मुनाफावसूली के कारण सपाट बंद हुआ बाजार (साप्ताहिक समीक्षा)

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पोरिस्मा पोंपी गोगोई/रोहित वैद

मुंबई, 9 जुलाई (आईएएनएस)| भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली, नकारात्मक वैश्विक संकेतों और रुपये की कमजोर चाल के कारण शुक्रवार को सप्ताहभर की जबरदस्त बढ़ोतरी को वापस खींच लिया।

सेसेंक्स के सभी प्रमुख सूचकांक अच्छी खरीदारी, अच्छे मॉनसून और स्थिर रुपये के बावजूद सपाट या फिर लाल निशान के साथ बंद हुए।

बीएसई (बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के 30 प्रमुख शेयर साप्ताहिक आधार पर 18.01 अंकों या 0.06 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 27,126.90 पर बंद हुए।

इसी प्रकार निफ्टी (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के 51 प्रमुख शेयर 5.15 अंक या 0.06 फीसदी गिरकर 8,323.20 पर बंद हुए।

इक्विरीयस सिक्युरिटीज के इक्विटी प्रमुख पंकज शर्मा ने आईएएनएस को बताया, "ब्रेक्सिट और ब्रेक्सिट उथलपुथल से दुनिया भर के बाजारों के काफी अच्छी तरह उबरने के बाद यह सप्ताह सचमुच काफी उबाऊ रहा। भारतीय बाजार में इस सप्ताह काफी कम रेंज में कारोबार हुआ और ऐसा कोई संकेतक नहीं दिखा जो बाजार को दिशा दे सके।"

हालांकि प्रमुख सूचकांकों में सप्ताह के शुरुआत में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली थी और 2016 के सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंच गए थे। उस दौरान शेयर बाजारों में लगातार छह सत्रों से बढ़ोतरी हो रही थी।

लेकिन यह सकारात्मक भावना जल्द ही खत्म हो गई, जब निवेशक मिले-जुले वैश्विक संकेतों के कारण मुनाफावसूली में जुट गए और उन्होंने अच्छे मॉनसून के संकतों की परवाह भी नहीं की।

प्रमुख आंकड़ों ने भी भावनाओं को रोकने में अहम भूमिका निभाई। निक्केई इंडिया सर्विसिस पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) गिरकर सात महीनों के सबसे निचले स्तर पर 50.3 पर आ गया, जो पिछले महीने मई 2016 में 51 पर था।

इसके अलावा, प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजों, वैश्विक घटनाक्रमों पर छाई अनिश्चितता जैसे अमेरिका एक एफओएमसी के मिनट्स के जारी होने और गैरकृषि पेरोज के जारी होने से निवेशकों का आत्मविश्वास प्रभावित हुआ, जिससे बाजार में गिरावट आई।

फिर भी घरेलू स्तर पर कई संकेत ऐसे रहे जो बाजार में उत्साह जगानेवाले थे। जैसे ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) का ज्यादा पैसा शेयर बाजार में निवेश करने की चर्चा हुई। साथ ही सरकार ने एसयूयीटीआई (स्पेशल अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया) की हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई।

हालांकि इससे निवेशक खरीदारी की ओर प्रेरित हुए और कीमतें थोड़ी बढ़ीं। लेकिन शेयर बाजार वापस हरे निशान पर नहीं आ सका।

ट्रेडबुल्स के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ध्रुव देसाई का कहना है कि पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजारों में निवेशकों ने बिकवाली का रुख बनाए रखा, खासतौर से मुनाफावसूली और कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण बाजार में गिरावट आई।

एंजल ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख वैभव अग्रवाल का कहना है, "इस सप्ताह बाजार में मिलाजुला रुख देखने को मिला। क्योंकि पहले दो सत्रों में बाजार में बढ़त देखी गई, लेकिन बाकी के दो सत्रों में गिरावट देखी गई।"

बुधवार को ईद-उल-फितर के अवसर पर शेयर बाजार बंद थे।

अग्रवाल कहते हैं, "बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी में 0.06 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, बीएसई के मिडकैप सेंसेक्स में 0.19 फीसदी और स्मॉलकैप में 0.76 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली।"

सेक्टरों के आधार पर वाहन सूचकांक में सबसे ज्यादा 0.63 फीसदी की तेजी रही। उसके बाद स्वास्थ्य सेवाएं (0.43 फीसदी) और उपभोक्ता गैर अनिवार्य वस्तु एवं सेवाएं (0.23 फीसदी) रहीं।

वहीं, दूसरी तरफ दूरसंचार सूचकांक में सबसे ज्यादा 2.20 फीसदी की गिरावट देखी गई, उसके बाद पूंजीगत वस्तु में 0.99 फीसदी और तेल व गैस में 0.98 फीसदी की गिरावट रही।

वहीं, प्रमुख शेयरों में एशियन पेंट्स में सबसे ज्यादा 2.38 की वृद्धि हुई। उसके बाद टाटा मोर्ट्स (2.19 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (1.90 फीसदी), सिप्ला (1.27 फीसदी) और डॉ. रेड्डी लैब (0.86 फीसदी) रहे।

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