ग्रामीण डिजिटल मीडिया अपना रहा 'स्त्रीवादी कारोबारी मॉडल'

आधी दुनिया, फीचर

गोकुल भागबती

बुंदेलखंड की सूखी धरती पर 15 वर्ष पहले कुछ महिला पत्रकारों की पहल पर शुरू हुआ स्थानीय भाषा का अखबार 'खबर लहरिया' डिजिटल दुनिया में भी दस्तक देने को तैयार है।

सबसे खास बात यह है कि छह महीने पहले प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया 'चंबल मीडिया' की सफलता के लिए 'स्त्रीवादी कारोबारी मॉडल' अपनाया गया है।

चंबल मीडिया की सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकरी शालिनी जोशी का कहना है, "उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे इंटरनेट और स्मार्टफोन के जरिए सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों को देखते हुए और डिजिटल मीडिया पर ग्रामीण आबादी के लिए गुणवत्तायुक्त, स्वतंत्र समाचार माध्यम की कमी को देखते हुए इसे शुरू किया गया।"

चंबल मीडिया ने 'खबर लहरिया' की सामग्री को डिजिटल मीडिया पर वितरण और विपणन के लिए यह साझेदारी की है।

शालिनी ने कहा, "किसी ग्रामीण मीडिया कंपनी के लिए यह बहुत बड़ी सफलता है। साथ ही इससे खबर लहरिया का नाम भी फैलेगा, जो पिछले 15 वर्षो से मीडिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए काम कर रही है।"

आठ पृष्ठों वाले समाचार पत्र 'खबर लहरिया' का मूलमंत्र है 'अपनी खबर, अपनी भाषा में' तथा दिशा मलिक और कविता इसकी दो अन्य सह संस्थापक हैं।

2002 में समाचार पत्र शुरू करने के बाद से ही इसका उत्पादन और विपणन का कार्य ग्रामीण इलाकों से नियुक्त की गईं महिला पत्रकार ही देखती रही हैं।

दिशा कहती हैं, "चंबल मीडिया का उद्देश्य पत्रकारिता में एक ऐसी स्थानीय विश्वसनीय आवाज को तैयार करना है जिसकी पहुंच सर्वाधिक लोगों तक संभव हो। हम महिलाओं खासकर वंचित तबके जैसे दलित, मुस्लिम और आदिवासी महिला पत्रकारों द्वारा इकट्ठा की गई खबरों का प्रकाशन जारी रखेंगे।"

उन्होंने कहा, "इसी तर्ज पर चंबल मीडिया का भी सांगठनिक ढांचा होगा, जिसमें नगरीय और ग्रामीण पत्रकार शामिल होंगे, जिनमें महिलाओं का आधिक्य होगा।"

शालिनी विस्तार से इसे समझाते हुए कहती हैं, "हमारे लिए यह स्त्रीवादी कारोबारी मॉडल ऐसा मॉडल है जिसमें लाभ कमाने के साथ-साथ स्वतंत्र और प्रगतिशील ग्रामीण खबरों के मूल्य को कायम रखा जा सकता है। हमारी सांगठनिक संस्कृति लोकतांत्रिक, पारदर्शी और महिला उन्मुख है, जो समाज के विभिन्न तबकों से हैं।"

बेहद लोकप्रिय रहे वाइस मीडिया की तर्ज पर शुरू हुआ चंबल मीडिया अभी से बुंदेलखंड के कुछ इलाकों में चर्चित हो चुका है।

उदाहरण के लिए मोटरसाइकिल के इंजन से हेलीकॉप्टर बनाने और बाद में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए बांदा जिले के तिंदवारी निवासी युवक नारद पर प्रसारित वीडियो फीचर को बांदा जिले में ही फेसबुक पर 13,000 बार देखा गया, जबकि बांदा जिले में 3जी इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की कुल आबादी ही 13,000 है।

इस पर दिशा कहती हैं, "यह छह महीने में हमारे प्रयोग की सफलता को दर्शाता है और डिजिटल मीडिया की वजह से 'खबर लहरिया' अब हर सप्ताह 50,000 स्थानीय लोगों तक पहुंचने लगा है।"

शुरुआती सफलता से उत्साहित चंबल मीडिया की टीम भी अब ऊंचे लक्ष्य की ओर देखने लगी है।

शालिनी कहती हैं, "उम्मीद है कि चंबल मीडिया तीन महीनों के भीतर हिंदी भाषी 80 जिलों तक फैल जाए और वहां से पूरे भारत और फिर दक्षिणी गोलार्ध में। किसी स्थानीय मीडिया प्रोडक्शन के लिए हमें यह दूरगामी मॉडल लग रहा है, जिसके बल पर पूरी दुनिया में कोई स्वतंत्र मीडिया खुद को खड़ा रख सकता है और आगे बढ़ सकता है।"

उन्होंने बताया, "हमारा कारोबारी मॉडल रचनात्मक विविधता वाला है जिसमें विज्ञापन, सामग्री लाइसेंसिंग, कार्यक्रमों का आयोजन, ग्रामीण बाजारों में उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया वगैरह शामिल है।"

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