औसत मॉनसून के बावजूद 37 फीसदी जिलों में कम बारिश

राष्ट्रीय, फीचर

अभिषेक वाघमारे

नई दिल्ली, 4 सितम्बर (आईएएनएस)| लगातार दो सालों तक सूखे के बाद भारत में औसत बारिश देखी जा रही है, जोकि अगस्त के अंत तक 100 फीसदी के औसत से 2 फीसदी कम थी। लेकिन इसके बावजूद देश के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से में कम बारिश हुई है।

भारतीय मौसम विभाग के 641 में से 640 जिलों के उपलब्ध आंकड़ों से करीब 221 जिलों में चार महीने की मॉनसून अवधि के पहले तीन महीनों में कम बारिश हुई है। इसका मतलब यह है कि सितंबर में होनेवाली बारिश इन जिलों के लिए काफी जरूरी बन गई है ताकि कमी को पूरा किया जा सके।

खरीफ फसलों की बुआई अगस्त अंत तक 5 फीसदी अधिक हुई। इस दौरान भारत के आधे जिलों में औसत बारिश देखी गई। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी वित्त वर्ष 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा, "18 अगस्त तक कुल बारिश दीर्घकालिक औसत स्तर से 9 फीसदी कम रही है। इसके कारण खरीफ फसलों की बुआई में 6.5 फीसदी की बढो़तरी हुई है।"

मॉनसून की सबसे ज्यादा कमी उत्तर पूर्वी भारत में देखी गई, जहां औसत से 30 से 40 फीसदी कम बारिश हुई। इसके बाद पंजाब, हरियाणा, गुजरात और केरल रहे, जहां 20 से 30 फीसदी कम बारिश हुई।

राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में औसत से 20 फीसदी अधिक बारिश हुई। अगस्त के अंत तक दालों की बुआई 40 फीसदी अधिक हुई है तथा नगदी फसलों गन्ने और कपास की बुआई औसत से 15 फीसदी कम हुई है।

इस साल मॉनसून के तीन महीनों में 2012, 2014 और 2015 की तुलना में अधिक बारिश हुई, लेकिन 2011 और 2013 की तुलना में कम बारिश हुई।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारित मंच, इंडिया स्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत।)

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