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संयुक्त राष्ट्र दूत ने बुरुं डी संकट में मध्यस्थ की भूमिका छोड़ी

बुजुम्बुरा, 12 जून (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के राजदूत ने सईद जिनित ने बुरुं डी संकट में अपनी मध्यस्थ की भूमिका छोड़ दी है। उन्होंने विपक्ष द्वारा 'पक्षपातपूर्ण' होने का आरोप लगाए जाने के बाद यह फैसला किया है।

संयुक्त राष्ट्र निर्वाचक निगरानी मिशन के प्रवक्ता व्लादिमीर मोंटीयरो ने गुरुवार को समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, "जिनित मध्यस्थ की अपनी भूमिका छोड़ रहे हैं, लेकिन ग्रेट लेक क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत की अपनी भूमिका के तहत वह बुरुं डी से जुड़े रहेंगे।"

विपक्ष ने इस संकट पर दोनों पक्षों के साथ वार्ता में जिनित पर सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाया।

मोंटीयरों ने कहा, "जिनित विपक्ष से कोई सलाह नहीं ले रहे। उनके प्रयासों का संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अफ्रीकी संघ, यूरोपीय संघ, पूर्व अफ्रीकी समुदाय और ग्रेट लेक क्षेत्रों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने सराहना की।"

यह वार्ता पांच मई को शुरू हुई थी। इस सप्ताह दोबारा राष्ट्रपति चुनाव और प्रदर्शनों का अंत इन दो बड़े मुद्दों के साथ वार्ता शुरू की जाएगी। लेकिन अब विपक्ष ने संयुक्त राष्ट्र के नए मध्यस्थ की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य क्षेत्रीय संगठनों को उम्मीद है कि इस वार्ता से बुरुं डी में उचित, विश्वसनीय और शांतिपूर्ण चुनाव की स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

25 अप्रैल से ही बुरुं डी में संकट की स्थिति बनी हुई है। 2005 से देश की सत्ता संभाल रहे कुरुं जिजा द्वारा आगामी चुनावों में तीसरी बार सत्ता संभालने के बयान के बाद स्थिति बिगड़ी है।

बुरुं डी नागरिक समाज समूहों के मुताबिक, बुरुं डी की राजधानी बजुम्बुरा में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

राष्ट्रपति चुनाव जून में होने थे, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के आह्वान के बाद इसे 15 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। लेकिन विपक्ष ने चुनाव की नई तारीख से इंकार किया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • जापान में तूफान से 2 की मौत

    टोक्यो, 17 जुलाई (आईएएनएस)। जापान के दो द्वीपों में तूफान में दो लोगों की मौत हो गई। इस तूफान से यातायात पर बुरा असर पड़ा है।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जापान के मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि होंशु द्वीप के ह्योगो प्रशासकीय प्रांत में सिर में चोट लग जाने से एक 71 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई तथा 85 वर्षीय व्यक्ति का भी शव बरामद किया गया है।

    इधर, शिकोकु द्वीप के कोची प्रशासकीय प्रांत के 4,000 निवासियों को भूस्खलन तथा बाढ़ की आशंका के बीच इलाका खाली करने को कहा गया है।

    तूफान गुरुवार रात कोची पहुंचा, जहां 180 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चल रही है और बारिश हुई है।

    तूफान ने इसके बाद उत्तर का रुख कर लिया और शुक्रवार को होंशु प्रांत पहुंचा।

    द्वीप में रेलगाड़ियों को या तो रद्द कर दिया गया है या फिर स्थगित कर दिया गया है। उड़ान भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नाइजीरिया में बम विस्फोट, 25 की मौत
    अबुजा, 17 जुलाई (आईएएनएस)। नाइजीरिया के पूर्वोत्तर राज्य गोंबे में गुरुवार को हुए दो बम विस्फोट में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक घायल हो गए। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

    नाइजीरिया के राष्ट्रीय आपातकाल प्रबंधन एजेंसी (एनईएमए) के एक अधिकारी ने बताया कि बचाव एजेंसी के अधिकारियों ने घटनास्थल से 25 शव बरामद किए हैं।

    अधिकारी ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। इनकी संख्या 30 से अधिक है।

    सूत्रों का कहना है कि कुछ घायलों की स्थिति गंभीर है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

    एक प्रत्यक्षदर्शी मूसा गैंबो ने कहा कि जब ये धमाके हुए लोग बाजार में शुक्रवार को रमजान को लेकर खरीदारी कर रहे थे।

    प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि ये धमाके शाम के लगभग छह बजे हुए।

    स्थानीय लोगों ने इस हमले के लिए आतंकवादी गुट बोको हराम को जिम्मेदार ठहराया है। बोको हराम आमतौर पर पश्चिम अफ्रीकी देशों में इस तरह के हमलों की जिम्मेदारी लेता रहा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को बैठक का न्योता दिया
    सियोल, 17 जुलाई (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने शुक्रवार को उत्तर कोरिया को सुरक्षा संबंधी बैठक का न्योता दिया, जो सियोल में सितंबर में आयोजित की जाएगी।

    समाचार एजेंसी 'योनहैप' के मुताबिक एक मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के पीपुल्स ऑर्म्ड फोर्सेज से कहा है कि वह नौ से 11 सितंबर को होने वाली बैठक के लिए उप रक्षा मंत्री को सियोल डिफेंस डायलॉग (एसडीडी) की बैठक में भेजें।

    अधिकारी ने कहा, "2012 में एसडीडी के लांच के बाद से पहली बार दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को बैठक का न्योता दिया है।"

    उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को शांति तथा सुरक्षा सहित विभिन्न मुद्दे पर होने वाली बैठक का न्योता दिया गया है।

    एसडीडी में 33 देश हिस्सा लेंगे।

    अमेरिका, चीन, जापान, रूस तथा अन्य देश अपने उप रक्षा मंत्रियों को बैठक के लिए भेजेंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ब्रिटेन ने परमाणु समझौते को लेकर इजरायल को भरोसा दिलाया
    जेरूसलम, 17 जुलाई (आईएएनएस)। ब्रिटेन के विदेश मंत्री फिलीप हैमंड ने गुरुवार को जेरूसलम में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से मुलाकात की। हैमंड ने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाने की कोशिश की कि हालिया परमाणु संधि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने का मजबूत साधन है।

    हैमंड इस सप्ताह हुए परमाणु समझौते पर इजरायली नेताओं से चर्चा के लिए बुधवार रात जेरूसलम पहुंचे। इसके एक दिन पहले ही नेतनयाहू ने घोषणा की थी कि उनका देश इस समझौते का विरोध करेगा और तथा वह इससे बंधा हुआ नहीं है।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, हैमंड ने नेतनयाहू से मुलाकात से पूर्व संयुक्त प्रेस सम्मेलन के दौरान कहा, "हम तब तक सहमत नहीं हुए जब तक हमें यह नहीं लगा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए यह मजबूत उपाय है।"

    उन्होंने कहा, "अब हम इस बात पर ध्यान देंगे कि ईरान से परमाणु हथियार को दूर रखने के लिए समझौता सही तरह से लागू हो सके।"

    नेतनयाहू ने हैमंड के बयान का विरोध करते हुए कहा कि इस समझौते से इजरायल का अस्तित्व और क्षेत्रीय शांति तथा सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगा।

    उन्होंने कहा, "ईरान को अपने स्वभाव में बदलाव की जरूरत नहीं है और इस वजह से यह समझौता मौलिक रूप से गलत है।"

    नेतनयाहू ने कहा कि समझौते से पहले कई लोग तेहरान की रैली में 'इजरायल का खात्मा' का नारा लगा रहे थे।

    वहीं, हैमंड ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, "हम न सिर्फ ईरान को तेहरान की सड़को पर हुई नारेबाजी से बल्कि इसकी सरकार तथा क्षेत्र में इसके एजेंटे के काम से भी परखेंगे।"

    नेतनयाहू ने कहा कि इजरायल उस समझौते का स्वागत करेगा जो ईरान के सैन्य परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाएगा।

    हैमंड मंगलवार को ईरान के साथ हुए समझौते के बाद पी5+1 (अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी तथा फ्रांस) के पहले शीर्ष अधिकारी हैं, जिन्होंने इजरायल का दौरा किया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • पाकिस्तान को करने होंगे शांति बहाली के प्रयास
    डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
    पाकिस्तान की विश्वसनीयता और वहां निर्वाचित प्रधानमंत्री की हैसियत पर सदैव प्रश्नचिह्न् रहा है। इस सच्चाई में कोई बदलाव नहीं हुआ। यहां सियासी नदी उल्टी बहती है। प्रधानमंत्री पर सेना प्रमुख भारी पड़ते हैं, खासतौर पर विदेश नीति व भारत के साथ संबंधों का अंतिम निर्धारण सेना ओर आईएसआई की मर्जी से होता है। फिर भी भूगोल को बदला नहीं जा सकता। उसे हमारे पड़ोस में ही रहना है। दूसरी तरफ भारत वास्तविक रूप में प्रजातांत्रिक और शांतिवादी देश है। शीर्ष स्तर की वार्ता पाकिस्तान के सेना प्रमुख के साथ तो की नहीं जा सकती। ऐसे में शीर्ष वार्ता प्रधानमंत्री के स्तर पर ही संभव है। उफा में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी नीति पर अमल किया। उन्होंने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की। मोदी ने पूरी ²ढ़ता के साथ भारत का पक्ष रखा।

    यह अच्छी बात है कि नवाज ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। अब तक के पाकिस्तानी रिकार्ड को देखते हुए इस मुलाकात से बड़े निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकते, क्योंकि सब कुछ इस पर निर्भर करेगा कि इस्लामाबाद में नवाज के साथ सेना प्रमुख कैसा व्यवहार करते हैं। वह नवाज द्वारा मोदी से किये गये वादों पर किस हद तक सहमत होते हैं और उस पर अमल की कितनी अनुमति देते हैं। यह पाकिस्तान और नवाज शरीफ दोनों की समस्या है।

    इस मुलाकात का सबसे सार्थक पक्ष यह था कि मोदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा संदेश देने में सफल रहे। उन्होंने पाकिस्तान के संबंध में भारत की नीति को प्रभावी ढंग से रेखांकित किया। यह बताया कि पाकिस्तान को सीमापार का आतंकवाद रोकना होगा, मुंबई हमले के आरोपियों को सजा दिलानी होगी तथा कश्मीर का राग अलापना बंद करना होगा।

    कश्मीर-भारत का अभिन्न हिस्सा है। इस पर पाकिस्तान से वार्ता की आवश्यकता नहीं है। इतना अवश्य है कि कश्मीर घाटी में पाकिस्तान का झंडा लहराने वालों को वहीं चले जाना चाहिए। वह नाहक ही भारत का अन्न-जल ग्रहण कर रहे हैं, सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। पाकिस्तान को भी चाहिए कि इनके जज्बात समझते हुए इन्हें अपने यहां बुला ले। इस प्रकार के लोग पाकिस्तान में ही खप सकते हैं।

    यह मानना होगा कि दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात से पहले रिश्तों में तल्खी थी। पाकिस्तान ने द्विपक्षीय माहौल को सामान्य बनाने का अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं किया था। भारत ने कश्मीरी अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसे लेकर सचिव स्तर की वार्ता रोक दी गई थी। कोई भी देश अपने देशद्रोहियों का किसी दूतावासों मंे स्वागत बर्दाश्त नहीं कर सकता। देश और देशद्रोहियों में से एक को ही चुनना था।

    पाकिस्तान ने सचिव स्तर की वार्ता शुरू करने का प्रयास नहीं किया। इससे रिश्तों पर बर्फ जम गयी थी। कुछ दिन पहले मुंबई हमले के मास्टर माइंड रहमान-लखवी की रिहाई ने संबंधों को ज्यादा खराब किया था। पाकिस्तानी सरकार सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दबाव में थी। उसने लखवी के मामले में पाकिस्तानी कोर्ट के सामने कमजोर साक्ष्य पेश किए थे।

    यही कारण है कि बीस से अधिक बार इस मामले में पाकिस्तानी कोर्ट में सुनवाई टल चुकी है। परिणामस्वरूप लखवी खुलेआम घूम रहा है। इतना ही नहीं भारत ने जब संयुक्त राष्ट्र संघ में लखवी का मुद्दा उठाया तो पाकिस्तान ने चीन से उसे वीटो करा दिया। इसी प्रकार भारत विरोधी कई आतंकी वहां खुलेआम घूम रहे हैं।

    जाहिर है, इस माहौल में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मुलाकात पर ज्यादा उम्मीद नहीं थी। लेकिन नरेंद्र मोदी अपनी कार्यशैली के अनुरूप पहले से ही तैयार थे। इसी का परिणाम है कि वह पूरी मजबूती से अपना पक्ष रख सके। उन्होंने सीमा पार के आतंकवाद और संघर्ष विराम के उल्लंघन का मुद्दा उठाया। नवाज शरीफ इससे इनकार नहीं कर सके। इस बात का वैश्विक महत्व है। भारत की यह कूटनीतिक सफलता है। पाकिस्तान की सच्चाई इन बातों से सामने आ गई। वह कितना सहयोग देगा, यह भविष्य में पता चलेगा, लेकिन दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच जो सहमति बनी, उसे फिलहाल सैद्धांतिक रूप से सफल माना जा सकता है।

    अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर शांति बहाली की जिम्मेदारी भारत के सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान के रेंजर्स को देने का फैसला हुआ। दोनों बल आपसी सहयोग से यह कार्य करेंगे। दोनों बलों के महानिदेशकों की सितंबर में मुलाकात होगी। इस अवधि का उपयोग तैयारी करने में होगा।

    इस प्रकार के द्विपक्षीय फैसले प्राय: संबंधित देश की यात्रा में होते हैं। लेकिन यह बड़ी बात है कि मोदी ने शंघाई सम्मेलन में यह कर दिखाया। पाकिस्तानी रेंजर्स को जिम्मेदारी सौंपने का मतलब है कि उसे अपनी सीमा पर चलने वाली आतंकी घटनाएं व संघर्ष विराम के उल्लंघन की वारदातें रोकनी होंगी। वार्ता को शुरू करने और उसे चलाने के लिये रेंजर्स को इस जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।

    मोदी ने बड़ी सहजता से गंेद पाकिस्तान के पाले में कर दी है। फैसला शंघाई सम्मेलन के अवसर पर हुआ, दुनिया की नजर उस पर थी। ऐसे में पाकिस्तान को आतंकियों व संघर्षविराम का उल्लंघन करने वालों पर रोक लगाकर दिखाना होगा। वस्तुत: यह सब दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए यह सब शर्तें ही हैं।

    यह सोचना गलत है कि भारत ने सचिव स्तर की वार्ता रोकने से यू-टर्न लिया है। वरन अब सीमा पर शांति बहाली की शर्त को जोरदार और व्यावहारिक बना दिया गया है। पाकिस्तान ऐसा कर सका तो ठीक, अन्यथा आगे की वार्ता रुकने की जिम्मेदारी उसी पर होगी। मोदी की कूटनीति से यह तय हुआ कि सीमा पर हिंसक गतिविधि रोकने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।

    वस्तुत: इस मुलाकात से भारत का पक्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रभावी ढंग से सामने आया है। पाकिस्तान को शांति बहाली के लिए नेकनीयत दिखानी होगी। अन्यथा यह माना जाएगा कि वह भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं बनाना चाहता। वहां की सरकार के साथ-साथ सेना की जवाबदेही भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कसौटी पर होगी। (आईएएनएस/आईपीएन)

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • उलटा आरोप मढ़ने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान : भारत (लीड-1)
    नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान ने मार गिराए गए जिस ड्रोन को भारत का होने का दावा किया है, वह चीन निर्मित है तथा बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इस्लामाबाद जम्मू एवं कश्मीर में संघर्ष विराम उल्लंघन का आरोप उलटा भारत पर मढ़ने की कोशिश कर रहा है।

    विदेश सचिव एस.जयशंकर ने कहा, "हमने तस्वीरें देखी हैं। यह चीन के ड्रोन जैसा दिखता है और बाजार में उपलब्ध है। यह न तो भारतीय डिजाइन का है और न ही भारत द्वारा निर्मित मानवरहित हवाई वाहन की किसी श्रेणी का है।"

    उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जिस ड्रोन को पाकिस्तान ने भारत का होने का दावा किया है, उसका इस्तेमाल न तो भारत में होता है और न ही देश के सुरक्षा बल इसका इस्तेमाल करते हैं।

    बीते चार दिनों के दौरान पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का कम से कम छह बार उल्लंघन किया है।

    भारत-पाकिस्तान सीमा पर हुई घटनाओं की फेहरिश्त देते हुए उन्होंने कहा कि बुधवार को एक निशानेबाज की गोलीबारी में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान घायल हो गया, जिसके बाद मोर्टार से हमले किए गए।

    अखनूर सेक्टर में बुधवार को मोर्टार हमले के बाद बीएसएफ के महानिदेशक ने अपने समकक्ष से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जवाब में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

    इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से संपर्क करने के लिए नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित तथा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त से संपर्क किया।

    भारत को बाद में बताया गया कि गोलीबारी की शुरुआत भारतीय सैनिकों ने की थी और पाकिस्तान ने एक भारतीय ड्रोन को मार गिराया है।

    विदेश सचिव ने कहा, "पाकिस्तान सरकार उलटा भारत पर आरोप मढ़ने के प्रयास में लगी है।"

    जयशंकर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने सीमा के नजदीक एक भारतीय हेलीकॉप्टर के उड़ने की शिकायत घटना के चार दिनों बाद की।

    भारत के विदेश सचिव ने कहा, "वह हेलीकॉप्टर आतंकवाद निरोधी अभियान पर था और दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर तय की गई दूरी के भीतर उड़ान भर रहा था।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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