पाक‑अफगान सीमा में हवाई हमले, 37 नागरिक मारे, 425 घायल

जब कैप्टन अली रजा, पाकिस्तानी सेना के कप्तान और लेफ्टिनेंट हसन मेह्मूद की मौत 8 अक्टूबर 2025 को कर्रम जिले में हुए टीटीपी ambush में हुई, तो संपूर्ण सीमा पर तनाव फूट पड़ा। संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने 16 अक्टूबर को बताया कि केवल एक हफ्ते में, दक्षिणी अफग़ानिस्तान के पक्त्या, पक्तिका, कूनर, खोस्ट, कंधार और हेलमन्द प्रांतों में हुए झड़पों में 37 सामान्य नागरिक मारे गए और 425 घायल हुए। यह आँकड़े उस वही हफ्ते के हैं, जब पाकिस्तान ने 14‑15 अक्टूबर को इंटर‑सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशन्स (ISPR) के माध्यम से अफग़ान सीमा के पास, विशेषकर स्पिन बोल्दाक के तालिबान पदों पर हवाई हमले किए।

स्थिति का पृष्ठभूमि

ड्यूरेंड लाइन, 2,640 किलोमीटर लम्बी, 1893 में ब्रिटिश भारत‑अफ़ग़ान अंतर में खींची गई, अब दो राष्ट्रों के बीच सबसे संवेदनशील रेखा बन गई है। पिछले कुछ महीनों में, विशेषकर जनवरी‑सितंबर 2025 के बीच, टीटीपी के हमले 47 % बढ़े, जैसा कि Republic World ने दर्ज किया। इसका कारण मुख्यतः अफग़ानिस्तान के क़ैदी क्षेत्रों में सुरक्षित ठिकाने मिलने को माना जा रहा है।

घटनाओं का विस्तृत विवरण

सबसे पहले, 8 अक्टूबर को कर्रम जिले के पास टीटीपी ने एक मोटरकॉन्वॉय को निशाना बनाया। मोटरबॉम्ब ने दो कवाड़े को पूरी तरह उड़ा दिया, फिर मिलिशिया भारी बंदूकों से हमला कर गया। इस जघन्य कर्रवाई में 11 पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई, जिनमें दो अधिकारी शहीद हुए। इस पर मुहम्मद खुर्सानी, टीटीपी के मुखबिर, ने रॉयटर्स को बताया कि यह "सरकार को हिला देने" के इरादे से किया गया।

बहुत जल्द, 14‑15 अक्टूबर को पाकिस्तान ने स्पिन बोल्दाक (कंधार, अफग़ानिस्तान) के निकट तालिबान बॉर्डर कंपाउंड पर हवाई हमले शुरू किए। ISPR ने खंडित वीडियो जारी किया, जिसमें कई विस्फोट और ड्रोनों की उड़ान दिख रही थी। बीबीसी के विश्लेषकों ने 11‑12 अक्टूबर की ड्रोन फुटेज को जियो‑लोकेट करके पुष्टि की कि तीन नीले रंग की छत वाले भवनें ध्वस्त हुए थे। उपग्रह इमेजरी ने भी साबित किया कि ये इमारतें तालिबान की सीमा सुरक्षा इकाइयों की थीं, न कि "तलीबान कैंप" जैसा सोशल‑मीडिया पर कहा गया था।

यहाँ तक कि अफग़ान तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुताक़ी की 12‑15 अक्टूबर की नई दिल्ली यात्रा का भी इस समय‑सीमा में उल्लेख है। जर्मनी‑स्थित अफग़ान विशेषज्ञ इशाक अतमर ने रेडियो आज़ादी को बताया कि पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाकर भारत‑अफ़ग़ान तालिबान संबंध को चुनौती देना चाहा।

पक्षों की प्रतिक्रियाएँ

इंटर‑सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशन्स ने कहा कि हवाई हमले "अवैध सीमापार हमला" को रोकने के लिए आवश्यक थे। दूसरी ओर, अफग़ान तालिबान सरकार ने कोई तत्काली प्रत retaliation नहीं दी, सिर्फ़ एक बयान जारी किया कि वे "अपने नागरिकों और सीमाओं की सुरक्षा" के लिए जवाबदेह हैं। विदेश सचिव असद मजीद खान ने 14 अक्टूबर को शेर मोहम्मद अब्बास स्‍टैनिकज़ाई (अफ़ग़ान डिप्टी विदेश मंत्री) के साथ एक हॉटलाइन पर बात की, पर किनारे की कोई समझौता नहीं हुआ।

बेल्जियम के इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक इब्राहिम बहीस ने कहा कि दोनों पक्ष "विस्तृत संघर्ष से बचने" की कोशिश कर रहे हैं, पर पाकिस्तान की सैन्य शक्ति कारणे तालिबान को बड़ा कदम उठाने से रोक रही है। उन्होंने यह भी नोट किया कि तालिबान की सीमापार प्रतिक्रिया "आंतरिक जनता को आश्वस्त करने" के लिए अधिक है, न कि बड़े युद्ध के इरादे से।

क्षेत्रीय प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

  • पीछे हटते हुए, भारत‑अफ़ग़ान कूटनीति सहयोग (लगभग $300 मिलियन मूल्य का काबुल‑दिल्ली राजनयिक कॉरिडोर) को पाकिस्तान ने प्रतिकार के रूप में लिया।
  • ड्यूरेंड लाइन के किनारे फिर से हॉटलाइन स्थापित की गई, पर प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पा रही है।
  • चीन‑निर्मित 2023 बीजिंग एग्रीमेंट के तहत 25 अक्टूबर को इस्लामाबाद में एक त्रिपक्षीय बैठक तय हुई है; इसमें दोनों देशों और चीन की भागीदारी होगी।
  • UNAMA का 30 अक्टूबर को नागरिक शहादत पर विस्तृत रिपोर्ट जारी करने का अनुमान है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ठोस डेटा मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह के छोटे‑छोटे टकरावों को कूटनीति के रास्ते से संभाला नहीं गया तो दीर्घकालिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। विशेषकर कंधार‑स्पिन बोल्दाक क्षेत्र में तालिबान की मौजूदा सुरक्षा संरचनाएँ अब अधिक असुरक्षित दिख रही हैं।

आगे क्या हो सकता है

भविष्य की इशारे स्पष्ट हैं: 25 अक्टूबर को इस्लामाबाद में हैंड‑शेकिंग और बारीकी से लिखे गए प्रोटोकॉल की उम्मीद है। यदि सफल रहा, तो दोनों देशों के बीच हॉटलाइन संवाद को मजबूत किया जा सकेगा और संभावित टैंक‑ट्रांसपोर्ट या हवाई हमले के जोखिम को कम किया जा सकेगा। दूसरी ओर, यदि चर्चा विफल रहती है, तो सीमा पर टंटा बढ़ सकता है, जिससे बैनर‑बंदबस्ते और बड़े पैमाने पर शहीदियों की संभावना बढ़ेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

इस घघे में स्थानीय जनता पर क्या असर पड़ेगा?

सीमा के पास रहने वाले लोग पहले ही विस्थापन, घायल, और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। UNAMA की रिपोर्ट के अनुसार, 425 घायल में से कई गंभीर सर्जरी के बिना बचे नहीं हैं, और 37 मृतकों में से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे थे। भविष्य में अगर तनाव बढ़ता रहा तो यह संख्या और बढ़ सकती है।

क्या भारत‑अफ़ग़ान समझौते का इस टकराव से कोई संबंध है?

विशेषज्ञों का मानना है कि अफग़ानिस्तान के विदेश मंत्री मुताक़ी की नई दिल्ली यात्रा ने पाकिस्तान को यह संदेश देने के लिये प्रेरित किया कि भारत का प्रभाव बढ़ रहा है। इससे पाकिस्तान ने सीमा के पास तेजी से सैन्य कार्रवाई की, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव तेज हुआ।

ड्यूरेंड लाइन की सुरक्षा को कैसे सुधारा जा सकता है?

कूटनीतिक हॉटलाइन की नियमित कार्यवाही, संयुक्त सीमा अभियांत्रिकी दलों की स्थापना, और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण (जैसे UNAMA) को शामिल करना आवश्यक है। साथ ही, स्थानीय जनसंख्या को आर्थिक परियोजनाओं से जोड़ना भी स्थिरता का एक बड़ा कारक हो सकता है।

भविष्य में कौन‑सी अंतरराष्ट्रीय पहलें इस मुद्दे पर असर डाल सकती हैं?

चीन‑निर्मित 2023 बीजिंग एग्रीमेंट के तहत होने वाली त्रिपक्षीय बैठक, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संकट समूह (ICG) और UNAMA की रिपोर्टें, दोनों ही पक्षों को कूटनीतिक दबाव में डाल सकती हैं। यदि इनकी सिफ़ारिशें लागू होती हैं तो सीमा पर दहाड़ें घट सकती हैं।

क्या टीटीपी का फिर से बड़ा हमला संभव है?

रिपोर्टों के मुताबिक टीटीपी ने 2025 में अपने हमले की संख्या में 47 % वृद्धि दर्ज की है। यदि सीमा पर सुरक्षा कमजोर बनी रही, तो बड़े पैमाने पर हमलों की सम्भावना बढ़ेगी, खासकर कंधार‑स्पिन बोल्दाक जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में।