विश्व में 2025 तक 2.68 करोड़ बच्चे होंगी भारी वजनी

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लंदन, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। कोई भी नीतिगत हस्तक्षेप मोटापे के प्रति रुझान में तब्दीली लाने में अब तक कारगर साबित नहीं हुआ है। शोधकर्ताओं ने विश्व स्तर पर 2025 तक पांच से 17 साल तक के 2.68 करोड़ बच्चों के मोटापा से ग्रसित होने का अनुमान लगाया है।

बढ़ती जनसंख्या के संदर्भ में विश्व बैंक की मान्यता के संदर्भ में हुए अध्ययन के मुताबिक, 2010 में जहां मोटे बच्चों की संख्या 2.19 करोड़ थी, जो 2025 में बढ़कर 2.68 करोड़ हो जाएगी।

पत्रिका 'पीडियाट्रिक ओबेसिटी' में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट में बच्चों में मोटापा 2010 में 7.6 करोड़ से बढ़कर 2025 तक 2.68 करोड़ होने की जानकारी दी गई है।

शोधपत्र के सह-लेखक वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन (विश्व मोटापा) लंदन के टिम लेबेस्टीन ने कहा, "यह पूर्वानूमान स्वास्थ्य प्रबंधकों और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए खतरे की घंटी होनी चाहिए, जिन्हें मोटापे के प्रकोप के कारण बढ़ती बीमारियों के रोकथाम का प्रयास करना होगा।"

हर साल 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस (वर्ल्ड ओबेसिटी डे) मनाया जाता है। अध्ययन में शोधकताओं ने 'ग्लोबल डिसीज कोलेबोरेटिव' द्वारा 2000 से 2013 के अध्ययन के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है।

साल 2015 तक 1.2 करोड़ से ज्यादा बच्चे ग्लूकोज टॉलरेंस ( मधुमेह की पूर्व अवस्था), 40 लाख टाइप-2 मधुमेह, 2.7 करोड़ उच्च रक्तचाप और 3.8 करोड़ यकृत स्टीटोसिस या लीवर में वसा के जमा होने से होने वाली बीमारियों से ग्रसित होंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के देशों ने (2010 के स्तर पर आधारित) 2025 तक 'मोटापे के स्तर में वृद्धि नहीं' होने देने के प्रस्ताव को अपनाया है।

हालांकि शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि 2025 तक ऐसा होने की संभावना कम ही है और सरकार व स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मोटापा रोकने के लिए कोई योजना बनानी चाहिए।

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