दलित आदिवासी उत्पीड़न के खिलाफ 20 सितम्बर को भोपाल में हुंकार रैली

राज्य

भोपाल: 11 सितम्बर/ नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में दलित आदिवासियों के उत्पीड़न के मामले में मध्यप्रदेश के तकरीबन शीर्ष पर रहने की स्थिति को अधूरी बताते हुए दलित शोषण मुक्ति मंच और आदिवासी एकता महासभा सहित अनेक जनसंगठनों ने कहा है कि आधी से अधिक वारदातें तो पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज ही नही हो पातीं । शिवराज सरकार ने तो पुलिस थानों को निर्देश जारी करके यहां तक कह दिया गया है कि जहां तक संभव हो वहां तक वे एससी/एसटी उत्पीड़न के मामले पंजीबध्द ही न करें ।

जाति प्रमाणपत्र बनवाने में खड़ी की गयी अड़चने, जमीनों के कम्पनीकरण के चलते बड़े पैमाने पर आदिवासी एवं दलित आबादी के विस्थापन, भर्ती पर रोक के जरिये आरक्षण को निरर्थक बना देने, पदोन्नतियों में आरक्षण पर रोक, शिक्षा के निजीकरण और एक लाख से अधिक सरकारी स्कूल बंद किये जाने जैसी नीतियां दलित आदिवासी आबादी के जीवन को और अधिक नारकीय बना दिया गया है ।

इन स्थितियों के विरोध तथा समस्याओं के समाधान की मांगें उठाने हेतु 20 सितम्बर को राजधानी भोपाल में हुंकार रैली का आयोजन किया गया है ।
हुंकार रैली के आयोजक संगठनों के अनुसार जिस प्रदेश में आईएएस और आईपीएस जैसे पदों पर बैठे दलित आदिवासी अधिकारियों तक को रो रो कर अपने साथ हुए अन्याय को बयान करना पड़ता है, वहां आम दलित आदिवासी की स्थिति की भयावहता की कल्पना ही की जा सकती है ।

इस हुंकार रैली के माध्यम से जहां उत्पीड़न, विस्थापन के मामले सामने लाये जाएंगे वहीँ प्रति परिवार 5 एकड़ जमीन, रोजगार इत्यादि से जुडी मांगें उठायी जाएंगी ।

हुंकार रैली के आव्हानकर्ताओ में दलित शोषण मुक्ति मंच, म.प्र आदिवासी एकता महासभा के साथ अभी तक किसान सभा, सीटू, जनवादी महिला समिति, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई), जनवादी नौजवान सभा (डीवायएफआई) शामिल हो चुके हैं । लगातार नए संगठनों का इसमें जुड़ना जारी है ।

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