सर्जिकल स्ट्राइक के बीच सलामती के लिए भयभीत कश्मीरी

राष्ट्रीय, फीचर

शेख कयूम

श्रीनगर, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय सेना द्वारा बुधवार रात नियंत्रण रेखा पारकर आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक से कश्मीर के लोगों में न सिर्फ भय और बेचैनी व्याप्त है, बल्कि उन्हें इस पर विश्वास तक नहीं हो रहा है।

उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले में नियंत्रण रेखा के आसपास रहने वाले लोगों ने कहा है कि वे पहले से ही सुरक्षित इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं। बारामूला जिले में उरी स्थित सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर 18 सितंबर को आतंकवादियों के हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

भारतीय स्पेशल फोर्सेज द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की खबर फैलते ही श्रीनगर में लोग आम दिनों से पहले अपने घर की ओर रुख करते दिखे।

बीती आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में मौत के बाद हिंसक प्रदर्शनों के कारण कश्मीर घाटी लगातार 83 दिनों से बंद है। लेकिन, घाटी में फिलहाल कहीं भी कर्फ्यू नहीं लगा है।

उत्तर कश्मीर के गांदेरबल जिले के एक व्यापारी जहूर अहमद (52) ने कहा, "चाकू खरबूजे पर गिरे या तरबूजा चाकू पर गिरे, कटना तो आखिर खरबूजे को ही है।"

उन्होंने जोर देते हुए कहा, "भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध में हमेशा सबसे ज्यादा कश्मीरी ही प्रभावित होते हैं और भगवान न करे कि अगर अभी युद्ध हो, तो हमारा सबसे बुरा हाल होगा।"

सन् 1965 में भारत व पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध का स्मरण करते हुए अब्दुल गनी (58) ने कहा, "क्या हमारी हालत फिर से बदतर होने वाली है? क्या वे (भारत व पाकिस्तान) सचमुच में उस युद्ध के लिए इतना पागल हो चुके हैं, जो दोनों को बर्बाद कर देगा?"

गनी ने 65 की जंग का स्मरण करते हुए कहा, "उस दौरान, मेरी मां ने काफी पहले खाना खिलाकर हमें एक अंधेरे कमरे में छिपा दिया होगा।"

कई ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें लगता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं होगा, क्योंकि पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक की बात से इनकार किया है।

एक कॉलेज में प्राचार्य मुजफ्फर अहमद ने कहा, "मेरा मानना है कि यह केवल सीमा पार से गोलीबारी है, जिसमें दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई है, जबकि नौ अन्य घायल हुए हैं। अपने अभिमान को संतुष्ट करने के लिए इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान जैसा देश अपने क्षेत्र में सर्जिकल स्ट्राइक की बात को हलके में लेगा और ऐसा होने पर भी इससे इनकार कर देगा।"

एक अधिकारी ने कहा, "आज की घटना के बाद उरी इलाके में लोग अपने परिवारों के साथ सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं।"

खबरों के मुतबिक, केंद्र ने राज्य सरकार से कहा है कि वह जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार आतंकवादियों के खिलाफ नियंत्रण रेखा पर कड़ा रुख अख्तियार करे। लेकिन, बुधवार रात की घटना पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन के किसी नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की है।

राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि यह इंतजार करो और देखो की स्थिति है, जबकि सीमांत इलाकों से लोगों को हटाने की योजना पहले से ही तैयार है।

एक स्थानीय वकील सुहेल अहमद (32) ने कहा, "हम अपने-अपने टेलीविजनों से चिपके हैं। लड़ाकू विमानों के हमारे सिर पर मंडराने से पहले ही इन टेलीविजन चैनलों ने दोनों देशों के बीच एक तरह से युद्ध की घोषणा कर दी है।"

उन्होंने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि समाचार चैनलों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाला हर प्रस्तोता एक पैदल सैनिक हो और वह पहले से ही लड़ाई लड़ रहा हो।"

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