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विदेशी पर्यटकों की संख्या प्रथम तिमाही में 10 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या जनवरी-मार्च तिमाही में साल-दर-साल आधार पर 10 फीसदी बढ़कर 25 लाख रही। यह बात बुधवार को जारी एक सरकारी आंकड़े में कही गई।

एक साल पहले समान अवधि में यह संख्या 22.81 लाख थी।

पर्यटन मंत्रालय ने कहा कि इस साल मार्च में 8.17 लाख पर्यटकों का आगमन हुआ, जिससे देश को 13,115 करोड़ रुपये की विदेशी पूंजी की आय हुई।

मंत्रालय हर महीने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या का अनुमान जारी करता है।

प्रथम तिमाही में सर्वाधिक पर्यटक भेजने वाले देशों में रहे बांग्लादेश (14.07 फीसदी), ब्रिटेन (13.16 फीसदी), अमेरिका (11.84 फीसदी), जर्मनी (3.74 फीसदी), कनाडा (3.57 फीसदी), श्रीलंका (3.48 फीसदी) और मलेशिया (3.45 फीसदी)।

इसके आलवा अन्य प्रमुख देशों में रहे रूस (3.19 फीसदी), चीन (2.92 फीसदी), फ्रांस (2.92 फीसदी), आस्ट्रेलिया (2.83 फीसदी), जापान (2.43 फीसदी), नेपाल (1.72 फीसदी), सिंगापुर (1.67 फीसदी) और थाईलैंड (1.60 फीसदी)।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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    आईटी कर्मियों के कर्मचारी यूनियन बनाने के अधिकार का मामला तब उठा, जब तमिलनाडु के श्रम एवं नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव कुमार जयंत ने न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (एनडीएलफ) आईटी इंप्लाइज विंग को स्पष्ट किया कि जैसा गुरुवार को एक प्रमुख दैनिक ने इस बारे में खबर प्रकाशित की है, कामगार कर्मचारी यूनियन गठित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

    जयंत के मुताबिक, कोई भी कंपनी औद्योगिक विवाद कानून 1947 से छूट का दावा नहीं कर सकती और आईटी कंपनियां भी दूसरी कंपनियों की तरह ही उन्हीं प्रावधानों से संचालित होती हैं।

    आईटी कंपनियां लाखों की संख्या में लोगों को भारत और विदेश में विभिन्न स्थानों पर नौकरी पर रखती हैं। वे इसका खुलासा नहीं करतीं कि उनके कर्मचारियों की बनाई कोई यूनियन वजूद में है या नहीं।

    इन कंपनियों ने इस पर भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या वे औद्योगिक विवाद कानून 1947 के तहत कर्मचारियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए कर्मचारी संघ बनाने के विचार का स्वागत करेंगी?

    मजे की बात यह है कि बहुत सारी कंपनियां अपने कर्मचारियों से यह लिखित में ले रही हैं कि वे ट्रेड यूनियन की गतिविधियों से दूर रहेंगे। इसके बारे में जब पूछा गया तो इसकी भी उन्होंने न तो पुष्टि की और न ही जानकारी होने की बात स्वीकार की।

    हालांकि, प्रमुख आईटी कंपनियों का यह रुख कई अटकलों एवं संदेहों को जन्म दे रहा है, जैसे क्या उनमें कभी कर्मचारी संघ रह सकता है?

    हाल में कई आईटी एवं ई-कामर्स कंपनियों को प्रमुख भारतीय कॉलेजों से पास हुए सैकड़ों युवाओं को पहले नौकरी का प्रस्ताव देने और फिर उन्हें नौकरी नहीं देने को लेकर भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है। ऐसी कंपनियों में फ्लिपकार्ट विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

    भारत में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए चाहे कोई भी उद्योग हो, वहां कर्मचारी यूनियन हैं।

    ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन(एआईबीईए) एक मशहूर कर्मचारी यूनियन है, जो अपने लाखों कर्मचारियों के अधिकारों एवं उनके हितों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग के संचालन को पंगु बना देती है।

    पिछले साल जनवरी में टीसीएस की एक कर्मचारी ने मद्रास उच्च न्यायालय से अपील की थी औद्योगिक विवाद कानून 1947 के तहत उसकी बर्खास्तगी पर रोक लगाए।

    हैदराबाद स्थित सॉफ्टवेयर इंजीनियर श्रीनू ने कहा, "अधिकतर आईटी कर्मचारी यूनियन बनाने के लिए आगे नहीं आते, क्योंकि उन्हें डर है कि पूरा आईटी उद्योग उन्हें जीवन भर के लिए काली सूची में डालकर अलग कर देगा। उनका ब्योरा नासकॉम के सदस्यों और डाटाबेस में भेज दिया जाएगा। यही कारण है कि आप आईटी कर्मचारी यूनियन नहीं पाएंगे।"

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    मुंबई, 10 जून (आईएएनएस)| बेबाकी से राय रखने के लिए मशहूर दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने सिनेमा को समाज का आईना बता 'उड़ता पंजाब' के निर्माताओं को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा है कि सारे विवाद में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की भूमिका 'चौंकाने' वाली है। अभिषेक चौबे निर्देशित 'उड़ता पंजाब' नशे की समस्या से जूझ रहे पंजाब का चित्रण है। निर्माता सीबीएफसी के अध्यक्ष पहलाज निहलानी के इसमें कई कट लगाने के 'बेजा' सुझाव के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और मामले ने तूल पकड़ लिया है।

    अनुपम ने गुरुवार रात ट्विटर पर लिखा, "उड़ता पंजाब' विवाद में सीबीएफसी की भूमिका सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है। सिनेमा समाज का आईना है। कई बार हालात का चित्रण बदलाव ला सकता है।"

    फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर, आलिया भट्ट व दिलजीत दोसांझ मुख्य भूमिका में हैं।

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    मुंबई, 10 जून (आईएएनएस)| केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को अपनी फिल्म 'उड़ता पंजाब' पर 'बेजा' कट लगाने से रोकने के लिए टक्कर दे रहे फिल्मकार अनुराग कश्यप ने कहा है कि उन पर आम आदमी पार्टी (आप) से पैसा खाने का आरोप न केवल सीबीएफसी का कोरा झूठ है, बल्कि असल मुद्दे से भटकाने और उसे राजनीतिक लड़ाई में तब्दील करने की चाल भी है। 'उड़ता पंजाब' में सीबीएफसी के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने 89 कट लगाने का सुझाव दिया है। निहलानी का आरोप है कि 'उड़ता पंजाब' के सह-निर्माता अनुराग कश्यप ने आप से पैसे खाने के बाद यह फिल्म बनाई। उनके इस आरोप पर बॉलीवुड व आप समन्वयक अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

    अनुराग ने इस सारे विवाद व उन पर लगे आरोप को लेकर एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी राय रखी।

    उन्होंने पोस्ट में लिखा, "मेरे सेंसरशिप के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने के बाद आलोचनाएं करने वाले कोरे झूठ व आरोपों से मामले को अलग दिशा में ले जे रहे हैं। मेरा सेंसर बोर्ड से कई बार सामना हुआ है। पहली बार 'पांच' फिल्म को लेकर हुआ था, जिसे लेकर हर कोई अब भी यही मानता है कि इस पर सेंसर बोर्ड ने रोक लगाई थी। सच्चाई यह है कि पुनरीक्षण समिति ने कुछ कट लगाने व दो डिस्क्लैमर के बाद फिल्म को हरी झंडी दे दी थी और फिल्म का यही प्रारूप इंटरनेट पर उपलब्ध है।"

    अनुराग ने यह भी कहा कि 'वह (निहलानी) हम पर फिल्म रिलीज की तारीख आगे बढ़ाने, कट का सुझाव व उनकी बात मान लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने मुझ पर आप से पैसे खाने का आरोप लगाया, जो न केवल झूठ बल्कि एक फिल्मकार के अधिकार की लड़ाई के असल मुद्दे को मार्ग से भटकाने व राजनीतिक लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश है।"

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