भोपाल, 28 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं आया तो शिक्षकों की नौकरी तक जा सकती है। तीस फीसदी से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षक दक्षता आकलन परीक्षा में फेल होते हैं तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति तक दी जा सकती है।
राज्य की कई शालाओं के शिक्षक अपने विषयों के परिणाम 30 फीसदी से भी कम दे पाए हैं। इसके बाद शिक्षकों की दक्षता आकलन परीक्षा का आयोजन हुआ, जिसमें शिक्षक भी फेल हो गए। उनकी दोबारा दक्षता परीक्षा हुई। इस परीक्षा का नतीजा आने वाला है।
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बुधवार को भोपाल में कहा, तीस फीसदी से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों की दक्षता का आकलन करने के लिए परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 6000 से ज्यादा शिक्षकों को शामिल किया गया। शिक्षकों की दक्षता सुधार के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। जिन शिक्षकों के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं रहे, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई।
सूत्रों का कहना है कि 6000 शिक्षकों में 1400 शिक्षक ऐसे थे जो पहली बार की दक्षता परीक्षा में पास नहीं हुए थे। इन शिक्षकों को तीन बार मौके दिए गए हैं। पहले पास होने के अंक 50 फीसदी तय थे, जिसे घटाकर अब 33 फीसदी कर दिया गया है।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, दक्षता परीक्षा में फेल होने वाले शिक्षकों पर तीन तरह से कार्रवाई होगी। पहली 20 साल की सेवा और 50 साल की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्ति, विभागीय कार्यवाही और प्राथमिक स्तर के शिक्षकों के हाईस्कूल में पढ़ाने वालों को नोटिस दिए जाएंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा, विभाग द्वारा समुचित कॉपी चेकिंग व्यवस्था पर बल दिया गया है। कॉपी चेकिंग में सुधार के लिए सघन अभियान चलाया गया। राज्य एवं जिला स्तर के अधिकारियों ने स्कूलों का भ्रमण कर सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की कॉपियां सही तरीके से चेक की जाएं।
उन्होंने कहा, अभियान में लगभग 3000 विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा की जा रही कॉपी चेकिंग की जांच की गई। कॉपी चेक नहीं करने वाले तथा करेक्शन अंकित नहीं करने वाले शिक्षकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की गई। गलती करने वाले शिक्षकों की वेतन-वृद्धि रोकने और वेतन कटौती की कार्यवाही भी की गई। लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों को शोकॉज नोटिस जारी किए गए।
उन्होंने कहा, राज्य शासन द्वारा वर्तमान अकादमिक सत्र से कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चों के बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक मूल्यांकन किए जाने का निर्णय लिया गया है। कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा में पास होने के लिए विद्यार्थियों को 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। ऐसा न होने पर दो माह बाद पुन: परीक्षा ली जाएगी।
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