गरीब धनई ने दिव्यांग पति के लिए बनवाया शौचालय
राज्य, फीचर Aug 12, 2016एकान्त प्रिय चौहान
रायपुर, 12 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला अंतर्गत करतला विकासखंड के हाथी प्रभावित गांव कोटमेर की धनई बाई पांडे को आज गांव में हर कोई जानता है। गरीब होने के बावजूद उसने स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर तिल-तिल जोड़कर अपने दिव्यांग पति के लिए शौचालय का निर्माण कराया है।
धनई बाई के पास आय का कोई निश्चत स्रोत नहीं है। इसके बावजूद उसके मजबूत इरादों ने हर मुश्किलें आसान कर दीं। कोरबा के कलेक्टर पी. दयानंद से धनई बाई और उसके पति भीष्म प्रसाद पांडे ने मुलाकात कर निर्मित शौचालय के बारे में बताया। कलेक्टर ने उनके द्वारा अपने स्वयं की रकम से शौचालय निर्माण कराने और इसके नियमित उपयोग करने पर उन्हें बधाई दी।
कलेक्टर ने इस दंपत्ति की सराहना करते हुए कहा कि स्वच्छता एवं बीमारी से बचाव के लिए शौचालय का निर्माण सभी घर में आवश्यक है। अन्य ग्रामीण जो सक्षम हैं, उन्हें भी धनई बाई से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने धनई बाई को शासन द्वारा निर्धारित शौचालय की लागत राशि दिलवाने का आश्वासन भी दिया।
करतला विकासखंड अंतर्गत ग्राम कोटमेर हाथी प्रभावित ग्राम है। आसपास जंगल होने की वजह से जंगली हाथियों, भालू सहित अन्य वन्य जीवों का आना-जाना लगा रहता है। इस गांव में कई दशक से भीष्म प्रसाद पांडे और उसकी पत्नी धनई बाई पांडे रहती है।
भीष्म प्रसाद शारीरिक रूप से निशक्त है। वह कोई काम नहीं कर सकता। ऐसे में उसकी पत्नी धनई बाई ही अपने पति की संपूर्ण देखभाल करने के साथ मेहनत मजदूरी कर घर चलाती है। धनई बाई घर के अतिरिक्त खर्च के लिए कभी मजदूरी करती है तो कभी पास के जंगल में जाकर महुआ बीनती और बेचती है।
धनई बाई पांडे को जन जागरूकता अभियान से जब मालूम हुआ कि शौचालय की उपयोगिता स्वयं की स्वच्छता के साथ बीमारी से बचने के लिए भी है तो उसने वर्षो तक जंगल में महुआ, डोरी इकठ्ठा कर उसे बेचकर जुटाई रकम को शौचालय निर्माण में लगा दिया।
पांचवीं तक पढ़ी धनई बाई ने बताया कि उसे मालूम हुआ कि शौचालय का निर्माण बहुत जरूरी है। खुले में शौच से बीमारी होने का खतरा भी रहता है, इसलिए उसने भी निश्चय किया कि बाहर खुले में शौच जाने से बेहतर है कि घर में ही शौचालय का निर्माण कराया जाए।
उसने कुछ रुपये कर्ज लेकर और अपनी जमा रकम मिलाकर लगभग 15.16 हजार रुपये में शौचालय बनवा ली। अब वह और उसके पति दोनों ही इसका उपयोग करते हैं। धनई पांडे के पति भीष्म प्रसाद पांडे ने बताया कि वह स्वयं शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है।
पैदल चलने के लिए लाठी का सहारा लेना पड़ता है। शौचालय नहीं होने से पहले उसे दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब नहीं जाना पड़ता। उसने अपनी पत्नी को सुख-दुख का हमसफर बताते हुए कहा कि अपनी मेहनत की कमाई को शौचालय निर्माण में लगाकर उसने मुझे बहुत बड़ा उपहार दिया है।