ऋतुपर्ण दवे
आज 'विश्व खाद्य दिवस' है। विकासशील देशों में कृषि के विकास के लिए जरूरी 'खाद्य एवं कृषि संगठन' (एफएओ) की स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को कनाडा में की गई थी जो बदलती तकनीक जैसे कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है। अब इसे विडंबना कहें या दुर्भाग्य कि सुर्खियां बटोर रहा है दो दिन पहले जारी हुआ 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' यानी जीएचआई। इसमें दुनिया के विभिन्न देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा होता है और हर साल वैश्विक, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी का आकलन किया जाता है।
जीएचआई में भारत इस बार और नीचे गिरकर 103वें रैंक पर आ पहुंचा है। दुर्भाग्य इसलिए भी कि इस सूची में कुल 119 देश ही हैं। यकीनन साल दर साल रैंकिंग में आई गिरावट चिंताजनक है। राजनीति से इतर यह राजनीति का मुद्दा जरूर बन गया है, क्योंकि 2014 में मौजूदा सरकार के सत्ता सम्हालते समय जहां यह 55वें रैंक पर था, वहीं 2015 में 80वें, 2016 में 97वें और पिछले साल 100वें और इस बार तीन साढ़ियां और लुढ़क गया।
बेशक भूख अब भी दुनिया में एक बड़ी समस्या है और इसमें कोई झिझक नहीं कि भारत में दशा बदतर है। हम चाहे तरक्की और विज्ञान की कितनी भी बात कर लें, लेकिन भूख के आंकड़े हमें चौंकाते भी हैं और सोंचने को मजबूर कर देते हैं। केवल उपलब्ध आंकड़ों का ही विश्लेषण करें तो स्थिति की भयावहता और भी परेशान कर देती है।
दुनियाभर में जहां करीब 50 लाख बच्चे कुपोषण के चलते जान गंवाते हैं, वहीं गरीब देशों में 40 प्रतिशत बच्चे कमजोर शरीर और दिमाग के साथ बड़े होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 85 करोड़ 30 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं। अकेले भारत में भूखे लोगों की तादाद लगभग 20 करोड़ से ज्यादा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन यानी एफएओ की एक रिपोर्ट बताती है कि रोजाना भारतीय 244 करोड़ रुपए यानी पूरे साल में करीब 89060 करोड़ रुपये का भोजन बर्बाद कर देते हैं। इतनी राशि से 20 करोड़ से कहीं ज्यादा पेट भरे जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए न सामाजिक चेतना जगाई जा रही है और न ही कोई सरकारी कार्यक्रम या योजना है।
इसका मतलब यह हुआ कि भारत की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा कहीं न कहीं हर दिन भूखा सोने मजबूर है, जिससे हर वर्ष लाखों जान चली जाती है।
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' के आंकड़ों को सच मानें तो रोजाना 3000 बच्चे भूख से मर जाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भूखे लोगों की करीब 23 प्रतिशत आबादी अकेले भारत में है, यानी हालात अमूमन उत्तर कोरिया जैसे ही है। शायद यही कारण है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के 38 प्रतिशत बच्चे सही पोषण के अभाव में जीने को मजबूर हैं और इसके चलते उनके मानसिक और शारीरिक विकास, पढ़ाई लिखाई और बौद्धिक स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
भूख के आंकड़ों के हिसाब से भारत की स्थिति नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसियों से भी बदतर है। इस बार बेलारूस जहां शीर्ष पर है, वहीं पड़ोसी चीन 25वें, श्रीलंका 67वें और म्यांमार 68वें बांग्लादेश 86वें और नेपाल 72वें रैंक पर है। तसल्ली के लिए कह सकते हैं कि पाकिस्तान हमसे नीचे 106वें पायदान पर है।
तस्वीर का दूसरा पहलू बेहद हैरान करता है, क्योंकि यह आंकड़े तब आए हैं जब भारत गरीबी और भूखमरी को दूर कर विकासशील से विकसित देशों की कतार में शामिल होने के खातिर जोर-शोर से कोशिश कर रहा है। एक ओर सरकार का दावा है कि तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, नीतियां बना रही हैं और उसी अनुरूप विकास कार्य किए जा रहे हैं।
स्वराज अभियान की याचिका पर 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने भूख और अन्न सुरक्षा के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की बेरुखी को लेकर कम से कम 5 बार आदेशए निर्देश दिए। यह तक कहा कि संसद के बनाए ऐसे कानूनों का क्या उपयोग जिसे राज्य और केंद्र की सरकारें लागू ही न करें! इशारा कहीं न कहीं नेशनल फुड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के प्रति सरकारी बेरुखी की ओर था।
तस्वीर का तीसरा पहलू और भी चौंकाने वाला है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की '2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक' बताता है कि बीते एक दशक यानी वर्ष 2005.06 से 2015-16 के बीच भारत में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं। इसी पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें अधिवेशन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गरीबी दूर करने के लिए भारत की तारीफों के पुल भी बांधे थे तथा लाखों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने के उन्होंने सरकार की पीठ थपथपाई थी।
वहीं चंद दिनों बाद आए 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' ने सभी के दावों और आंकड़ों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं या एक-दूसरे का मुंह चिढ़ा रहे हैं?
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)
विश्व खाद्य दिवस और भुखमरी के चौंकाते आंकड़े
- कुलदीप सेंगर को पहले ही निलंबित किया जा चुका है : भाजपा
- अफगानिस्तान में साल की पहली छमाही में 1,366 लोग मारे गए : संयुक्त राष्ट्र
- पाकिस्तान ने कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का उल्लंघन किया
- सीसीडी संस्थापक सिद्धार्थ की आत्महत्या की आशंका : पुलिस (लीड-2)
Oct
16 2018
Related Articles
Comments
Hi, Disqus is off
बीसीसीआई ने शॉ को किया निलंबित, बल्लेबाज ने ली जिम्मेदारी (लीड-2)
Read Full Article
- हरियाणा में सड़क हादसे में 3 कांवड़ियों की मौत
- कांग्रेस ने कर्नाटक के 14 बागी विधायकों को निष्कासित किया
- बिहार में अब बाढ़ के सहारे सियासी बढ़त लेने में जुटे दल
- राजीव कुमार नए वित्त सचिव नियुक्त
- 6.83 लाख पंजीकृत कंपनियां बंद
- जीएसटी अनुपालन व्यवस्था अभी भी सरल नहीं : सीएजी
- भारतीय लड़की से शादी पर हसन अली ने कहा, अभी कुछ तय नहीं, बातचीत जारी (लीड-1)
- यूटेटे : माटिल्डा, सनिल ने दिलाई मेवरिक्स को जीत
- नारी की गरिमा की रक्षा के लिए तीन तलाक बिल जरूरी : योगी
- उप्र : ट्रक से कुचल कर बुजुर्ग महिला की मौत, 6 माह का बच्चा बेदाग बचा
- उपभोक्ता संरक्षण को मजबूती देने के लिए लोकसभा में विधेयक पारित
- नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी में जवान शहीद, 2 पाकिस्तानी सैनिक ढेर (लीड-1)
- विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप विश्व कप की तरह होगा : क्लार्क (लीड-1, चौथे पैरा में संशोधन)
- अनुच्छेद 35ए पर सर्वोच्च न्यायालय में जल्द सुनवाई की मांग
- 'सुपर 30' महाराष्ट्र में टैक्स फ्री
- 2019 की पहली छमाही में हुआवेई के राजस्व में 23.2 फीसदी की उछाल
- बिहार के राज्यपाल देवघर पहुंचे, वैद्यनाथ पर किया जलार्पण
- सीटीईटी 2019 में 3.52 लाख उम्मीदवार उत्तीर्ण
- बीएसएनएल-एमटीएनएल के विलय की संभावना तलाश रहा दूसरसंचार विभाग
- मप्र में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व 2 मंत्री सहित कई नेता बरी
- बाघों की संख्या बढ़ाने में इंदिरा से लेकर मोदी तक, सभी प्रधानमंत्रियों का योगदान : करण सिंह
- डोपिंग नियमों के उल्लंघन के कारण पृथ्वी शॉ निलंबित (लीड-1)
- दोहरा मापदंड अपनाना पश्चिमी देशों की सामान्य चाल
- स्नैपडील ने नकली उत्पादों वाले 8000 विक्रेताओं को प्रतिबंधित किया