हुंकार रैली में सुभाषिणी बोलीं, हक और सम्मान के लिए संघर्ष करें दलित-आदिवासी

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भोपाल: 20 सितम्बर/ हजारों दलित आदिवासियों ने राजधानी भोपाल में हुंकार रैली करके धन और धरती के बंटबारे और आत्म सम्मान को हासिल करने की लड़ाई तेज करने के संकल्प का इजहार किया। दलित शोषण मुक्ति मंच और आदिवासी एकता महासभा सहित सात वामपंथी जनसंगठनों के आव्हान पर हुई इस रैली में पांच हजार से अधिक दलित आदिवासियों ने हिस्सेदारी की। पूर्व सांसद सुभाषिणी अली एवं लोकसभा सदस्य जितेन्द्र चौधरी इस रैली में भाग लेने भोपाल पहुंचे थे।

रैली में बोलते हुए पूर्व सांसद सुभाषिणी अली ने कहा कि भाजपा के आने के बाद से मनुस्मृति के आधार पर राज चलाने की सोची समझी शुरूआत कर दी गई है। सवा लाख सरकारी स्कू ल बंद किए जा रहे है ताकि दलित आदिवासी पढ़ न सके। स्वास्थ्य का बजट काट दिया गया है। सिंहस्थ में भ्रष्टाचार चरम पर था मगर गरीबों को राशन नहीं दिया जा रहा है। मगर भाजपा सरकारें अगर आदिवासियों को एकलव्य और दलितो को शम्बूक बनाने की कोशिश करेंगी तो जनता उनकी चुनौती स्वीकार करके इन साजिशों का अपने साझे प्रतिरोध के जरिये जबाब देगी।

गुजरात मॉडल के सच को उजागर करते हुए सुभाषिणी अली ने कहा यह ऊना के दलितो के साथ अत्याचार का मॉडल है। साम्प्रदायिक हिंसा और तानाशाही का मॉडल है। लूट और मुनाफाखोरी का मॉडल है।

सांसद जीतेन्द्र चौधरी ने देश की सबसे बढ़ी आदिवासी आबादी वाले प्रदेश में ही आदिवासियों की घनघोर दुर्दशा पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब आदिवासी बहुल आबादी वाला त्रिपुरा सभी को शिक्षित और आत्म निर्भर बना सकता है, सारी योजनाओं को नीचे तक ले जाया जा सकता है तो म प्र में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने कहा कि जब तक गरीब इकठ्ठा होकर संघर्ष की लहर नहीं पैदा करते तब तक उनके मुद्दे राजनीतिक एजेंडे पर नहीं आ सकते।

मध्यप्रदेश की ओर से बोलते हुए डीएसएमएम के जुगलकिशोर पिप्पल, आदिवासी एकता महासभा के नबीनूर अंसारी, किसान सभा के प्रेमनारायण माहौर, खेत मजदूर यूनियन के रामबाबू जाटव, सीटू की विद्या खंगार, जमस की निशा सिंह, श्रीमति मथुरा सोलंकी, जनौस के गंगासिंह गौंड़, एसएफआई के कुलदीप पिप्पल ने संबोधित करते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई के समय टंट्या मामा के नेतृत्व में अंग्रेजों का मुकाबला किया था देशी अंग्रेजों का भी मुकाबला कर लेंगे। दलित आदिवासियों को शिक्षा से खदेडऩे की कोशिशें की जा रही है। छात्रावास बदतर स्थिति में है, ऋणात्मक पद्धति से उनके रोजगार पाने के सपनों को खत्म किया जा रहा है। नलों से पानी भरने पर दलितों की पिटाई की जा रही है। ऐसा भी हो रहा है कि बिजली किसी और के यहां जलती है लेकिन बिल दलितों के घरों पर भेजे जाते है। संविधान में जो अधिकार मिले है उन्हें भी छीननें की कोशिश की जा रही है। प्रदेश में बच्चों की मौते, कुपोषण, अनपढ़ता, महिलाओं पर अत्याचार में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सभा का संचालन किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने किया। सभा की कार्रवाई के लिए अध्यक्ष मंडल का चुना गया जिसमें आदिवासी एकता महासभा के जोखूलाल कोल, बुद्धसेन सिंह गौंड, दलित शोषण मुक्ति मंच के फूलसिंह, जमस की संध्या शैली, सीटू के रामत्यागी, एसएफआई के दीपक पासवान, डीवायएफआई के करन सिंह शामिल रहे। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया।

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