मथुरा हिंसा : 24 मरे, आरोप-प्रत्यारोप शुरू
मथुरा/नई दिल्ली, 3 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मथुरा में गुरुवार शाम हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इसमें 22 उपद्रवी और दो पुलिसकर्मी हैं।
हिंसा की इस घटना पर विपक्षी दलों, खासतौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधा और राज्य में प्रशासन व कानून-व्यवस्था की पूर्ण विफलता का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव ने हिंसा की आयुक्त स्तर की एक जांच कराने का आदेश दिया, जबकि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस घटना पर एक रपट मांगी है।
इस घटना के सिलसिले में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
अखिलेश ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक गंभीर मामला है और आयुक्त स्तर पर इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों को कानून के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।"
अखिलेश ने यह स्वीकार किया कि इस मामले से निपटने में चूक हुई है।
उन्होंने कहा, "अतिक्रमणकारियों के साथ चर्चा की कई कोशिशें की गईं, चेतावनी दी गई, लेकिन उन्होंने जमीन खाली नहीं की। इसमें एक चूक भी हुई है। गलती यह हुई कि पुलिस तैयारी के बगैर चली गई। किसी को पता नहीं था कि अंदर कितने विस्फोटक थे।"
यह पूछे जाने पर कि क्या यह खुफिया चूक थी, उन्होंने कहा, "यह खुफिया चूक नहीं थी.. जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि वहां कितने हथियार, गोला-बारूद थे।"
मुख्यमंत्री ने हिंसा में मारे गए दोनों पुलिस अधिकारियों के परिजनों को प्रत्येक को 20-20 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा में स्थिति की समीक्षा की और राज्य सरकार को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से चूक हुई है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं दोबारा न होने पाएं।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार से घटना पर रपट का इंतजार कर रही है।
राज्यपाल राम नाईक ने भी घटना के बारे में एक विस्तृत रपट मांगी है।
सत्ताधारी सपा की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने अखिलेश सरकार से इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने घटना की समयबद्ध न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि आयुक्त स्तर की जांच सिर्फ एक खानपूर्ति ही होगी।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलिस अधिकारियों और अन्य की मौत पर शोक व्यक्त किया और कहा कि घटना इस बात को याद दिलाती है कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है।
भाजपा ने घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर जोरदार हमला किया।
भाजपा प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कहा, "उत्तर प्रदेश में प्रशासन और कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। मथुरा कोई छोटा शहर नहीं है। यह इस इलाके का एक केंद्र है और यहां इस तरह गोला-बारूद और हथियार जमा किए गए थे। स्थानीय प्रशासन इससे अनजान कैसे रहा?"
भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर मथुरा पहुंचे और उन्होंने आईएएनएस से कहा, "समाजवादी पार्टी के गुंडों ने जवाहरबाग इलाके में करीब तीन साल पहले कब्जा किया था और पुलिस को कार्रवाई की आजादी नहीं दी गई। यह सरासर लापरवाही का मामला है।"
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं।"
अभिनय से राजनीति में आईं, मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने भी घटना की सीबीआई जांच की वकालत की।
गुरुवार शाम अतिक्रमणकारियों ने पुलिस के एक दल पर उस समय हमला कर दिया, जब वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर मथुरा के जवाहरबाग इलाके को शांतिपूर्ण तरीके से खाली कराने गए थे।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावेद अहमद ने शुक्रवार को कहा कि इस हमले में 24 लोगों की मौत हो चुकी है और 23 पुलिसकर्मी घायल हैं, जिसमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।
अहमद ने संवाददाताओं को बताया, "अभी तक 22 उपद्रवियों की मौत हो गई है। इनमें एक महिला भी शामिल है। इनमें से 11 की मौत जलने से हुई है, जबकि बाकियों ने घायल होने के बाद दम तोड़ दिया।"
अहमद ने संवाददाताओं को बताया, "हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष यादव शहीद हो गए। उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी के निर्वाह के दौरान अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।"
--आईएएनएस
कश्मीर : आतंकी हमले में बीएसएफ के 3 जवान शहीद
श्रीनगर/जम्मू, 3 जून (आईएएनएस)। दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा में शुक्रवार को आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के काफिले पर किए गए हमले में तीन जवान शहीद हो गए। 10 अन्य लोग घायल हुए हैं जिनमें आम लोग भी शामिल हैं। घायलों में तीन की हालत नाजुक है।
एक पुलिस अधिकारी ने यहां आईएएनएस से कहा, "जम्मू से श्रीनगर आ रहे बीएसएफ के एक काफिले पर अनंतनाग जिले के बिजबेहरा कस्बे में राजमार्ग पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया।"
हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने ली है। इसके प्रवक्ता बुरहानुद्दीन ने एक स्थानीय समाचार सेवा से कहा कि 'हमारे विशेष दस्ते के हमले में कई भारतीय सैनिक मारे गए हैं। कई गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं। सुरक्षा कर्मियों पर हमले जारी रहेंगे।'
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने गृह नगर में हुए इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है।
हमले के फौरन बाद महबूबा ने बीएसएस के महानिदेशक के.के. शर्मा से बात की और जवानों की मौत पर गहरा दुख जताया।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 1-ए पर स्थित कस्बे में आतंकी हमले के बाद भारी गोलीबारी हुई।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ के घायल जवानों को श्रीनगर के अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
आतंकी सरकारी अस्पताल के भवन में छिपे हुए थे। माना जा रहा है कि वे भागने में सफल रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि सुरक्षाबलों ने हमले के तुरंत बाद इलाके की घेराबंदी कर दी। हमले से इलाके में भय फैल गया। व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को रोकना पड़ा जिसे बाद में खोल दिया गया।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बयान में कहा, "इस तरह का पागलपन से भरा हमला उन तत्वों की हताशा को दिखाता है जो सरकार के शांति प्रयासों को पटरी से उतारना चाहते हैं और राज्य में फिर से शुरू हो रही आर्थिक गतिविधियों को नष्ट करना चाहते हैं।"
--आईएएनएस
मथुरा हिंसा : अखिलेश ने दिए जांच के आदेश, भाजपा की सीबीआई जांच की मांग
नई दिल्ली, 3 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा में हुई हिंसा की आयुक्त स्तरीय जांच कराने का शुक्रवार को आदेश दिया। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होने का आरोप लगाया और इस घटना की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की। हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों समेत 24 लोगों की मौत हो गई है।
केंद्र सरकार ने प्रदेश की राजधानी से 160 किलोमीटर दूर मथुरा में गुरुवार को हुई हिंसा पर एक रपट मांगी है।
अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक गंभीर मामला है, जिसकी आयुक्त स्तरीय जांच होगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।"
मथुरा में गुरुवार शाम जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान पुलिस और अक्रिमणकारियों के बीच हुई झड़प में पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी समेत 24 लोगों की मौत हो गई है। 23 लोग घायल हुए हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर है।
झड़प में शामिल 250 लोगों को हिरासत में लिया गया है। शहर में तनाव पसरा है और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि मामले से निपटने में चूक हुई है।
उन्होंने कहा, "अतिक्रमणकारियों से बातचीत के कई बार प्रयास किए गए, उन्हें चेतावनी दी गई, लेकिन जमीन खाली नहीं किया गया। इसमें चूक भी हुई है। गलती यह रही कि पुलिस वहां पूरी तैयारी के साथ नहीं गई। इसमें कई तरह के खतरे शामिल थे। किसी को नहीं पता था कि वहां कितना विस्फोटक है।"
इससे पहले, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा में खूनी खेल खेलनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "उत्तर प्रदेश सरकार मथुरा में हिंसा करने वालों के खिलाफ कानून सम्मत कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। आरोपियों की त्वरित सुनवाई होगी।"
यादव ने जान गंवाने वाले पुलिस अधिकारियों के परिजनों को सहयोग देने का वादा भी किया।
उन्होंने ट्वीट किया, "इन बहादुरों के परिजनों को मेरी तरफ से गहरी संवेदनाएं। मेरी सरकार उनके परिजनों को हर तरह का सहयोग सुनिश्चित करेगी।"
मुख्यमंत्री ने दोनों पुलिस अधिकारियों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में 20-20 लाख रुपये देने की घोषणा की।
इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा में हालात का जायजा लिया और राज्य सरकार को सभी तरह की मदद का आश्वासन दिया।
सिंह ने ट्वीट किया, "उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात हुई और मथुरा में हालात का जायजा लिया। मैंने उन्हें केंद्र से हर तरह की मदद का भरोसा दिया।"
वहीं, भाजपा ने जोर देते हुए कहा कि मथुरा में हिंसा उत्तर प्रदेश में ध्वस्त कानून-व्यवस्था का जीता जागता सबूत है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, "उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। मथुरा केवल एक छोटा सा शहर नहीं है। यह क्षेत्र का एक केंद्र है, जहां भारी मात्रा में हथियार तथा विस्फोटकों को इकट्ठा किया गया। स्थानीय प्रशासन को कैसे इसकी भनक नहीं लगी? इस तरह की गलती कैसे हो सकती है।"
भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने देने के लिए अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया। शहर के जवाहरबाग क्षेत्र में हुई घटना के बाद से शर्मा मथुरा में हैं।
शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "ये समाजवादी पार्टी के बदमाश थे, जिन्होंने तीन साल पहले जवाहरबाग इलाके में अतिक्रमण किया था और पुलिस को कार्रवाई की छूट नहीं दी गई थी। यह बिल्कुल लापरवाही का मामला है।"
शर्मा ने कहा, "हम इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं।"
इससे पहले, शर्मा ने आईएएनएस से बातचीत में मामले की न्यायिक जांच का मांग की थी।
शर्मा स्वयं मथुरा के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के गठन के बाद से ऐसी 900 घटनाएं हुई हैं, जिनमें पुलिस को निशाना बनाया गया।
उन्होंने कहा कि यह पहली घटना नहीं है। पहले आजमगढ़ और प्रतापगढ़ में भी इस तरह की घटनाएं हुई थीं।
शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महाजंगलराज है, जहां बदमाश पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी करने से नहीं हिचकते हैं।
मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने भी घटना की सीबीआई जांच की मांग की है।
--आईएएनएस
मप्र : राज्यसभा के लिए मतदान होना तय
भोपाल, 3 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान यहां 11 जून को होना तय हो गया है। नामांकन वापसी के अंतिम दिन शुक्रवार को किसी भी उम्मीदवार ने नाम वापस नहीं लिया, जिसके कारण मतदान आवश्यक हो गया है।
विधानसभा के सूचना अधिकारी मुकेश मिश्रा ने कहा, "शुक्रवार को नाम वापसी का दिन था, मगर नामांकन किसी ने वापस नहीं लिया है। राज्यसभा द्विवार्षिक निर्वाचन, 2016 के अंतर्गत रिक्त तीन सीटों के लिए चार उम्मीदवार हैं, जिनमें से दो भारतीय जनता पार्टी एवं एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। एक उम्मीदवार निर्दलीय है। मतदान 11 जून को प्रात: नौ बजे से सायं चार बजे तक होगा।"
राज्यसभा के द्विवाíषक निर्वाचन में रिक्त तीन सीटों के लिए पांच अभ्याíथयों ने नामांकन-पत्र प्रस्तुत किए थे।
संवीक्षा के दौरान भाजपा उम्मीदवार अनिल माधव दवे और एम. जे. अकबर, कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक कृष्ण तंखा तथा निर्दलीय उम्मीदवार विनोद के नामांकन-पत्र विधि मान्य पाए गए थ़े, जबकि एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी शशि स्टोला का नामांकन रद्द कर दिया गया था।
राज्य से राज्यसभा के तीन सदस्यों का निर्वाचन होना है, एक उम्मीदवार की जीत के लिए 58 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। राज्य विधानसभा में कुल 230 विधायक है, इनमें से भाजपा के 166 विधायक (विधानसभाध्यक्ष सहित) हैं।
इस तरह भाजपा के दो उम्मीदवारों -अनिल माधव दवे व एम. जे. अकबर- की जीत तय है और तीसरी सीट जीतने के लिए उसे आठ विधायकों के समर्थन की जरूरत है। जबकि कांग्रेस के पास 57 विधायक हैं और उसे एक वोट की जरूरत है। विधानसभा में चार विधायक बहुजन समाज पार्टी के और तीन निर्दलीय विधायक हैं।
--आईएएनएस
भाजपा राज्यसभा में जीतना चाहती है अतिरिक्त सीटें
ब्रजेंद्र नाथ सिंह
नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)। राज्यसभा के दो वर्ष पर होने वाले चुनाव में इस साल 57 सीटों के लिए चुनाव होना है। इनमें 17 पर भाजपा की जीत तय है। भाजपा अतिरिक्त मतों के जरिए कुछ और सीटें जीतना चाहती है। भाजपा के पास 15 में से पांच राज्यों में कुछ अतिरिक्त मत हैं। राज्यसभा के लिए 11 जून को मतदान होना है।
भाजपा की कोशिश उच्च सदन में अपना न केवल संख्या बल बढ़ाने बल्कि यह भी सुनिश्चित करने की है कि कांग्रेस कोई भी अतिरिक्त सीट नहीं जीत पाए। राज्यसभा में जीएसटी विधेयक सहित कई विधेयकों पर कांग्रेस ने अड़ंगा लगा रखा है।
भाजपा अब तक 14 राज्यों के लिए 18 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है। इनमें 17 की जीत तय है। इसके अलावा केंद्र में सत्तारूढ़ यह दल झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से एक-एक सीट पर नजर गड़ाए हुए है।
झारखंड में जहां भाजपा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की जीत को लेकर आश्वस्त है, उसने दूसरा उम्मीदवार उद्योगपति महेश पोद्दार को बनाया है। झारखंड में उनकी जीत के लिए भाजपा को जो संख्याबल चाहिए, वह नहीं है।
झारखंड की छह में से दो सीटें खाली हो रही हैं क्योंकि भाजपा के एम. जे. अकबर और कांग्रेस के धीरज साहू अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 11 खाली सीटों के लिए 12 प्रत्याशी हैं। भाजपा एक सीट आसानी से जीत जाएगी।
यहां भाजपा के पास 41 विधायक हैं। राज्यसभा में जाने के लिए 37 मतों की जरूरत है। चार अतिरिक्त मतों के साथ भाजपा ने स्वतंत्र उम्मीदवार प्रीती महापात्रा का समर्थन किया है जो गुजरात के उद्योगपति की पत्नी हैं। उद्योगपति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जा रहा है।
हरियाणा में भाजपा के पास दो उम्मीदवारों को राज्यसभा में भेजने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है। यहां केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंदर सिंह पहले उम्मीदवार हैं, लेकिन भाजपा के पास जो अतिरिक्त वोट हैं उससे मीडिया समूह के मालिक सुभाष चंद्रा का समर्थन करने का निर्णय लिया है जो यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में हैं।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने अनिल माधव दवे और एम. जे. अकबर को उम्मीदवार बनाया है। वहां की तीन खाली सीटों में तीसरी सीट के लिए भाजपा के पदाधिकारी विजय गोटिया को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतारा है।
यह कदम कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तंखा को रोकने के लिए है। उन्हें जीत के लिए सिर्फ एक अतिरिक्त वोट चाहिए।
मध्य प्रदेश में प्रत्येक राज्यसभा की सीट के लिए 58-58 मतों की जरूरत है। भाजपा दो सीटें आसानी से जीत जाएगी जबकि तीसरे सीट के लिए भाजपा के पास 50 विधायक बचेंगे।
भाजपा की अतिरिक्त सीटें जीतने के प्रयास के बावजूद 245 सदस्यीय राज्यसभा में कांग्रेस फिर भी सबसे बड़ी पार्टी रहेगी। भाजपा फासला जरूर कम कर लेगी।
कुल 57 सीटें जो खाली हो रही हैं, उनमें 14-14 भाजपा और कांग्रेस की हैं। छह बसपा, पांच जनता दल यू, तीन-तीन समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल और अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक), दो-दो तेलुगु देशम, डीएमके और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की हैं जबकि एक-एक शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल और स्वतंत्र सदस्य विजय माल्या की सीट हैं।
--आईएएनएस
मप्र : राज्यसभा सीट के लिए भाजपा की नजर कांग्रेस विधायकों पर
संदीप पौराणिक
भोपाल, 2 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोई भी दांव खेलने में पीछे नहीं रहना चाहती। यही कारण है कि उसने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया को मैदान में उतारा है, तो दूसरी ओर अब पार्टी स्तर पर कांग्रेस के उन विधायकों से संपर्क तेज कर दिया है, जो असंतुष्ट चल रहे हैं।
राज्य से राज्यसभा के तीन सदस्यों का निर्वाचन होना है। एक उम्मीदवार की जीत के लिए 58 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। राज्य विधानसभा में कुल 230 विधायक है, जिनमें से भाजपा के 166 विधायक (विधानसभाध्यक्ष सहित) हैं। इस तरह भाजपा के दो सदस्यों की जीत तय है और तीसरी सीट जीतने के लिए उसे आठ विधायकों के समर्थन की जरूरत है। कांग्रेस के पास 57 विधायक है और उसे एक वोट की जरूरत है। विधानसभा में चार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तीन निर्दलीय विधायक हैं।
भाजपा ने अधिकृत तौर पर अनिल माधव दवे और एम.जे.अकबर को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी जीत तय मानी जा रही है। कांग्रेस ने विवेक तन्खा को मैदान में उतारा है। उनका भी निर्वाचित होना तय माना जा रहा था, मगर भाजपा हाईकमान की ओर से मिले निर्देश पर गोटिया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरकर तन्खा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
भाजपा के पिछले चुनावों पर गौर करें, तो उसने वह हर दांव चला है, जिसमें उसे जीत मिले। लोकसभा चुनाव में तो भिंड संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार भागीरथ प्रसाद का पाला बदलवाकर भाजपा का प्रत्याशी बना दिया था। इसी तरह होशंगाबाद से उदय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया था। इसके अलावा, विधायकों में संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी को इस्तीफा दिलवाकर भाजपा से चुनाव लड़ाया। वहीं विधानसभा के उपनेता चौधरी राकेश सिंह चौधरी को उस समय पाला बदलवाया गया, जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। भाजपा राज्यसभा के चुनाव में ऐसा ही कुछ कर दिखाने की रणनीति बना रही है।
भाजपा के सूत्रों की मानें, तो पार्टी आठ वोटों के इंतजाम के लिए बसपा और निर्दलीय विधायकों के अलावा कांग्रेस के उन विधायकों से संपर्क कर रही है, जो असंतुष्ट चल रहे हैं। सूत्रों का तो दावा यहां तक है कि इन विधायकों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि अगर राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करने पर कोई मुसीबत आती है, तो उन्हें भाजपा की ओर से चुनाव लड़ाया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया का मानना है कि भाजपा हर हाल में यह चुनाव जीतना चाहती है। इसके लिए उसने व्यापक रणनीति भी बना रखी है। राज्यसभा की सभी तीनों सीटें जीतकर भाजपा राजनीतिक तौर पर कई संकेत देना चाह रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि भाजपा के सिर्फ दो ही प्रत्याशी हैं, हमने निर्दलीय उम्मीदवार नहीं उतारा है।
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने आईएएनएस से कहा कि भाजपा तो पूरे देश में लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है, उत्तराखंड में यही किया था। अब राज्यसभा के चुनाव में पर्याप्त वोट न होने के बावजूद उम्मीदवार का मैदान में उतारा जाना बताता है कि भाजपा किस हद पर उतरकर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रही है।
सूत्रों की मानें, तो भाजपा के हाईकामन ने राज्य के नेताओं से साफ कह दिया है कि उन्हें हर हाल में तीसरी सीट पर भी जीत चाहिए। इसीलिए कांग्रेस के महाकौशल के दो तथा बुंदेलखंड के दो विधायकों से सीधे तौर पर भाजपा ने संपर्क साधा है। वहीं निर्दलीय विधायकों को मनाने की कोशिश जारी है। इतना ही नहीं, बसपा के चार में से दो विधायकों से भी गोटिया के पक्ष में मतदान करने की जुगत भिड़ाई जा रही है।
राज्यसभा का चुनाव बड़े रोचक दौर में पहुंच गया है, क्योंकि कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन में उतने वोट नहीं है, जो उन्हें चुनाव जिता सके। लिहाजा वे जीत के लिए दूसरे पर निर्भर हैं। अब देखना है कि जीत किसके खाते में जाती है।
-- आईएएनएस
अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ी, 6 जून को करेंगे नई पार्टी का एलान
रायपुर, 2 जून (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता अजीत जोगी ने कांग्रेस को आखिरकार अलविदा कह दिया। जोगी 6 जून को मरवाही में एक बड़ी सभा में अपनी नई पार्टी का एलान करेंगे। जोगी के प्रवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने इसकी पुष्टि की है।
प्रवक्ता ने कहा कि जोगी ने अपना इस्तीफा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली को भेज दिया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अजीत जोगी प्रदेश के आदिवासी और पिछड़े तबके के नेता माने जाते हैं। उनके पास 10 लाख समर्थकों के फॉर्म भी पड़े हैं, जिसे उन्होंने कांग्रेस पार्टी में जमा नहीं किया है। ऐसे में ये 10 लाख लोग अजीत जोगी की नई पार्टी को एक लीड दिलाएंगे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अजित जोगी के फैसले को उनका निजी फैसला बताया है, वहीं नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव ने कहा कि इससे पार्टी को नुकसान कम, फायदा ज्यादा होगा।
दो-तीन दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी कि अजीत जोगी कांग्रेस छोड़ने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि वे लगभग 30 हजार समर्थकों की एक जनसभा में कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करेंगे। इस दौरान वह एक क्षेत्रीय दल बनाने की घोषणा भी कर सकते हैं।
नई पार्टी के लिए नींव तैयार करने के लिए पिछले कई दिनों से उनके बेटे अमित जोगी छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। ग्राम आवाज के नाम पर वह गांव-गांव घूम रहे हैं। बुधवार दोपहर वह बिलासपुर और रायगढ़ क्षेत्र के दौरे पर थे। उनका एक ही मकसद है, नई पार्टी के गठन के पहले राज्य में जोगी सबकी जुबां पर रहें।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद से अजीत जोगी पार्टी में हाशिये पर रहे हैं। हाल में जोगी ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा टिकट के लिए दावेदारी भी की थी, लेकिन टिकट मिलना तो दूर कांग्रेस ने उनसे राज्यसभा सीट पर प्रत्याशी चयन के लिए चर्चा तक नहीं की।
इस वर्ष की शुरुआत में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उनके विधायक पुत्र अमित जोगी को अंतागढ़ टेपकांड मामले में दोषी मानकर पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अजीत जोगी को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने की अनुशंसा की गई थी। यह मामला कांग्रेस की राष्ट्रीय अनुशासन समिति के समक्ष विचाराधीन है। अब तक फैसला न होने के कारण अजीत जोगी खिन्न हैं। आला कमान से किसी प्रकार का सहयोग न मिलने के कारण खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
अजीत जोगी के पुत्र कांग्रेस से निष्कासित विधायक हैं और उनकी पत्नी डॉ. रेनू जोगी भी कांग्रेस की विधायक हैं। खुद अजीत जोगी कांग्रेस की राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति इकाई के अध्यक्ष हैं। फिलहाल कांग्रेस के कम से कम 10 विधायक उनके समर्थक माने जाते हैं। इसके अलावा, बड़ी संख्या में पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और कांग्रेस में उपेक्षित अन्य नेता भी उनके साथ हो सकते हैं।
भाजपा और अन्य दलों के उपेक्षित नेता भी अजीत जोगी के साथ जा सकते हैं। भाजपा के पूर्व सांसद सोहन पोटाई के बारे में चर्चा है कि वे भाजपा छोड़कर अजीत जोगी के साथ जा सकते हैं।
-- आईएएनएस
मप्र के घोड़ाडोंगरी उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जीत
बैतूल, 2 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी (अजजा) विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मंगल िंसह धुर्वे ने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप सिंह उईके को 13 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दे दी। इस तरह घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा बरकरार है।
जिला निर्वाचन अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल ने उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार मंगल सिंह धुर्वे के 13 हजार 182 वोटों के अंतर से जीतने की घोषणा कर दी हैं। भाजपा उम्मीदवार धुर्वे को 82 हजार 304 और कांग्रेस उम्मीवार उईके को 69 हजार 12 वोट मिले है। मतगणना 17 दौर में पूरी हुई है।
जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह आठ बजे विवेकानंद हॉल में मतदान शुरू हुआ। पहले दो दौर में पिछड़ने के बाद भाजपा के उम्मीदवार धुर्वे ने तीसरे दौर से जो बढ़त हासिल की वह लगातार जारी रही। 16वां दौर पूरा होने तक वे 13 हजार वोटों के अंतर से आगे बने हुए थे।
घोड़ाडोंगरी के उपचुनाव में सात उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला भाजपा के मंगल सिंह धुर्वे और कांग्रेस के प्रताप सिंह उईके के बीच था। 30 मई को उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था। मतगणना का कार्य 17 दौर में पूरा हुआ।
निर्वाचन आयोग के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, पांचवें दौर तक भाजपा उम्मीदवार धुर्वे ने कुल 5,406 वोटों की बढ़त हासिल कर ली हैं। भाजपा उम्मीदवार को 16 हजार 54 और कांग्रेस उम्मीदवार को 10 हजार 648 वोट मिले हैं। वहीं 14वें दौर में यह अंतर बढ़कर 11 हजार 822 का हो गया था।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सज्जन सिह उईके विजयी हुए थे। उनके निधन के चलते यहां उपचुनाव हुआ।
--आईएएनएस
मप्र में घोड़ाडोंगरी उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार को बढ़त
बैतूल, 2 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी (अजजा) विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की मतगणना के पांचवें दौर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मंगल सिंह धुर्वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह उईके पर बढ़त बनाए हुए हैं।
जिला मुख्यालय के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई। मतगणना में वोटों की गिनती का कार्य 17 दौर में चलेगा।
घोड़ाडोंगरी के उपचुनाव में सात उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा के मंगल सिंह धुर्वे और कांग्रेस के प्रताप सिंह उईके के बीच है। पांच दौर की गिनती पूरी हो गई है। पहले दौर में जहां भाजपा उम्मीदवार आगे रहे, वहीं दूसरे दौर में कांग्रेस उम्मीदवार ने बढ़त हासिल कर ली। उसके बाद से ही भाजपा के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं।
निर्वाचन आयोग के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, पांचवें दौर में भाजपा उम्मीदवार धुर्वे ने कुल 5,406 वोटों की बढ़त हासिल कर ली है। भाजपा उम्मीदवार को 16 हजार 54 और कांग्रेस उम्मीदवार को 10 हजार 648 वोट मिले हैं।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सज्जन सिह उईके विजयी हुए थे। उनके निधन के चलते यहां उपचुनाव हुआ।
--आईएएनएस
थाने में दलित उत्पीड़न के दोषियों को सजा मिले : भाकपा(माले)
लखनऊ, 1 जून (आईएएनएस/आईपीएन)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल थाने में मोबाइल चोरी की रपट लिखाने गए एक दलित से पुलिसकर्मियों द्वारा जबरन जूता पॉलिस कराने और लात-घूसों से पिटाई करने की घटना की निंदा की है।
पार्टी की राज्य इकाई की स्थायी समिति के सदस्य अरुण कुमार ने कहा कि अखिलेश सरकार पुलिस विभाग का आधुनिकीकरण करने का चाहे जितना दावा करे, हकीकत में पुलिस सामंती-औपनिवेशिक काल की तरह ही व्यवहार कर रही है, जो एक आधुनिक लोकतांत्रिक समाज के निर्माण में बड़ी बाधा है।
उन्होंने कहा,"पहले तो दलितों व महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं की रपट ही नहीं दर्ज की जाती। दूसरे उनके साथ थानों में किस तरह का व्यवहार किया जाता है, उपरोक्त घटना इसकी एक बानगी है।"
उन्होंने घटना के दोषी पुलिसकर्मियों को ऐसी सख्त सजा देने की मांग की, जो इस तरह के मामलों में एक नजीर बने।
-- आईएएनएस
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