नारी को सिर्फ शरीर समझने वालों का बहिष्कार हो : प्रसून जोशी

राष्ट्रीय, मनोरंजन

रीतू तोमर

प्रख्यात गीतकार प्रसून जोशी ने रियो ओलंपिक में देश की बेटियों की उपलब्धियों से प्रेरित होकर 'शर्म आ रही है ना' कविता लिखी। यह कविता आजकल चर्चा में है। निरंतर अपनी लेखनी का जादू चलाने वाले प्रसून आजकल महिलाओं पर लिखे जा रहे अश्लील गानों से खफा हैं और इस तरह के गानों से सस्ती लोकप्रियता बटोरने वालों को बहिष्कृत करने की राय रखते हैं।

प्रसून ने इस कविता से जुड़े तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के साथ खास चर्चा की। प्रसून ने आईएएनएस से कहा, "रियो ओलंपिक में देश की बेटियों के पदक जीतने के बाद मुझे लगा कि इस जीत को कविता के रूप में ढालना चाहिए और समाज को बेटियों की अहमियत बतानी चाहिए। मेरे मित्र अर्नब गोस्वामी ने मुझे अपने चैनल पर बुलाया, जहां मैंने पहली बार यह कविता सुनाई जिसका शाम को प्रसारण किया गया। इस कविता ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया और यह लोकप्रिय होती चली गई।"

क्या उन्हें इस कविता के इतना लोकप्रिय होने का अंदाजा था? इस पर प्रसून कहते हैं, "जब किसी चीज में सच्चाई होती है तो वह लोगों को अपनी ओर खींचती है। इस कविता ने लोगों के दिलों के तार छेड़ दिए। इसे सुनकर लोगों को लगा कि हमें यकीनन शर्म आनी चाहिए।"

देश में महिलाओं की स्थिति बहुत सोचनीय हो गई है, जिससे प्रसून भी सहमत हैं। आजादी के 70 साल बाद भी महिलाओं की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस बारे में प्रसून का मत है कि महिलाओं को हमेशा पुरुषों के बराबर अधिकार देने की बातें होती आई है, लेकिन धरातल पर अभी कुछ ज्यादा नहीं हुआ।

महिलाओं की स्थिति में सुधार कैसे हो, इसे लेकर प्रसून ने कहा, "सख्त कानूनों की जरूरत तो है ही, साथ में मानसिकता बदलने की भी जरूरत है। जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, सख्त कानून कारगर नहीं होंगे।"

प्रसून ने अपनी कविता में फिल्मों में महिलाओं पर लिखे गए अश्लील गानों पर भी कटाक्ष किया है। क्या उन्हें फिल्म जगत से नकारात्मक फीडबैक का डर नहीं सताया? इस पर वह कहते हैं, "मैं नकारात्मकता की परवाह नहीं करता। मैं कवि हूं और मैंने अपनी लेखनी से हमेशा सच्चाई को ही पेश किया है। सिनेमा में बदलाव की जरूरत है। आजकल महिलाओं पर इस तरह के भद्दे बोल वाले गाने बन रहे हैं, जिन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।"

वह आक्रोशित लहजे में कहते हैं, "इन गानों ने महिलाओं की इज्जत तार-तार कर दी है। इस तरह के गाने लिखने वाले और गाने वाले लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिए।" प्रसून ने अपनी कविता में भी इसका जिक्र किया है। वह लिखते हैं-"शर्म आ रही है ना, उन शब्दों को, उन गीतों को, जिन्होंने उसे कभी, शरीर से ज्यादा नहीं समझा।"

प्रसून अपने करियर की शुरुआत से लेकर अब तक के सफर में काफी बदलाव देख चुके हैं। वह कहते हैं, "मेरी पहली पुस्तक 17 साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी जिसे कोई खरीदता नहीं था। लगातार दो-तीन पुस्तकें प्रकाशित होने के बाद मुझे समझ में आ गया कि कविता मुझे पाल नहीं सकती। मुझे ही कविता को पालना पड़ेगा।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं विज्ञान का छात्र था। बाद में मैंने एमबीए किया और फिर मुझे विज्ञापन के क्षेत्र में काम करने का मौका मिला, जहां से मेरी जिंदगी में एक बदलाव आया। मुझे विज्ञापन जगत से जुड़ने से बहुत फायदा हुआ। मैं कई अच्छे संगीतकारों और अभिनेताओं के संपर्क में आया। जिसमें आमिर खान, ए.आर.रहमान और शंकर अहसान लॉय जैसे लोग हैं, जो मेरे अच्छे दोस्त हैं।"

वह कहते हैं, "मुझे गीत लिखने का मौका मिला, लेकिन मैंने कविता का साथ कभी नहीं छोड़ा। मैंने सोचा कि मैं गीतों के माध्यम से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकूंगा। मैंने 'हम तुम', 'रंग दे बसंती', 'फना' जैसी कई फिल्मों में काम किया। इसके साथ ही सामाजिक कुरीतियों पर लगातार लिखता रहा। मैंने मुंबई बम हमले पर भी लिखा।"

प्रसून फिलहाल, कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। वह एक टेलीविजन सीरीज में भी व्यस्त हैं। प्रसून कहते हैं, "मैं अभी लेखन पर काम कर रहा हूं। मैं अभी अपनी कविता की पुस्तक पर काम कर रहा हूं। मैं इसे साल के अंत तक पाठकों के बीच पेश करना चाहता हूं। एक पौराणिक टीवी सीरीज पर काम कर रहा हूं।"

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के विदेशी महिलाओं को छोटे कपड़े पहनने की सलाह वाले बयान पर प्रसून कहते हैं, "आजकल बयानों को तोड़-मरोड़कर भी पेश किया जाता है। मैं इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि किसी भी बयान पर प्रतिक्रिया देने से पहले पूरी सच्चाई जान लेनी चाहिए।"

प्रसून राजनीति को गलत नहीं समझते, बशर्ते कि उससे किसी को नुकसान न हो। उन्होंने बताया, "राजनीति गाहे-बगाहे हमारे जीवन का हिस्सा है। राजनीतिकरण कोई नई चीज नहीं है। आप इतिहास उठाकर देख लें किसी भी युग में रानजीति जीवन से जुड़ी हुई रही है।

वह भविष्य में राजनीति के क्षेत्र में हाथ आजमाने को लेकर संशय में हैं। बकौल प्रसून, "मैंने कभी सक्रिय राजनीति से जुड़ने के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा है।"

प्रसून अपने दूसरे अलबम 'मन के मंजीरे' को अपने दिल के बहुत ही करीब पाते हैं, क्योंकि इसी अलबम के बाद उन्होंने अपना पहला गीत लिखा था।

16 सितंबर को प्रसून का जन्मदिन भी है और हर बार की तरह वह इस बार भी अपने करीबी दोस्तों और परिवार के साथ ही जन्मदिन मनाने की सोच रहे हैं। हालांकि, प्रसून कहते हैं, "जन्मदिन मेरे लिए एक सामान्य दिन ही है। मैं जन्मदिन मनाने को लेकर कभी उत्साह में नहीं रहा।"

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