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मनोज कुमार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

मुंबई, 4 मार्च (आईएएनएस)। देशप्रेम की भावना से भरी फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता-निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार को 47वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सिनेमा के लिए दिया जाने वाला देश का यह सबसे बड़ा पुरस्कार उन्हें वर्ष 2015 के लिए दिया जाएगा। यह घोषणा शुक्रवार को की गई।

मनोज कुमार (78) ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "यह एक सुखद आश्चर्य है। मैं सो रहा था और एकाएक मेरे मित्रों-परिचितों के फोन आने लगे। मैंने सोचा वे मजाक कर रहे हैं, लेकिन जब मैने खुद यह खबर देखी तो मुझे यकीन हुआ कि सचमुच मुझे यह पुरस्कार मिला है।"

यह प्रतिष्ठित पुरस्कार भारतीय फिल्मों के पिता कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के मनोरंजन जगत में योगदान का स्मरण करने के लिए दिया जाता है। केंद्र सरकार भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को यह पुरस्कार प्रदान करती है। इस पुरस्कार के तहत स्वर्ण कमल, एक शॉल और 10 लाख रुपये नकद दिए जाते हैं।

कुमार ने कहा, "यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी पाया है, उससे काफी संतुष्ट हूं। इस खबर को सुनकर मेरा परिवार काफी खुश है।"

मनोज कुमार की पिछली फिल्म 1995 में 'मैदाने जंग' आई थी। उनका कहना है कि अब वह फिल्म उद्योग में ज्यादा सक्रिय होने की कोशिश करेंगे।

बॉलीवुड में जब भी देशप्रेम की बात की जाती है तो मनोज कुमार का नाम जरूर लिया जाता है। अपने देश के लिए मर मिटने की भावना को फिल्मों में मूर्त रूप प्रदान करने में मनोज कुमार का भारतीय सिनेमा जगत में प्रमुख स्थान रहा है।

उन्होंने 'क्रांति', 'वो कौन थी', 'पूरब और पश्चिम', 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों के मन पर छाप छोड़ी।

मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद (अब पाकिस्तान में) में 24 जुलाई, 1937 को हुआ था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी है। जब वह 10 साल के थे, तभी उनका परिवार बंटवारे के दौरान दिल्ली आ गया।

मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की। वह फिल्म निर्माता शशि गोस्वामी के साथ शादी के बंधन में बंधे।

मनोज कुमार ऐसे अभिनेताओं में शुमार हैं, जो कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी रहे हैं।

मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिए लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से अहसास कराया। इसी ने उन्हें हर दिल अजीज फिल्मकार बना दिया। इसी देशप्रेम की बदौलत उनके चाहने वाले उन्हें 'मिस्टर भारत' कहकर पुकारने लगे।

मनोज कुमार ने 1967 में बनी फिल्म 'उपकार' से देशप्रेम पर बनी फिल्मों की सफल शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने देशभक्ति पर आधारित कई फिल्मों में काम किया। 'उपकार' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

मनोज कुमार को 'हरियाली और रास्ता', 'वो कौन थी?', 'हिमालय की गोद में', 'दो बदन', 'उपकार', 'पत्थर के सनम', 'नीलकमल' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

मनोज कुमार की 1970 के मध्य में एक के बाद एक तीन हिट फिल्में आईं। जीनत अमान के साथ सामाजिक मुद्दों पर बनी 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का दूसरा फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया।

इसी दौरान हेमा मालिनी के साथ 'संन्यासी' (1975) और 'दस नंबरी' (1976) फिल्में रिलीज हुईं, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं।

1992 में मनोज कुमार को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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मनोज कुमार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

मुंबई, 4 मार्च (आईएएनएस)। देशप्रेम की भावना से भरी फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता-निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार को 47वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सिनेमा के लिए दिया जाने वाला देश का यह सबसे बड़ा पुरस्कार उन्हें वर्ष 2015 के लिए दिया जाएगा। यह घोषणा शुक्रवार को की गई।

मनोज कुमार (78) ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "यह एक सुखद आश्चर्य है। मैं सो रहा था और एकाएक मेरे मित्रों-परिचितों के फोन आने लगे। मैंने सोचा वे मजाक कर रहे हैं, लेकिन जब मैने खुद यह खबर देखी तो मुझे यकीन हुआ कि सचमुच मुझे यह पुरस्कार मिला है।"

यह प्रतिष्ठित पुरस्कार भारतीय फिल्मों के पिता कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के मनोरंजन जगत में योगदान का स्मरण करने के लिए दिया जाता है। केंद्र सरकार भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को यह पुरस्कार प्रदान करती है। इस पुरस्कार के तहत स्वर्ण कमल, एक शॉल और 10 लाख रुपये नकद दिए जाते हैं।

कुमार ने कहा, "यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी पाया है, उससे काफी संतुष्ट हूं। इस खबर को सुनकर मेरा परिवार काफी खुश है।"

मनोज कुमार की पिछली फिल्म 1995 में 'मैदाने जंग' आई थी। उनका कहना है कि अब वह फिल्म उद्योग में ज्यादा सक्रिय होने की कोशिश करेंगे।

बॉलीवुड में जब भी देशप्रेम की बात की जाती है तो मनोज कुमार का नाम जरूर लिया जाता है। अपने देश के लिए मर मिटने की भावना को फिल्मों में मूर्त रूप प्रदान करने में मनोज कुमार का भारतीय सिनेमा जगत में प्रमुख स्थान रहा है।

उन्होंने 'क्रांति', 'वो कौन थी', 'पूरब और पश्चिम', 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों के मन पर छाप छोड़ी।

मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद (अब पाकिस्तान में) में 24 जुलाई, 1937 को हुआ था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी है। जब वह 10 साल के थे, तभी उनका परिवार बंटवारे के दौरान दिल्ली आ गया।

मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की। वह फिल्म निर्माता शशि गोस्वामी के साथ शादी के बंधन में बंधे।

मनोज कुमार ऐसे अभिनेताओं में शुमार हैं, जो कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी रहे हैं।

मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिए लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से अहसास कराया। इसी ने उन्हें हर दिल अजीज फिल्मकार बना दिया। इसी देशप्रेम की बदौलत उनके चाहने वाले उन्हें 'मिस्टर भारत' कहकर पुकारने लगे।

मनोज कुमार ने 1967 में बनी फिल्म 'उपकार' से देशप्रेम पर बनी फिल्मों की सफल शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने देशभक्ति पर आधारित कई फिल्मों में काम किया। 'उपकार' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

मनोज कुमार को 'हरियाली और रास्ता', 'वो कौन थी?', 'हिमालय की गोद में', 'दो बदन', 'उपकार', 'पत्थर के सनम', 'नीलकमल' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

मनोज कुमार की 1970 के मध्य में एक के बाद एक तीन हिट फिल्में आईं। जीनत अमान के साथ सामाजिक मुद्दों पर बनी 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का दूसरा फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया।

इसी दौरान हेमा मालिनी के साथ 'संन्यासी' (1975) और 'दस नंबरी' (1976) फिल्में रिलीज हुईं, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं।

1992 में मनोज कुमार को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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