दिल्ली : टैंकर घोटाले के शोर में दब रही प्यासे ग्रामीणों की आवाज

राष्ट्रीय, खरी बात

नई दिल्ली, 12 जुलाई| दिल्ली के ज्यादातर गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं, लेकिन पानी टैंकर घोटाले पर राजनीतिक पार्टियां आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में लगी हैं। दिल्ली के कई गांवों में पानी के पाइपलाइनों की व्यवस्था नहीं है तो कहीं लोग स्वच्छ पानी का रोना रो रहे हैं। इन सबके बीच दिल्ली के जलमंत्री पानी की किल्लत न होने और बड़ी संख्या में पाइपलाइन लगाने का भरोसा दिला रहे हैं।

दिल्ली के कुछ गांवों में पानी की किल्लत इस कदर है कि लोग धीरे-धीरे गांव छोड़कर अन्य स्थानों पर बस रहे हैं, लेकिन सरकार पानी टैंकर घोटाले के आगे-पीछे ही डोल रही है। दिल्ली में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार में 2012 में पानी टैंकर घोटाला हुआ लेकिन इसकी आंच अब 2016 में केजरीवाल सरकार तक भी आ पहुंची है। इन पांच वर्षो में सरकार बदल गई लेकिन दिल्ली के गांवों में पानी की किल्लत जस की तस बनी हुई है।

दिल्ली के जलमंत्री कपिल मिश्रा से जब आईएएनएस ने इस घोटाले पर हो रही राजनीति के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "टैंकर घोटाला शीला सरकार के समय हुआ। हमने तो कार्रवाई की, लेकिन उल्टा हमें ही फंसा दिया गया।"

दिल्ली के ज्यादातर गांव पानी की कमी का रोना रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइनों की व्यवस्था नहीं है। पानी है लेकिन वह स्वच्छ और पीने योग्य नहीं है। पानी की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते रहे हैं। भाजपा से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी टैंकर घोटाले पर एक-दूसरे को घेर रही हैं।

दिल्ली के जटखोड़ गांव के रामपाल दहिया ने आईएएनएस को बताया, "हर साल गर्मी में पानी की किल्लत होती है। हमें तो इसकी आदत हो गई है अब किससे शिकायत करें। ये लोग आपस में टैंकर घोटाले पर लड़ रहे हैं और बीच में जनता पिस रही है।"

आईएएनएस ने जब कपिल मिश्रा को दिल्ली के ग्रामीणों की परेशानी से अवगत कराया तो उन्होंने कहा, "हमने पिछले साल 218 कॉलोनियों में पाइपलाइनें बिछाई हैं और इस साल भी हम बड़ी संख्या में पाइपलाइप बिछा रहे हैं। अगले साल दिसंबर तक दिल्ली के शहरी से लेकर ग्रामीण सभी क्षेत्रों में पाइपलाइनों से पानी पहुंचाया जाएगा।"

गौरतलब है कि दिल्ली में 2012 में शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते टैंकर घोटाला हुआ था। शीला सरकार पर पानी की सप्लाई के लिए 385 स्टेनलेस स्टील टैंकरों को किराए पर लेने में निजी कंपनी को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप है। केजरीवाल सरकार ने इसकी जांच करवाई, लेकिन उपराज्यपाल को एक साल बाद रिपोर्ट सौंपी गई।

मिश्रा ने बताया, "आम आदमी पार्टी ने जून 2015 में शीला सरकार में 385 टैंकरों की खरीद की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। अगस्त, 2015 में यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री केजरीवाल को सौंप दी गई। इसमें पानी के टैंकर खरीदने में बरती गई अनियमितता को उजागर किया गया था।"

हालांकि, ऐसी भी कुछ खबरें थीं कि रिहायशी कॉलोनियों में व्यावसायिक दरों पर पानी की सप्लाई हो रही है, लेकिन कपिल मिश्रा इसे खारिज करते हुए कहते हैं, "मेरी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है। यह सिर्फ राजनीति से प्रेरित अफवाहें हैं।"

दिल्ली के घेवरा गांव के रवि शौकीन ने आईएएनएस को बताया, "हमारे गांव में पानी की बहुत किल्लत है, जबकि आसपास के गांवों में पानी की सप्लाई अच्छी है। हर दूसरे-तीसरे दिन पानी खरीदना पड़ता है जो जेब पर भारी पड़ रहा है। यही वजह है कि कुछ लोग तो गांव छोड़कर जा भी चुके हैं, लेकिन हमारी तो खेती-बाड़ी ही यहीं है। कहीं और पलायन भी नहीं कर सकते।"

पिछले कुछ समय से दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण की खबरें मीडिया में आती रही हैं, लेकिन जलमंत्री जोर देकर कहते हैं, "जल बोर्ड के निजीकरण का सवाल ही नहीं उठता। हम इसके खिलाफ हैं।"

उन्होंने दिल्ली में पानी से जुड़ी किसी भी तरह की शिकायत के लिए '1916' पर संपर्क करने के लिए कहा है।

दिल्ली में पानी से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही संस्था 'स्वेच्छा' के निदेशक कमलकांत ने आईएएनएस को बताया, "एक घोटाला हुआ, उसकी जांच चल रही है, लेकिन सरकार तो सारे मुद्दे भूलकर इसी में ही फंसी हुई है। दिल्ली के कुछ गांवों की हालत बहुत बदहाल है। इस दिशा में कुछ करना होगा, वरना चुनाव तो हर पांच साल में होते ही हैं।"

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