JS NewsPlus - шаблон joomla Продвижение
BREAKING NEWS
विकास दर बनाए रखने के लिए अभिनव सोच जरूरी : ली केकियांग
महिला गोल्फ : इंडिया ओपन के पहले दिन एमिली शीर्ष पर
पीसीपीएनडीटी एक्ट में बदलाव लाएं : आईएमए
ताइवान में 26,600 से ज्यादा डेंगू से पीड़ित
बैडमिंटन : फ्रेंच ओपन से बाहर हुईं सायना
डॉ. शेखर बासु बने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष
आईएसएल : नॉर्थईस्ट युनाइटेड ने एटलेटिको को 1-0 से हराया
आत्मरक्षा के लिए दलितों को हथियार दिए जाएं : आरपीआई
वी़ क़े सिंह पर कार्रवाई करें मोदी : मांझी
चुनाव के बाद लालू, नीतीश का अस्तित्व खत्म हो जाएगा : शाह

LIVE News

विकास दर बनाए रखने के लिए अभिनव सोच जरूरी : ली केकियांग

महिला गोल्फ : इंडिया ओपन के पहले दिन एमिली शीर्ष पर

पीसीपीएनडीटी एक्ट में बदलाव लाएं : आईएमए

ताइवान में 26,600 से ज्यादा डेंगू से पीड़ित

बैडमिंटन : फ्रेंच ओपन से बाहर हुईं सायना

राजस्थान जल संरक्षण मिशन की शुरुआत 13 दिसंबर से

जयपुर, 19 सितंबर (आईएएनएस)। राजस्थान जल संरक्षण मिशन की शुरुआत 13 दिसम्बर से प्रदेश के 100 गांवों में एक साथ होगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर राजस्थान जल संरक्षण मिशन की कार्य मार्गदर्शिका प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया।

राजे ने कहा कि मिशन के अंतर्गत चयनित गांवों में जल संरक्षण से संबंधित सभी कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण हों, इसकी सुनिश्चितता होनी चाहिए ताकि जनता को इन कार्यो का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को जल के समुचित उपयोग के बारे में जागृत कर उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जाए।

राजस्थान जल संरक्षण मिशन के अन्तर्गत प्रथम वर्ष में चयनित होने वाले गांवों में 27 जनवरी, 2016 को एक साथ वृहद स्तर पर जल संरक्षण एवं संग्रहण के कार्य शुरू होंगे तथा 30 जून, 2016 तक इन सभी कार्यो को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा जाएगा ताकि आगामी वर्षा से प्राप्त होने वाले जल को संग्रहित किया जा सके।

राजस्थान जल संरक्षण मिशन का मुख्य उद्देश्य आमजन की सहभागिता से गांवों को जल आत्मनिर्भर बनाकर पेयजल का स्थाई समाधान करना तथा उपलब्ध होने वाले जल का संग्रहण एवं संरक्षण कर सिंचाई क्षेत्रफल बढ़ाना है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Related items

  • पीसीपीएनडीटी एक्ट में बदलाव लाएं : आईएमए
    नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अल्ट्रसाउंड तकनीक के जरिये जन्म से पहले बच्चे का लिंग पता करने पर पाबंदी लगाने के लिए बने पीसीपीएनडीटी एक्ट के कारगर न होने पर चिंता प्रकट करते हुए केंद्र सरकार से इस अधिनियम में बदलाव लाने की मांग की है।

    आईएमए के अध्यक्ष डॉ. ए. मरतड पिल्लई और ऑनरेरी जनरल सेक्रेटरी व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि इस कानून से लिंग-अनुपात में सुधार नहीं देखा गया है, इसलिए इस मसले को प्रभावशाली ढंग से हल करने के लिए सामाजिक की बजाय मेडिकल दखलअंदाजी की ज्यादा जरूरत है।

    उन्होंेने कहा कि यह कानून फार्म भरने में हुई मामूली गल्तियों की वजह से डॉक्टरों को सजा दिलाने में प्रयोग हो रहा है, जिससे न सिर्फ मशीने जब्त कर ली जाती हैं, बल्कि डॉक्टरों पर मामले भी चलाए जाते हैं। इसलिए आईएमए ने इस कानून में सुधार के लिए कुछ सुझाव एकत्र किए हैं, जो इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

    पिल्लई और अग्रवाल ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट देश में लिंग अनुपात में सुधार के लिए बनाया गया था। फिर इसमें प्रयोग होने वाली तकनीक को नियंत्रित करने के लिए सुधार करके इसे पीसीपीएनडीटी एक्ट बनाया गया, जिसके जरिए जन्म से पहले बच्चे का लिंग पता करने पर पाबंदी लगाई गई। इसका मकसद अल्ट्रसाउंड तकनीक पर नियंत्रण कर बच्चे के लिंग के चुनाव और कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाना था।

    उन्होंने कहा कि डब्लयूएचओ के हालिया प्रकाशन में यह बात स्पष्ट कही गई है कि इसका हल तकनीक पर पाबंदी लगाने से नहीं होगा, क्योंकि इससे जुड़ी और कई समस्याएं है जिनका हल होना बाकी है।

    20 साल से कानून होने के बावजूद देश में लिंग-अनुपात में कोई बदलाव नहीं हुआ है, बल्कि इससे दो प्रमुख नकारात्मक परिणाम निकले हैं- अपने मौजूदा स्वरूप में यह कानून लोगों को अल्ट्रासोनोग्राफी के जीवन रक्षक फायदों से वंचित करता है, जबकि यह तकनीक अब पूरी दुनिया में चिकित्सा क्षेत्र का अहम हिस्सा बन चुकी है क्योंकि यह बिना किसी नुकसान के किफायती और उचित जांच प्रणाली है।

    इस कानून की वजह से इस तकनीक से लैस क्लिनिकों के लिए काम करना बेहद मुश्किल हो गया है। नियमित और जरूरी जांच के लिए भी डॉक्टरों और उनके स्टाफ को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। इस वजह से कई कुशल डॉक्टर भी यह स्कैन करने ये गुरेज करने लगे हैं, जिससे अल्ट्रासोनोग्राफी के माहिरों की कमी पैदा होने लगी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • डॉ. शेखर बासु बने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष
    नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के निदेशक डॉ. शेखर बासु ने शुक्रवार को मुंबई स्थित कार्यालय के मुख्यालय में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव के तौर पर पदभार संभाल लिया। वह डॉ. रतन कुमार सिन्हा का स्थान लेंगे।

    परमाणु ऊर्जा विभाग में करीब 42 वर्षो की उत्कृष्ट सेवा के बाद शुक्रवार को डॉ. रतन कुमार सिन्हा सेवानिवृत्त हो गए।

    अपना कार्यभार डॉ. बासु को सौंपते हुए डॉ. सिन्हा ने कहा कि पिछले 42 वर्षो से इस विभाग का एक अंग के तौर पर कार्य करने में उन्हें बेहद संतोष का अनुभव हुआ है और वे इस अवधि में दूरगामी प्रभावों के बहुत से ऐतिहासिक विकासों के साक्षी रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि आज भले ही वे अपने कार्यालय से सेवानिृत्त हो रहे हों पर उन्हें पूर्ण विश्वास है कि परमाणु ऊर्जा विभाग देश की बढ़ती हुई आवश्यकताओं को गतिशीलता के साथ पूरा करने की दिशा में अपने संकल्पों को पूर्ण करता रहेगा। उन्होंने डॉ. शेखर बासु को एईसी का अध्यक्ष और डीएई के सचिव का सफलतापूर्वक कार्यभार संभालने के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

    डॉ. बासु ने डॉ. रतन कुमार सिन्हा को धन्यवाद देते हुए विश्वास दिलाया कि वह देश की सेवा के समाजिक लक्ष्यों को पूरा करने और विज्ञान को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में अपने सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का पूर्ण प्रयास करेंगे।

    उन्होंने यह भी कहा कि परमाणु ऊर्जा के लाभ बहुआयामी है और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, खाद्य और जल सुरक्षा के क्षेत्र में भी इसका योगदान अहम है। डॉ. बासु ने कहा कि यूरेनियम के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ वर्तमान में जारी परियोजनाओं को पूरा करने को वह सबसे अधिक प्राथमिकता देंगे।

    उन्होंने कहा कि हम सबके समन्वित प्रयास देश को समग्र विकास और हर क्षेत्र में मजबूत राष्ट्र बनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ाएंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • आत्मरक्षा के लिए दलितों को हथियार दिए जाएं : आरपीआई
    नागपुर/मुंबई, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में दलितों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने मांग की है कि दलितों को आत्मरक्षा के लिए हथियार दिए जाएं।

    आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने नागपुर में कहा कि अगर पुलिस और सरकार दलितों पर हमले नहीं रोक सकतीं तो इन्हें आत्मरक्षा के लिए दलितों को हथियार का लाइसेंस देना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में दलितों पर हमले हो रहे थे और राजग सरकार में भी ये जारी हैं। "इसलिए दलितों के पास अपनी आत्मरक्षा करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।"

    अठावले और आरपीआई के कार्यकारी अध्यक्ष उत्तम खोबरागडे ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सुनपेड़ गांव में दलितों की हत्या के मामले में विवादित बयान देने के लिए केंद्रीय मंत्री वी.के.सिंह की आलोचना की।

    पूर्व सेनाध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा था कि हर घटना के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होती। कोई कुत्ते को पत्थर मार दे तो क्या इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी?

    अठावले ने कहा, "वी.के.सिंह जैसा इंसान, जो देश का सैन्य प्रमुख रह चुका है, वह अगर ऐसा बयान देता है तो यह वाकई में बहुत खेदजनक है। मैं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और (महाराष्ट्र के) मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से दलितों को हथियार देने पर बात करूंगा।"

    मुंबई में खोबरागडे ने कहा कि सिंह के खिलाफ दलितों पर अत्याचार रोकने से जुड़े कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाए।

    आरपीआई के दोनों नेताओं ने दलितों को हथियार दिए जाने की अपनी मांग को सही बताने के लिए बीते कुछ सालों में महाराष्ट्र समेत पूरे देश में दलितों के साथ होने वाली हिंसा के कई मामलों का जिक्र किया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • वी़ क़े सिंह पर कार्रवाई करें मोदी : मांझी
    पटना, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक दलित परिवार के दो बच्चों को जिंदा जलाए जाने के बाद विदेश राज्यमंत्री जनरल वी़ क़े सिंह का 'कुत्ते' वाला बयान आने से आहत पूर्व मुख्यमंत्री और राजग का घटक दल 'हम' के प्रमुख जीतनराम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व सेनाध्यक्ष के खिलाफ उचित कारवाई करने की मांग की है।

    भाजपा की सहयोगी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष मांझी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, "वी़ क़े सिंह ने दलितों को जलाए जाने पर उनकी तुलना कुत्ते से की है। नरेंद्र मोदी जी संज्ञान लेते हुए उन पर उचित कारवाई करें।"

    हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सुनपेड़ गांव में एक दलित परिवार के घर की खिड़की से पेट्रोल फेंककर माचिस की एक तीली भी फेंक दी गई। घर में दंपति और उनके दो मासूम बच्चे सो रहे थे। दोनों बच्चों की मौत हो गई।

    इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री वी़ क़े सिंह ने गुरुवार को इस घटना के लिए पारिवारिक झगड़े को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि अगर कोई किसी कुत्ते पर पत्थर फेंकता है तो उसके लिए सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

    इधर, भाजपा की एक और सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पत्रकारों से कहा, "ऐसी घटना की जवाबदेही हरियाणा सरकार की है। इससे बचा नहीं जा सकता।"

    उन्होंने और भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने नसीहत देते हुए कहा कि वी़ क़े सिंह को ऐसे बयानों से बचना चाहिए।

    भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सिंह के बयान से राजग को नुकसान होने से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि सिंह ने माफी मांग ली है और अपने बयान का अर्थ भी समझा दिया है, ऐसे में नुकसान की बात नहीं है।

    बहरहाल, केंद्रीय मंत्री वी़ क़े सिंह का बेतुका बयान आने के बाद जहां भाजपा के नेता 'डैमेज कंट्रोल' में जुटे हुए हैं, वहीं बिहार विधानसभा के चुनाव में सत्ताधारी महागठबंधन 'कुत्ते वाले बयान' को मुद्दा बनाने में लगी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • चुनाव के बाद लालू, नीतीश का अस्तित्व खत्म हो जाएगा : शाह
    पटना, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने यहां शुक्रवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद का राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो जाएगा। आठ नवंबर को जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे, उस दिन नीतीश राजभवन जाकर इस्तीफा दे रहे होंगे।

    शाह हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में अलग-अलग चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की जनता ने बिहार में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनाने का मन बना लिया है, क्योंकि लोग फिर से राज्य में 'जंगलराज' नहीं आना देना चाहते।

    पलायन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक विकसित राज्य में बिहारी युवा का पसीना बहा रहा है, फिर भी विकास के पायदान पर बिहार नीचे है। ऐसे में अगर एक बार राजग की सरकार बन जाए तो बिहार विकास के रास्ते पर आ जाएगा।

    लालू और नीतीश पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि बिहार में शिक्षा की स्थिति चौपट है, जिस कारण यहां के मेधावी छात्रों को पढ़ाई के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता है।

    हरियाणा के फरीदाबाद में दलित परिवार के दो मासूमों को जिंदा जला दिए जाने की घटना का जिक्र करने के बजाय उन्होंने कहा कि दबंगों द्वारा शोषितों और दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।

    उन्होंने कहा कि राज्य में किसानों और मजदूरों की स्थिति दयनीय है, नीतीश सरकार को इनकी चिंता नहीं है।

    जद (यू), राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को 'विनाश का गठबंधन' बताते हुए शाह ने कहा कि भाजपा ने अतिपिछड़े को प्रधानमंत्री बनाया, वहीं लालू प्रसाद ने दलितों और अतिपिछड़ों का शोषण किया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नौसेना कमांडर प्रौद्योगिकी क्षमताओं पर विचार-विमर्श करेंगे
    नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। नौसेना कमांडर नई दिल्ली में 26 से 28 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले द्विवार्षिक सम्मेलन के दूसरे संस्करण के दौरान नौसेना के बदलाव के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकी सक्षमताओं पर विचार-विमर्श करेंगे। ये विचार-विमर्श 2030 तक नौसेना के भविष्य के लिए एक रूप-रेखा के रूप में कार्य करेंगे। प्रधानमंत्री की 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुसार स्वदेशीकरण इस रूप-रेखा का प्रमुख संचालक है।

    वर्तमान में भारतीय पोत कारखानों में 47 जहाज निमार्णाधीन होने से नौसेना स्वेदेशीकरण के मामले में सबसे आगे है। नौसेना प्रमुख नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान अर्धवार्षिक रूप से नौसेना में महत्वपूर्ण संचालन और प्रशासनिक मुद्दों की समीक्षा करते हैं।

    आगामी सम्मेलन में नौसेना में कमान की परिचालनात्मक तैयारी, बुनियादी ढांचा विकास, मानव संसाधन प्रबंधन, तटीय सुरक्षा और साइबर सुरक्षा और विदेशी सहयोग की पहल जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। प्रधानमंत्री 26 अक्टूबर को नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे।

    भारतीय नौसेना की डिजिटल इंडिया पहल के साथ एकीकरण के लिए अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए ई-गवर्नेस में प्रवेश के लिए नौसेना द्वारा की गई अनेक पहल के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा। ऐसा करते हुए नौसेना में साइबर सुरक्षा को और मजबूत करने के प्रयासों की भी समीक्षा की जाएगी।

    भारतीय नौसेना के प्रदर्शन के उद्देश्य के लिए विश्व की नौसेनाओं के साथ बेहतर सूझबूझ और श्रेष्ठ प्रचालन प्रक्रियाओं को साझा करने, 16 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बेड़े की विशाखापत्तनम में की जाने वाली समीक्षा हेतु किए जाने वाले प्रबंधों के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

    तकनीकी रूप से जानकार नौसैनिकों के बारे में ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 2015 को नौसैनिक वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। नौसेना में जीवन की गुणवत्ता और सेवा शर्तो को सुधारने के लिए चलाई जा रही अनेक योजनाओं की भी इस सम्मेलन में समीक्षा की जाएगी।

    प्रचलित भू-आर्थिक और भू-सामरिक परिदृश्य के बारे में नौसेना की भूमिका और जिम्मेदारियों का पिछले दशक के दौरान काफी विस्तार किया गया है। इन विकास कार्यो से नौसेना के 2007 में प्रकाशित सामरिक मार्ग-दर्शन दस्तावेज, 'सागर का उपयोग करने की स्वतंत्रता- भारत की समुद्रीय सैन्य रणनीति' का संशोधन आवश्यक हो गया है।

    इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री समुद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने लिए भारतीय समुद्रीय सुरक्षा रणनीति नामक फोलो-ऑन संस्करण का अनावरण करेंगे। इस संस्करण का उद्देश्य 21 शताब्दी में समुद्रों और भारत के पुनरूत्थान के दरम्यान अकाट्य संबंधों को उजागर करना है। यह उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष के लिए कमांडरों के सम्मेलन का पहला संस्करण 25 से 28 मई, 2015 तक आयोजन किया गया था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
back to top

खरी बात

राना जूते उठा भी सकते हैं और खा भी सकते हैं

राकेश अचल साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके शायर मुनव्वर राना को लेकर मेरी आशंकाएं सही साबित होती दिखाई दे रही हैं. वे पीएमओ का न्यौता पाकर मन की मुराद पा...

आधी दुनिया

जबलपुर हुआ शर्मसार, कलेक्टर साहब आपसे ये उम्मीद नहीं थी ?

स्नेहा चौहान मध्यप्रदेश की सरकार और यहाँ के प्रशासन के ऊपर तरस आता है, विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के मोके पर दोनों ने साथ मिलके ये साबित कर दिया की...