साबित हुए हैं।

वैसे लोगों को भी जिन्हें कोई शारीरिक समस्या नहीं है, उनका नियमित रूप से योगाभ्यास करना अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में अत्यंत सहायता देने वाला और मांसपेशियों में लचीलेपन को बढ़ावा देने वाला है।

पत्रिका की ओर से माकपा के एक सदस्य के इस सवाल का जवाब दिया गया है, जिसमें उसने पूछा था कि देश में वामपंथी नेतृत्व वाली राज्य सरकारें विद्यालयों में योग को बढ़ावा दे रही हैं, क्या यह भगवाकरण है?

पीपुल्स डेमोक्रेसी ने कहा है, "सांस लेने वाले आसन और शिथिलता और ध्यान के योग के तरीकों का अभ्यास व्यापक रूप से किया जाता है और यह आम तौर लोगों की बेहतरी में योगदान करता है।"

इसलिए आम जनता और स्कूल जाने वाले बच्चों व युवाओं के बीच योग को बढ़ावा देने पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती, जब तक कि सिर्फ यही बात दिमाग में हो और उसे लागू किया जाए।

इसके बाद माकपा ने उल्लेख किया है कि आपत्ति कहा है।

पत्रिका में कहा गया है कि हिंदूवादी ताकतें चाहती हैं कि योग को हिंदू सांस्कृतिक धरोहर के हिस्से के रूप में पेश किया जाए और इसे एक धार्मिक रंग दिया जाए। हम लोग इस रुख के खिलाफ हैं।

पार्टी ने यह भी कहा है कि बहुत छोटे बच्चों को आसन नहीं सिखाया जाना चाहिए और योग की कक्षाएं छात्र कम से कम 10 वर्ष के हो जाएं तभी शुरू करनी चाहिए।

योग शिक्षक हर हाल में कठिन प्रशिक्षण लेने के बाद ही किसी को नियुक्त किया जाना चाहिए। इसके साथ ही योग शिक्षक को योग कक्षा में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति से उसकी समस्याओं पर चर्चा करनी चाहिए।

कहा गया है कि इसका बहुत बड़ा खतरा है कि योग को बढ़ावा देने के उत्साह में सरकर एवं सरकारी संस्थान इन अनिवार्य मुद्दों पर ध्यान नहीं दें और इस प्रक्रिया में अच्छा होने की जगह अधिक नुकसान हो जाए, जो योग को इस कमी के लिए दोषी ठहराया जाए।

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