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विहिप की मंशा राम मंदिर की हो चर्चा

लखनऊ, 2 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। अप्रैल का महीना विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यक्रमों के लिहाज काफी महत्वपूर्ण होगा। उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में 8 से 15 अप्रैल तक राम महोत्सव और 22 अप्रैल से चौरासी कोसी परिक्रमा चलगी। अयोध्या में राम मंदिर का प्रतीक्षित निर्माण इन सभी आयोजनों का केंद्रबिंदु होगा।

राम महोत्सव के आयोजन के दौरान अवध के 25 जिलों में 1000 समितियों का गठन किया जाएगा। दरअसल, विहिप की मंशा राम मंदिर को फिर चर्चा में लाने की है।

विहिप द्वारा राम महोत्सव समापन के दिन ही 15 अप्रैल को शोभायात्राओं का आयोजन होगा। 22 अप्रैल को बस्ती जिला स्थित मखधाम से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू होगी। विहिप कार्यकर्ताओं द्वारा इन परिक्रमाओं का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। दोनों आयोजनों के लिए समितियां बनाई गई हैं।

इन समितियों में स्थानीय लोगों को वरीयता दी गई है। समितियों से जुड़ों लोगों का विहिप तथा राम मंदिर की ओर रुझान बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाना है।

विहिप नेता अम्बरीश सिंह कहते हैं, "मेला और परिक्रमा जैसे धार्मिक आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और परंपराओं को अक्षुण्ण रखे हुए है। अयोध्या की चौरासी कोसी की परिक्रमा से जहां समाज में धार्मिक मूल्यों के प्रति श्रद्धाभक्ति का संचार होता आ रहा है, वहीं मार्ग में पड़ने वाले महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों के संबंधों में संपूर्ण राष्ट्र को जानकारी प्राप्त होगी।"

उन्होंने कहा कि विहिप का मत है कि अयोध्या की पहचान भगवान राम के साथ ही संत धर्माचार्यो से भी जुड़ी हुई है। चौरासी कोसी परिक्रमा कोई नई परंपरा नहीं है। यह पूर्व काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा की जा रही है, बस हमें इसे राष्ट्रीय फलक पर पहचान देने के लिए प्रयत्न करने होंगे।

सिंह ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद ने इस बार कार्यक्रम को और अधिक व्यापक स्वरूप देने के लिए संगठन में अलग से एक आयाम बनाकर सुरेंद्र सिंह को प्रभारी नियुक्त कर दिया है।

उन्होंने कहा कि चौरासी कोसी परिक्रमा में देशभर के तीर्थयात्रियों का आगमन प्रारंभ होता है। परिक्रमा मार्ग सहित जुड़े जनपदों का विकास और व्यापार में वृद्धि होती है। इस परिक्रमा से जहां पुरातन धार्मिक केंद्रों को संरक्षण मिलेगा, वहीं वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।

अब देखना यह होगा कि विहिप के इन कार्यक्रमों पर उत्तर प्रदेश सरकार टेढ़ी निगाह रखती है या सीधी। बात सीधी सी है कि प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है, इन विहिप के कार्यक्रमों से अगर माहौल बिगड़ता है, तो राजनीतिक दलों को ताजा मुद्दा मिलेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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विहिप की मंशा राम मंदिर की हो चर्चा

लखनऊ, 2 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। अप्रैल का महीना विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यक्रमों के लिहाज काफी महत्वपूर्ण होगा। उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में 8 से 15 अप्रैल तक राम महोत्सव और 22 अप्रैल से चौरासी कोसी परिक्रमा चलगी। अयोध्या में राम मंदिर का प्रतीक्षित निर्माण इन सभी आयोजनों का केंद्रबिंदु होगा।

राम महोत्सव के आयोजन के दौरान अवध के 25 जिलों में 1000 समितियों का गठन किया जाएगा। दरअसल, विहिप की मंशा राम मंदिर को फिर चर्चा में लाने की है।

विहिप द्वारा राम महोत्सव समापन के दिन ही 15 अप्रैल को शोभायात्राओं का आयोजन होगा। 22 अप्रैल को बस्ती जिला स्थित मखधाम से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू होगी। विहिप कार्यकर्ताओं द्वारा इन परिक्रमाओं का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। दोनों आयोजनों के लिए समितियां बनाई गई हैं।

इन समितियों में स्थानीय लोगों को वरीयता दी गई है। समितियों से जुड़ों लोगों का विहिप तथा राम मंदिर की ओर रुझान बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाना है।

विहिप नेता अम्बरीश सिंह कहते हैं, "मेला और परिक्रमा जैसे धार्मिक आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और परंपराओं को अक्षुण्ण रखे हुए है। अयोध्या की चौरासी कोसी की परिक्रमा से जहां समाज में धार्मिक मूल्यों के प्रति श्रद्धाभक्ति का संचार होता आ रहा है, वहीं मार्ग में पड़ने वाले महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों के संबंधों में संपूर्ण राष्ट्र को जानकारी प्राप्त होगी।"

उन्होंने कहा कि विहिप का मत है कि अयोध्या की पहचान भगवान राम के साथ ही संत धर्माचार्यो से भी जुड़ी हुई है। चौरासी कोसी परिक्रमा कोई नई परंपरा नहीं है। यह पूर्व काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा की जा रही है, बस हमें इसे राष्ट्रीय फलक पर पहचान देने के लिए प्रयत्न करने होंगे।

सिंह ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद ने इस बार कार्यक्रम को और अधिक व्यापक स्वरूप देने के लिए संगठन में अलग से एक आयाम बनाकर सुरेंद्र सिंह को प्रभारी नियुक्त कर दिया है।

उन्होंने कहा कि चौरासी कोसी परिक्रमा में देशभर के तीर्थयात्रियों का आगमन प्रारंभ होता है। परिक्रमा मार्ग सहित जुड़े जनपदों का विकास और व्यापार में वृद्धि होती है। इस परिक्रमा से जहां पुरातन धार्मिक केंद्रों को संरक्षण मिलेगा, वहीं वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।

अब देखना यह होगा कि विहिप के इन कार्यक्रमों पर उत्तर प्रदेश सरकार टेढ़ी निगाह रखती है या सीधी। बात सीधी सी है कि प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है, इन विहिप के कार्यक्रमों से अगर माहौल बिगड़ता है, तो राजनीतिक दलों को ताजा मुद्दा मिलेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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