संघ से जुड़ी हैं जावड़ेकर और दवे की राजनीतिक जड़ें

राज्य, खरी बात, फीचर

भोपाल, 5 जुलाई| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण और बहुप्रतीक्षित फेरबदल किया। इस फेरबदल में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले चार सदस्यों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनमें से एक को पदोन्नत किया गया है, जबकि तीन राज्यमंत्री बनाए गए हैं। राज्यमंत्री से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाए गए राज्यसभा सदस्य प्रकाश जावड़ेकर ने राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य के तौर पर की थी। वह 30 जनवरी, 1951 को महाराष्ट्र के पुणे में एक शिक्षक के घर जन्मे थे, और पुणे विश्वविद्यालय से उन्होंने बीकॉम किया।

जावड़ेकर 1971 में एबीवीपी के सदस्य रहते हुए महाराष्ट्र बैंक में ग्रामीण विकास विभाग, सिक यूनिट सेल तथा बैंक के रोजगार संवर्धन कार्यक्रम विभाग के लिए लगभग 10 वषों तक कार्य किया।

जावड़ेकर ने 1975 में आपातकाल के दौरान सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व भी किया। वह 1975 में पुणे विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य चुने गए। वह पहली बार राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में 1984 में उस समय आए, जब 1981 में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सक्रिय सदस्य बन गए। 1984 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय सचिव व महासचिव बने।

भाजपा ने आगे चलकर उन्हें महाराष्ट्र में भाजपा प्रचार समिति का प्रमुख और महाराष्ट्र राज्य का सचिव बनाया। प्रकाश जावड़ेकर 1995 में महाराष्ट्र राज्य प्लानिंग बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए।

जावड़ेकर वर्ष 2000 में महाराष्ट्र सरकार में आईटी विभाग के कार्य बल के चेयरमैन बने। 1994 और 2002 में वह महाराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता बने। वर्तमान में वह मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं।

राज्यमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अनिल माधव दवे तीसरी बार राज्य से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से हुई है।

उज्जैन के बड़नगर में विजयादशमी के दिन 1956 में जन्मे दवे के पिता रेलवे में कार्यरत रहे, जिसके चलते उनकी शिक्षा गुजरात के विभिन्न हिस्सों में हुई। उन्होंने इंदौर के गुजराती कॉलेज से एम.कॉम. किया और वहीं छात्रसंघ अध्यक्ष बने। वह 1964 से संघ के स्वयं सेवक हैं। दवे 1989 से 2004 तक संघ के प्रचारक रहे।

दवे की पहचान पर्यावरणविद और नदी संरक्षक के तौर पर है। उन्होंने नर्मदा की यात्राएं भी की हैं। वह शौकिया तौर पर पायलट भी हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी है और वह तीसरी बार राज्य से राज्यसभा सदस्य बने हैं।

राज्य से केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बने मंडला से लोकसभा सदस्य फग्गन सिंह कुलस्ते की गिनती आदिवासी नेता के तौर पर है। वह इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। वह राज्य में भाजपा का आदिवासी चेहरा भी हैं।

कुलस्ते का जन्म 18 मई, 1959 को बारबटी गांव में हुआ और वह 1982 तक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे। एमए, बीएड, एलएलबी की शिक्षा अर्जित करने के बाद वह मंडला जिले के ही एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य बन गए। वर्ष 1992 में वह पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। वह इस बार पांचवीं बार लोकसभा के सदस्य हैं।

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