जब टीवी पत्रकार को उठानी पड़ी शर्मिदगी..

खरी बात, फीचर

मोहम्मद आसिम खान

संप्रदायवाद के जहर से युवा रंगरूटों को छुटकारा दिलाने के लिए जितना जल्द हो सके भारत में पुलिस सुधार होना चाहिए। यह बात एक अवकाश प्राप्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कही।

पूर्व पुलिस महानिदेशक विभूति नारायण राय ने कहा कि अगर सांप्रदायिक दंगा होता है तो सुरक्षा बलों को भी उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।

राय ने आईएएनएस से कहा, "पुलिस प्रशिक्षण के दौरान मुख्य रूप से शारीरिक और हथियार चलाने के प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है। एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक डर या उसे एक अच्छा मानव बनाने पर शायद ही ध्यान दिया जाता है।"

उन्होंने कहा, "सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों की जड़ें इतनी गहरी हैं कि तथ्यों की जांच करने की चेष्टा लोग शायद ही कभी करते हैं।"

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस प्रशिक्षण स्तर पर तुरंत हस्तक्षेप करने की जरूरत है। प्रशिक्षण देने के लिए अच्छे मनोवैज्ञानिकों, व्यवहार वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और इतिहास के शिक्षकों की सेवा लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा, "पुलिस कर्मियों को इतिहास और समाजशास्त्र जरूर पढ़ाया जाना चाहिए।"

राय एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक जानेमाने लेखक भी हैं। वह पहले पुलिस अधिकारी थे जिन्होंने 1987 में उत्तर प्रदेश में मेरठ के निकट हाशिमपुरा में प्रांतीय सशस्त्र बलों द्वारा 42 निर्दोष लोगों की हत्या का भंडाफोड़ किया था। इस घटना को हाशिमपुरा नरसंहार के रूप में जाना जाता है।

लेकिन लंबी लड़ाई के बावजूद किसी को भी दंडित नहीं किया गया।

हाशिमपुरा नरसंहार पर राय की पेंगुइन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हाल में विमोचन हुआ। उनका मानना है कि इस तरह की माफी का जरूर अंत होना चाहिए।

एक साक्षात्कार में राय ने कहा, "दायित्व तय करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। हाशिमपुरा जैसे भयानक कांड करने वाले किसी भी व्यक्ति को बेदाग नहीं निकलने देना चाहिए।"

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस सुधार के जरिए बल में सभी समुदायों, जातियों और क्षेत्रों के लोगों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होना चाहिए। अंतर्मिश्रण से कई तरह के पूर्वाग्रह स्वत: समाप्त हो जाएंगे।

राय ने कहा कि ब्रिटिश ने पुलिस को क्रूर बना दिया था, लेकिन भारतीय नेतृत्व पुलिस का चरित्र बदलने और मानवीय एवं मित्रवत बनाने के लिए प्रयास क्यों नहीं करते हैं?

उन्होंने कहा कि शायद राज्य का खौफ पैदा के लिए पुलिस को क्रूर बनाने वाली शक्तियां पसंद की जाती हैं।

राय ने कहा, "दंगों के दौरान मुस्लिम पुलिस पर भरोसा नहीं करते हैं और उन्हें अपना दुश्मन के रूप में देखते हैं। और ये धारणाएं हवा में नहीं बनी हैं। इस तरह की धारणाओं के आधार हैं।"

असहिष्णुता के सवाल पर राय ने कहा कि आज शायद ही वैसी कोई चीज है जिसकी तुलना 1980 और 1990 के दशकों से की जा सकती है, जब राम जन्म भूमि आन्दोलन अपने चरम पर था।

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने आईएएनएस से कहा कि जिस तरह के सांप्रदायिक विभाजन किसी ने 1980 के दशक में देखा वह अब निर्मित नहीं किया जा सकता है।

इसका एक मात्र कारण सक्रिय मीडिया, खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया है। हाशिमपुरा नरसंहार का उल्लेख करते हुए राय ने कहा, "इन दिनों आप इस तरह के दोष से मुक्त नहीं हो सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का एक बड़ा धड़ा सांप्रदायिक राजनीति से निराश है। उन्होंने नरेंद्र मोदी को विकास के लिए वोट दिया, न कि सांप्रदायिक कारणों कारणों से।

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