शब्द ध्वनि और दृश्य का समापन, संगीत और अभिनय में निखर आया कविताओं का चेहरा

साहित्य

भोपाल: 22 सितम्बर/ शब्द, दृश्य और ध्वनि के कलात्मक अहसासों के साथ गुरूवार की शाम रवीन्द्र भवन के मंच पर कविता, संगीत और अभिनय ने मिलकर अभिव्यक्ति के अनूठे आयाम रच दिए। संतोष चौबे की कविताओं के साथ हुए इस नायाब प्रयोग को शहर की साहित्य बिरादरी और कला प्रेमियों ने समान रूप से सराहा। लगभग एक दर्जन चुनिंदा कविताओं को संतोष कौशिक के संगीत और मनोज नायर की नाट्य परिकल्पना ने बेशक एक नया ही स्वरूप प्रदान किया। इस तरह साहित्य को देखकर सुनने और उससे अंतरंग होने की यह एक अनूठी शाम थी। इस अवसर पर मुंबई से खासतौर पर पधारीं रंगमंच और सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री प्रीता ठाकुर ने सभी कलाकारों को यादगार प्रस्तुति के लिए मंच पर सम्म्मानित किया।

वनमाली सृजनपीठ और आईसेक्ट विश्वविद्यालय तथा शहर की अग्रणी सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ मिलकर आयोजित चार दिवसीय समारोह का यह समापन सत्र था। मंचन से पूर्व संतोष चौबे को उनके जन्मदिन पर साहित्य-कला तथा शिक्षा से जुड़े संगठनों की ओर से सम्मानित किया गया। श्री चौबे ने इस मौके पर अपनी कविताओं का पाठ कर जीवन के गहरे अनुभव ओर सामाजिक सरोकारों के प्रति सृजनात्मक दायित्व का परिचय दिया। कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने कविता, संगीत और अभिनय से जुड़े पहलुओं पर अपना वक्तव्य दिया। मंचन की विषय वस्तु संतोष कौशिक ने प्रस्तुत की। समारोह में आईसेक्ट स्टूडियों द्वारा निर्मित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया जो श्री चौबे के सांस्कृतिक व्यक्तित्व को रेखांकित करती है।

माइम विशेषज्ञ मनोज नायर ने दृश्य अभिनय प्रकाश और देह गतियों का सटीक ताना-बाना रचते हुए चैबे की उन कविताओं को चुना जिनमें मां, मौसम, रिश्तें, स्मृतियां, सपने और अपने वक्त की विसंगतियों से जुझते हालातों की आवाजें व्यक्त हुई है। इस चयन में कविता आना जब मेरे अच्छे दिन हो, अम्मा का रेडिया, मां को दुख है, इधर घर बनाया है शहर से दूर, जीवनवृत्त, दायित्व मुझे छोडो़, नदी ने तड़पकर कहा, देखी आग-आग की कविता, हरी धूप... कविताएं शामिल की गई।

इस प्रयोग में आलोक तायड़े, वसीम खान, आकाश श्रीवाल, आदर्स ठच्सू, आमिर खान, राघवेन्द्र सिंह, हर्षा जायसवाल, कविता शाजी, शामल कटबे, सोनिया, स्मिता नायर, रश्मि आचार्य, अलय खान, अभि श्रीवास्तव ने अभिनय किया। प्रकाश परिकल्पना कमल जैन की थी।

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