बिहार में बाढ़ पीड़ित रोटी के लिए कर रहे जद्दोजहद

राज्य, राष्ट्रीय

मनोज पाठक 

बिहार के वैशाली जिले में गंगा और गंडक नदी में आया उफान भले ही अब कुछ शांत हो गया हो, लेकिन बाढ़ के कारण शुरू हुई मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। बाढ़ की तबाही से बेघर हुए लोग जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन भूख की मार से बेजार इन लोगों को दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

आशियाना के नाम पर ऐसे लोगों को पोलीथिन से बनी छत सिर छिपाने के लिए कम पड़ रही है। प्रशासन और सरकार द्वारा बाढ़ राहत शिविर जरूर बनाए गए हैं, लेकिन ये 'उंट के मुंह में जीरा' साबित हो रहे हैं।

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ष बाढ़ ने अभूतपूर्व कहर ढाया। गंगा और गंडक नदी से घिरे राघोपुर के 20 ग्राम पंचायतों की करीब तीन लाख की आबादी बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित है।

वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड में सबसे ऊंचा क्षेत्र फतेहपुर पंचायत को माना जाता है। लोगांे का कहना है कि जब यह पंचायत क्षेत्र ही बाढ़ से तबाह हो गया है, तो अन्य क्षेत्रों की क्या स्थिति हो सकती है, समझा जा सकता है।

जुरावनपुर गांव की रहने वाली उर्मिला देवी कहती हैं कि उनका घर पानी में डूब गया। बाढ़ के पानी ने इस गांव के तीन दर्जन से ज्यादा झोपड़ियों को बहाकर अपने साथ लेती गई। तब से अब तक इन परिवारों की जिंदगी खानाबदोश वाली होकर रह गई है।

तेरसिया गांव निवासी शांति देवी को यह भी पता नहीं कि यह क्षेत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का है। वह कहती है, "गंगा के पानी ने तो गांव में सब कुछ उजाड़ दिया है। हम लोग किसी तरह जीवन जी रहे हैं।"

वह कहती हैं, "अबोध बच्चों के लिए न दूध मिल पा रहा है, न ही बुजुर्गो के लिए दवा उपलब्ध हो पा रही है, हमें देखने वाला कोई नहीं है। सब नेता वोट मांगने आते हैं, लेकिन इस समय कोई नहीं आ रहा।"

इधर, गांव के लोग जिला प्रशासन के इस दावे को भी खोखला बता रहे हैं कि राहत सामग्री बांटी जा रही है। चकसिंगार और वीरपुर गांव के लोग अभी ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। जब इनसे पूछा गया कि सरकार का कोई नुमाइंदा आया, तो ग्रामीणों ने कहा कि जब अपने विधायक ही नहीं आ रहे हैं, तो दूसरों का क्या कहें। हालांकि लालू प्रसाद ने इस क्षेत्र में आकर बाढ़ पीड़ितों के घावों पर मरहम लगाने की कोशिश जरूर की है।

इस क्षेत्र के समाजसेवी और इंजीनियर राकेश रौशन कहते हैं कि राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक तेजस्वी लंदन की हवा में इतने दिन रहकर शुक्रवार को अपने विधानसभा क्षेत्र पहुंचे हैं, जहां उनका विधानसभा क्षेत्र राघोपुर पूरी तरह डूब चुका है।

उन्होंने कहा कि विधायक चुनाव में किया वादा भी भूल गए। उन्होंने कहा था, "राघोपुर में घर बनाऊंगा।" अब लोग पानी में डूबकर मर रहे हैं, तरह-तरह की बीमारी के शिकार हो रहे हैं। मगर वह देखने भी नहीं आते।

तेरसिया गांव निवासी केश्वर कहते हैं कि खेत में लगी फसल और सब्जी तो बर्बाद हो गई है, लेकिन अब आशियाना भी न बह जाए, इसका जतन किया जा रहा है। वह कहते हैं कि उन्होंने इस वर्ष धान की रोपनी बड़े क्षेत्र में की थी तथा कई तरह के सब्जी के पौधे भी लगाए थे। अगले वर्ष उनको अपनी बेटी के हाथ पीले करने हैं।

केश्वर कहते हैं, "बेटी की शादी की खातिर पैसे का प्रबंध हो जाए, इसके लिए ज्यादा रकबे में खेती की थी, मगर भगवान को शायद ये मंजूर नहीं था।"

राघोपुर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी अनंत प्रकाश कहते हैं कि बाढ़ के बाद राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। राहत सामग्री बांटने के विषय में पूछने पर वह कहते हैं कि कई क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजी गई है।

उन्होंने बताया कि राघोपुर के लिए यहां दो स्थानों पर राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जबकि अन्य तीन शिविर पटना में चलाए जा रहे हैं।

राघोपुर के अंचल अधिकारी से फोन पर आईएएनएस द्वारा जब बाढ़ राहत के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने फोन काट दिया और फिर नहीं उठाया।

इस बीच विदेश दौरे से लौटे राज्य के उपमुख्यमंत्री और राघोपुर के विधायक तेजस्वी बाढ़ पीड़ितों से मिलने शुक्रवार को अपने क्षेत्र पहुंचे। यहां उन्हें कुछ स्थानों पर बाढ़ पीड़ितों के गुस्से का सामना करना पड़ा।

तेजस्वी तेरसिया इलाके में पहुंचकर वहां राहत शिविर में रह रहे बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही राहत सामग्री का जायजा लिया और शिविर में रहने वाले पीड़ितों को भोजन भी परोसा।

तेजस्वी ने स्वीकार किया कि राहत सामग्री के वितरण में भारी कमी दिख रही है। उन्होंने शिकायत मिलने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी राघोपुर का दौरा किया था।

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