वित्तमंत्री अरूण जेटली का बयान हास्यास्पद और गुमराह करने वाला, हडताल पर कायम ट्रेड यूनियन्स

राज्य, राष्ट्रीय

भोपाल: 31 अगस्त/ इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी, सेवा तथा बैंक, बीमा, बीएसएनएल, राज्य व केन्द्रीय कर्मचारियों के संगठनों के नेताओं की संयुक्त पत्रकार वार्ता में नेताओं ने कहा की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व बैंक, बीमा, रक्षा, बीएसएनएल, राज्य व केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों, ट्रांसपोर्ट, बन्दरगाह, कोयला, दवा प्रतिनिधियों, आंगनवाडी, हम्माल-पल्लेदार सहित तमाम क्षेत्रों के महासंघों नें न केवल श्रमिकों बल्कि पूरी आम जनता से जुडी मांगों के 12 सूत्रीय मांगपत्र के समाधान के लिये 2 सितंबर 2016 को देशव्यापी आम हड़ताल का आव्हान किया है। पिछले 5 माह से देश भर मे इस हडताल की व्यापक तैयारियां चल रही है। लेकिन इस समूची अवधि में केन्द्र द्वारा गठित मंत्रियों के समूह ने हडताल का आव्हान करने वाले संगठनों से न तो कोई चर्चा की और न ही कोई सम्पर्क किया। यह कितना आपत्तिजनक है कि हडताल से सम्बन्ध में भ्रम फैलाने और तोडफ़ोड करने की साजिश के तहत सरकार के नुमाइन्दो ने न सिर्फ हडताल का आव्हान न करने वाली एक ट्रेड यूनियन से बातचीत की बल्कि देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने देश के श्रमिकों को गुमराह करने वाली पत्रकार वार्ता कर अपना बयान भी दिया।

इन परिस्थितियों में हड़ताल करने का आव्हान करने वाले सभी संगठनों ने अपने आव्हान पर कायम रहने की घोषणा की है।

अरूण जेटली की पत्रकार वार्ता गुमराह करने वाली

ट्रेड यूनियन्स की 12 सूत्रीय मांगों में से मुख्य मांगों को मान लेने की घोषणा करने के लिये केन्द्र सरकार के मंत्रीसमूह की कल हुई पत्रकार वार्ता की घोषणाएं न सिर्फ झूठ का पुलिन्दा है बल्कि पूरी तरह गुमराह करने वाला भी है। इस पत्रकार वार्ता में वित्त मंत्री ने यह बयान दिया है कि केन्द्र सरकार न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद की सिफारिश को मानते हुए 350 रुपये प्रतिदिन (माह में 26 दिन का 9100 रुपये वेतन) करने की मांग मान रही है। जबकि सच्चाई यह है कि कल 30 अगस्त 2016 को ही अपरान्ह 3 बजे न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद की बैठक की शुरुआत हुई जिसमें सभी श्रमिक प्रतिनिधि 18,000 रुपये के न्यूनतम वेतन की अपनी मांग पर कायम रहे। इन हालातों में यह बैठक बेनतीजा ही समाप्त हुई। जब बैठक ही बेनतीजा समाप्त हुई तो फिर वित्तमंत्री बैठक की अनुशंसा को मान लिए जाने की घोषणा किस आधार पर कर रहे हैं। साफ तौर पर उनका यह बयान गुमराह करने वाला है।

आंगनवाड़ी, मध्यान्ह भोजन, आषा-ऊषा सहित तमाम योजनाकर्मियों के वैधानिक हक को वित्तमंत्री ने नकारा

कल हुई इस पत्रकार वार्ता में उपरोक्त श्रेणी के सभी योजनाकर्मियों को वित्तमंत्री ने न्यूनतम वेतन के दायरे से ही बाहर बता दिया। उन्होंने साफ कहा कि यह सभी योजनाकर्मी श्रमिक न होकर वालंटियर (स्वयंसेवक) हैं इसलिए उन्हें न्यूनतम वेतन दिया ही नहीं जा सकता। ज्ञातव्य हो कि 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन ने (जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया व केन्द्र सरकार जिसमें एक पक्ष के रूप में सहभागी थी) ने सर्वसम्मति से योजनाकर्मियों को श्रमिक मानते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा लाभ देने की अनुशंसा की है। इस अनुशंसा को केन्द्र सरकार को लागू करना है। लेकिन अब वित्तमंत्री केन्द्र सरकार की राय से तय इस सर्वसम्मति अनुशंसा को ही नकार कर 2 करोड़ योजनाकर्मियों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं।

वित्तमंत्री ने एक और घोषणा और की है कि आंगनवाड़ी सहित तमाम योजनाकर्मियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के प्रश्न पर एक समिति गठित की जायेगी। ऐसी ही घोषणा एक वर्ष पूर्व (26-27 अगस्त 2015) को केन्द्र सरकार की ओर से की गई थी जिस पर आज तक कुछ नहीं किया गया। ज्ञातव्य हो कि इस संबंध में ईएसआई कार्पोरेशन जो प्रस्ताव दे रहा है वह तो इन्हें सामाजिक सुरक्षा देने के बजाय इनको मिलने वाले नगण्य मानदेय में से बड़ी राशि हड़पने की है। जहां ईएसआई कानून के तहत इसमें शामिल मजदूरों को अपने वेतन का 1.75% देकर असीमित कवरेज प्राप्त होता है वहीं इन योजनाकर्मियों को प्रस्ताव के अनुसार प्रतिमाह 250 रुपये का अंशदान देकर सीमित कवरेज ही मिलेगा। यह राशि आंगनवाड़ी कर्मियों के मानदेय का 8.3%, सहायिकाओं के मानदेय का 16% एवं मध्यान्ह भोजन कर्मियों के मानदेय का 25% बनता है। सवाल यह है कि इससे क्या इन्हें सामाजिक सुरक्षा दी जावेगी या लूटा जाएगा?

किसी भी मुख्य मुद्दे पर न तो कोई बात मानी और न ही कोई ठोस आश्वासन दिया

18,000 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन, बोनस-ग्रेच्युटी की सीमा समाप्ति, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन की वापसी, ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाकर समान काम-समान वेतन लागू कराने, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण पर रोक, रेल-रक्षा-बीमा-खुदरा बाजार में एफडीआई पर रोक, केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन आयोग विसंगति के मुद्दों, मंहगाई रोकने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली को प्रभावी करना व खाद्य़ान्नों में वायदा व्यापार पर रोक, 3 करोड़ ट्रांसपोर्ट कर्मियों पर कुठाराघात करने वाले प्रस्तावित मोटर वाहन कानून को वापस लेने जैसे किसी भी मुद्दे पर केन्द्र सरकार के मंत्री समूह ने न तो कोई स्पष्ट बात मानी और न ही कोई ठोस आश्वासन दिया। वित्तमंत्री ने इस पत्रकार वार्ता में वही गोलमोल बातें दोहराई जो पिछले एक साल से सरकार की ओर से कही जा रही हैं तथा जो आज तक कार्रवाई के इंतेजार में है।

भ्रामक प्रचार का मुकाबला कर बनायेंगे हड़ताल को कामयाब

हड़ताल का आव्हान करने वाले सभी ट्रेड यूनियन्स व महासंघ केन्द्र सरकार के इस भ्रामक प्रचार की तीव्र निन्दा करते हैं। सभी संगठन अपने आव्हान पर कायम रहने को कृतसंकल्पित करते हुए घोषणा करते है कि आगामी दो दिनों में आम मजदूरों व कर्मचारियों व जनता के बीच सरकार के इस भ्रामक प्रचार को बेनकाब कर 2 सितम्बर 2016 की हड़ताल को अभूतपूर्व रूप से सफल बनायेंगे।

म.प्र. में औद्योगिक हड़ताल के साथ ट्रांसपोर्ट क्षेत्र भी होगा ठप्प

देशभर के साथ समूचे प्रदेश में इस हड़ताल के अभियान को व्यापक समर्थन मिल रहा है। ट्रांसपोर्ट क्षेत्र को देशी-विदेशी खरबपतियों के हवाले कर छोटे ट्रांसपोर्टर, ड्रायवर-कंडक्टर-क्लीनर, मैकेनिक, ऑटोपार्टस विक्रेता आदि की आजीविका छीनने वाले प्रस्तावित मोटर वाहन कानून के खिलाफ व्यापक आक्रोश सामने आया है। यह तय है कि म.प्र. में तमाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों, बैंक, बीमा, सरकारी दफ्तरों के साथ ट्रांसपोर्ट कर्मी व असंगठित क्षेत्र के लाखों-लाख श्रमिक भी इस हड़ताल में पूरी ताकत से शामिल होंगे।

हड़ताल के दिन प्रदेशभर में निकलेंगी रैलियां, होंगे प्रदर्शन व सभायें

2 सितम्बर को हड़ताल के दिन विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक व कर्मचारी अपने-अपने संस्थानों में हड़ताल कर अपने अपने कार्यक्रम करने के बाद शहरों-नगरों में एकजुट होकर संयुक्त रैलियां-प्रदर्शन व सभायें करेंगे। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों, औद्योगिक क्षेत्रों व केन्द्रों के साथ तहसील व विकासखंड स्तर पर यह कार्यक्रम किये जायेंगे। भोपाल में 2 सितम्बर के दिन विभिन्न स्थानों पर हड़ताली कार्यवाही के साथ दोपहर 12.30 बजे स्थानीय यादगारे-शाहजहानी पार्क से एक विशाल संयुक्त रैली निकलेगी।

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