गोकशी के आरोप में दलितों की पिटाई के खिलाफ सौराष्ट्र में विरोध की लहर, आत्महत्या का प्रयास

राज्य, राष्ट्रीय

राजकोट, 18 जुलाई (आईएएनएस)| सौराष्ट्र में सोमवार को दो अलग-अलग घटनाओं में सात दलित युवकों ने आत्महत्या के प्रयास किए। पिछले हफ्ते गिर-सोमनाथ जिले के ऊना शहर में गोकशी के आरोप में चार दलित लड़कों की पिटाई के खिलाफ पूरे सौराष्ट्र में विरोध की लहर फैली हुई है। अधिकारियों ने कहा कि पांच दलितों ने गोंडाल तालुका शहर में जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या के प्रयास किया जबकि दो ने राजकोट जिले के जामकांदोराना शहर में ऐसा किया।

इन लोगों को तत्काल गोंदाल के सिविल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। वहां बड़ी संख्या में जुटे लोग पुलिस से बहस करने लगे।

दलितों ने जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और जो लोग दलित समुदाय के उत्पीड़न में शामिल हैं, उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने गांवों और शहरों से मरे हुए जानवरों को ले जाना बंद करने की भी धमकी दी है जो वे परंपरागत रूप से करते रहे हैं।

समुदाय के गुस्साए लोगों ने सरकारी बसों पर पथराव भी किया। प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

राजकोट (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक आंतरिप सूद ने कहा कि हम लोगों ने स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर ली है और अब स्थिति नियंत्रण में नजर आ रही है।

ऐसे ही दृश्य सुरेंद्र नगर जिले में भी देखने को मिले। वहां लोग मरे हुए जानवर लेकर आए और विरोध स्वरूप मामलातदार कार्यालय परिसर में इन्हें रखकर इन्हें वहां से हटाने से इनकार कर दिया। उन्होंने ऊना की घटना के विरोध में शहर में जुलूस भी निकाला।

पिछले हफ्ते दलित समुदाय के कुछ सदस्यों की पिटाई करते लोगों का एक वीडियो वायरल हुआ था। एक मरी हुई गाय की खाल उतारने पर दलित बच्चों की पिटाई करने वाले लोगों ने खुद को गोरक्षक होने का दावा किया था।

घटना के चार दिनों बाद मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को ट्वीट कर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा है कि उन्हें इस घटना से बहुत दुख हुआ है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था।

उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सभी आवश्यक कदम उठा रही है और आठ आरोपी गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। एक पुलिस निरीक्षक और तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट में कहा है कि हमारे मंत्री और संसदीय सचिव ने घटनास्थल का दौरा किया है। उत्पीड़न के शिकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए सरकार की ओर से एक-एक लाख रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया गया है।

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